मार्गशीर्ष पूर्णिमा के पावन पर्व पर गंगा समेत अनेक पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है. हरिद्वार समेत अनेक स्थानों पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं और पापों से मुक्त होते हैं. पूर्णिमा के स्नान पर पुण्य की कामना से स्नान का बहुत महत्व होता है इस अवसर पर किए गए दान का अमोघ फल प्राप्त होता है, यह एक बहुत पवित्र अवसर माना जाता है जो सभी संकटों को दूर करके मनोकामनाओं की पूर्ति करता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजन करने सभी सुखों की प्राप्ति होती है. 15 दिसम्बर 2024 के दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा का पूजन होना है. इस दिन भगवान विष्णु नारायण की पूजा कि जाती है. नियमपूर्वक पवित्र होकर स्नान करके व्रत रखते हुए ऊँ नमो नारायण मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को चन्द्रमा की पूजा अवश्य की जानी चाहिए, क्योंकि इसी दिन चन्द्रमा को अमृत से सिंचित किया गया था. इस दिन कन्या और परिवार की अन्य स्त्रियों को वस्त्र प्रदान करने चाहिए.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा महत्व | Margashirsha Purnima Importance
मार्गशीर्ष का महीना श्रद्धा एवं भक्ति से पूर्ण होता है. मार्गशीर्ष माह में पूरे महीने प्रात:काल समय में भजन कीर्तन हुआ करते हैं, भक्तों की मंडलियां सुबह के समय भजन व भक्ती गीत गाते हुए निकलती हैं. इस माह में श्रीकृष्ण भक्ति का विशेष महत्व होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सत युग में देवों ने मार्ग-शीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही वर्ष का प्रारम्भ किया था. मार्गशीर्ष में नदी स्नान के लिए तुलसी की जड़ की मिट्टी व तुलसी के पत्तों से स्नान करना चाहिए, स्नान के समय नमो नारायणाय या गायत्री मंत्र का उच्चारण करना फलदायी होता है.
जब यह पूर्णिमा ‘उदयातिथि’ के रूप में सूर्योदय से विद्यमान हो, उस दिन नदियों या सरोवरों में स्नान करने तथा सामर्थ्य के अनुसार दान करने से सभी पाप क्षय हो जाते हैं तथा पुण्य कि प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से वह बत्तीस गुना फल प्राप्त होता है अत: इसी कारण मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बत्तीसी पूनम भी कहा जाता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा | Margashirsha Purnima Worship
चाकोर वेदी बनाकर हवन किया जाता है, हवन की समाप्ति के पश्चात के बाद भगवान का पूजन करना चाहिए तथा प्रसाद को सभी जनों में बांट कर स्वयं भी ग्रहण करें ब्राह्यणों को भोजन कराये और सामर्थ्य अनुसार दान भी देना चाहिए. पूजा पश्चात सभी लोगों में प्रसाद वितरित करना चाहिए व भगवान विष्णु जी से मंगल व सुख कि कामना करनी चाहिए.
मार्गशीर्ष माह के संदर्भ में कहा गया है कि इस महीने में स्नान एवं दान का विशेष महत्व होता है. इस माह में नदी स्नान का विशेष महत्व माना गया है.जिस प्रकार कार्तिक ,माघ, वैशाख आदि महीने गंगा स्नान के लिए अति शुभ एवं उत्तम माने गए हैं. उसी प्रकार मार्गशीर्ष माह में भी गंगा स्नान का विशेष फल प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व खूब रहा है. जिस दिन मार्गशिर्ष माह में पूर्णिमा तिथि हो, उस दिन मार्गशिर्ष पूर्णिमा का व्रत करते हुए श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा की जाती है जो अमोघ फलदायी होती है.