माघ माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गोंतरी तृतीया के रुप में मनाया जाता है. माघ शुक्ल तृतीया तिथि को गौरी पूजन करने का महत्व है. भविष्यपुराण के अनुसार माघ मास की शुक्ल तृतीया अन्य मास की तृतीया से श्रेष्ठ है. माघ मास की तृतीया स्त्रियों को विशेष लाभ पहुंचाती है. सौभाग्य बढ़ाने वाला गौरी तृतीया व्रत माघ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को किया जाता है.
गोंतरी तृतीया के दिन किया गया व्रत, पूजन स्नान, दान सौभाग्य, धन, सुख, पुत्र, सौंदर्य, लक्ष्मी, दीर्घायु और आरोग्य को देने वाला होता है. माघ माह की गोंतरी तृतीया को गौरी तृतीया या गौरी व्रत भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है. यह विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, और इसका संबंध माता गौरी, यानी देवी पार्वती से होता है. माघ माह की तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस व्रत का महत्व धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक है और यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए बहुत शुभ माना जाता है.
गोंतरी तृतीया पूजा अनुष्ठान
गौरी तृतीया का महत्व विशेष रूप से पूजा के उद्देश्य, तिथि और देवी पार्वती के साथ जुड़ी धार्मिक मान्यताओं के कारण है. यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के जीवन में सुख, समृद्धि और परिवार में सुख-शांति की कामना करने के लिए किया जाता है. गौरी तृतीया के दिन देवी गौरी की पूजा की जाती है. देवी गौरी, जिन्हें माता पार्वती भी कहा जाता है, शंकर भगवान की पत्नी और शिव शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं. पार्वती का स्वरूप अत्यंत सौम्य और कल्याणकारी माना जाता है. उनका पूजन करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है.
गोंतरी तृतीया का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के जीवन को सुखमय बनाना होता है. विशेष रूप से विवाहित स्त्रियां इस दिन व्रत करती हैं ताकि उनके पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना कर सकें. वहीं, अविवाहित लड़कियां इस दिन व्रत करती हैं ताकि उन्हें अच्छे और सच्चे जीवनसाथी की प्राप्ति हो सके.
गोंतरी तृतीया व्रत की विधि
गोंतरी तृतीया का व्रत पूरे दिन उपवास रहकर किया जाता है. महिलाए विशेष रूप से इस दिन गौरी माता की पूजा करती हैं, साथ ही संतान सुख, पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती हैं. पूजा में खासतौर पर तिल, गुड़, चिउड़े, फल और फूल अर्पित किए जाते हैं. इस दिन विशेष रूप से देवी की मूर्ति को स्नान कराकर, सुंदर वस्त्र पहनाकर पूजन की जाती है.
इस व्रत का प्रभाव बहुत सकारात्मक रूप से परिणाम देता है. गोंतरी तृतीया का व्रत पारिवारिक जीवन को सुखमय बनाता है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है. इस दिन किए गए व्रत से घर में समृद्धि, धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. इसके साथ ही महिलाओं की सेहत भी बेहतर रहती है और उनके जीवनसाथी की उम्र बढ़ती है.
गोंतरी तृतीया का प्रभाव
इस दिन किए गए पूजा और व्रत का धार्मिक प्रभाव बहुत अधिक होता है. मान्यता है कि इस दिन देवी गौरी के पूजन से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस दिन किए गए व्रत और पूजा से जीवन में सकारात्मकता आती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं.
गोंतरी तृतीया का व्रत महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है. इस दिन उपवासी रहकर पूजा करने से मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. साथ ही परिवार में सुख-शांति बनी रहती है, जिससे महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है.
गोंतरी तृतीया के दिन किए गए व्रत का प्रभाव पति-पत्नी के संबंधों पर भी सकारात्मक रूप से पड़ता है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से दंपत्ति के बीच प्रेम और सौहार्द में वृद्धि होती है, और संबंधों में कोई कड़वाहट नहीं आती. यह व्रत पति की लंबी उम्र और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी होता है, जिससे दोनों के जीवन में सामंजस्य बना रहता है.
गोंतरी तृतीया के दिन देवी गौरी की पूजा करने से आध्यात्मिक उन्नति होती है. इस दिन की गई पूजा और व्रत से भक्त के जीवन में शांति और संतोष की प्राप्ति होती है. यह व्रत मनुष्य को आत्मिक शांति और भगवान के प्रति आस्था में वृद्धि करता है, जिससे जीवन में संतुलन और समृद्धि आती है.
गोंतरी तृतीया फल
गौरी तृतीया, माघ माह की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए बेहद शुभ माना जाता है. यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके सामाजिक और पारिवारिक प्रभाव भी बहुत गहरे होते हैं.
महिलाओं की संतान सुख, पति की लंबी उम्र, और परिवार की सुख-शांति के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना जाता है. साथ ही इस व्रत से मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति और शांति की प्राप्ति भी होती है. इसलिए, यह दिन विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और आत्मिक उन्नति का दिन माना जाता है.