Articles in Category astrology yogas

शुक्र-शनि युति से बनता है युक्त योग

जब दो ग्रह एक ही राशि के अंतर्गत युति योग बनाते हैं, तो कुंडली में कई तरह के फलों का मिलाजुला फल मिलता है. यह सफलता और कठिनाई दोनों को दिखाने वाला भी हो सकता है. भाग्य पर इस तरह के शनि शुक्र योग का

राहु का मेष राशि में होने का प्रभाव

राहु एक ऎसा छाया ग्रह है जो अपनी शक्ति के द्वारा किसी भी ग्रह को प्रभावित कर पाने में सक्षम होता है. यह एक ऎसा ग्रह है जिसका असर व्यक्ति के जीवन में उन घटनाओं को लाने के लिए जिम्मेदार होता है जिनके

सूर्य के आत्मकारक होने पर प्रतिष्ठा के साथ मिलती हैं राजनीतिक सफलता

आत्मकारक ग्रह जीवन में इच्छाओं के साथ आकांक्षा को दर्शाता है. यह ग्रह मुख्य ग्रह है जिसके माध्यम से कुंडली के अन्य ग्रहों के बल का आंकलन किया जाता है. यदि आत्मकारक कमजोर या पीड़ित है, तो जीवन में गलत

मंगल केतु का एक साथ होना क्यों होता है नकारात्मक

मंगल और केतु यह दोनों ही ग्रह काफी क्रूर माने जाते हैं. इन दोनों का असर जब एक साथ कुंडली में बनता है तो यह काफी गंभीर ओर नकारात्मक प्रभाव देने वाला माना गया है. इन दोनों ग्रहों की प्रकृति का स्वरुप

सप्तम भाव में सूर्य कैसे प्रभाव डालता है

सूर्य की स्थिति सातवें भाव में होने को कई मायनों में विशेष बन जाता है. कुंडली का सातवां भाव कई मायनों में जीवन पर प्रेम एवं सहयोग की स्थिति को दिखाने वाला होता है. ज्योतिष के बारह भाव हैं जिन पर

कुंडली में ब्रेकअप का होता है यह ज्योतिषिय कारण

जीवन में रिश्तों को लेकर हर व्यक्ति काफी अधिक भावनात्मक होता है. अपने जीवन में वह रिश्तों की स्थिति को अच्छे से निभाने की हर संभव कोशिश करते हैं लेकिन कई बार असफल होते चले जाते हैं. कई बार जीवन में

मेष लग्न के लिए मंगल महादशा का अलग-अलग भावों पर असर

मंगल महादशा का प्रभाव मेष लग्न के लिए बेहद अच्छा माना गया है. मंगल इस लग्न का स्वामी है ओर इस लग्न वालों को जब मंगल दशा मिलती है तो उन्हें यह लग्नेश की दशा के रुप में सहायक भी बनती है. मंगल महादशा का

सूर्य का छठे भाव में होना शत्रुओं एवं विरोधियों को करता है समाप्त

छठे भाव में सूर्य आपको संघर्षों को सुलझाने और शत्रुओं पर विजय दिलाएगा. आप अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ विलय करेंगे और सौहार्दपूर्ण तरीके से एक साथ काम करेंगे. छठे भाव में स्थित सूर्य आपको संघर्षों को

सूर्य का पंचम भाव में होना बौद्धिकता एवं ज्ञान की अभिव्यक्ति

ज्योतिष में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है, यह हमारे स्वयं को, हमारी समग्र ऊर्जा और हमारे व्यापक अस्तित्व को व्यक्त करने के तरीके को प्रभावित करता है. जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में जाता है, तो यह

सूर्य चतुर्थ भाव में परिवार, करियर और सुख को करता है प्रभावित

सूर्य का चतुर्थ भाव में होना, मिले-जुले फल मिलते हैं जिसमें आप को भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति तो होती है . साथ में जिम्मेदारियों को भी आप अवश्य पाते हैं. चतुर्थ भाव में सूर्य व्यक्ति को अपने

शुक्र और शनि की युति प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार शुक्र और शनि की युति सभी लाभ देती है और यह युति अनुकूल मानी जाती है. शुक्र और शनि की युति के मध्य में कुछ द्वंद भी देखने को मिल सकता है. यहां विचारों एवं इनकी ऊर्जाओं में यह स्थिति

सूर्य का तीसरे भाव में फल

तीसरे भाव में सूर्य का होना प्रबलता का सूचक होता है यह सुखद स्थिति कहीं जा सकती है. एक नियम के रूप में, तीसरे भाव में सूर्य वाले लोग बहिर्मुखी होते हैं, लेकिन इनका अंतर्मन इतना प्रबल होता है की इनके

सूर्य ग्रह का लग्न में होना कैसे देता है परिणाम

सूर्य जब पहले भाव में होता है तो यह एक अत्यंत विशिष्ट स्थान और असर के लिए जाना जाता है. लग्न में सूर्य का होना व्यक्ति के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थिति होती है. लग्न एक ऎसा स्थान है जो जीवन के प्रत्येक

राहु से बनने वाला लक्ष्मी योग

कुंडली में धनयोग कई तरह से बनता है लेकिन जब बात आती है राहु की तो इसके कारण जब धन योग बनता है, तो उसके मायने काफी अलग दिखाई देते हैं. राहु के साथ गुरु की स्थिति को भी इस योग में देखा जाता है. राहु के

शुक्र और सूर्य की युति का विभिन्न भावों में प्रभाव

सूर्य ग्रह आत्मा का प्रतीक है और शुक्र सौंदर्य एवं भोग का. इन दोनों ग्रहों का संबंध जीवन के कई पड़ावों पर अपना असर दिखाता है. एक अग्नि तत्व ग्रह है और दूसरा जल तत्व से भरपूर अब इन का प्रभाव एक साथ

अंगारक योग: जानिए इसके 12 भाव में शुभ अशुभ प्रभाव

ज्योतिष में अंगारक योग को एक अशुभ पयोग के रुप में जाना जाता है. अंगारक योग एक बहुत ही कष्टदायक योग है, यदि कुंडली में राहु या केतु का मंगल से संबंध किसी भी एक भाव में स्थापित हो जाते हैं तो इस योग का

केतु की अन्य ग्रहों के साथ संबंधों पर एक नजर

जब बात होती है केतु की तो यह एक काफी संदेह और चिंता को दर्शाता है. इस ग्रह का प्रभाव काफी विशेष है. ग्रहों की दिशा का प्रभाव कुछ मायनों में काफी विशेष होता है. किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु की

राहु का मीन लग्न के 12 भावों पर प्रभाव जानें अपनी कुंडली से

राहु का असर मीन लग्न में होना एक बेहद गंभीर एवं तेजी से होने वाले बदलावों का प्रतिनिधित्व करता है. राहु की स्थिति व्यक्ति को उन चीजों से जोड़ती है जो सीमाओं से परे की बात करती है और बृहस्पति के

श्रापित योग का कुंडली के हर भाव पर क्या पड़ता है असर

ज्योतिष के कुछ खराब योगों में श्रापित दोष का विशेष महत्व होता है. श्रापित योग का असर किसी व्यक्ति के पिछले जन्मों का प्रभाव दिखाता है, इसे एक अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. यह एक भाव में शनि और राहु

गुरु चांडाल योग योग का कुंडली के 12 भाव में प्रभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु या केतु जैसे पाप ग्रहों के साथ बृहस्पति की युति को चांडाल दोष कही जाती है. इस दोष को गुरु चांडाल दोष के नाम से भी जाना जाता है. बृहस्पति ग्रह को गुरु के रूप में जाना