दिवाली पर करें कुबेर पूजा | Worshipping Lord Kuber on Diwali | Kuber Puja on Diwali

कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं. कुबेर जी की पूजा धन धान्य से पूर्ण बना देती है. सुख समृद्धि के मार्ग खुलते हैं. उन्नति, विकास व धन सम्पन्नता के लिए कुबेर यन्त्र पूजन अत्यंत लाभकारी होता है. यह यन्त्र मन्त्र वेदों से प्रमाणित है, प्रत्येक गृहस्थ के लिये उपयोगी है, इसका अनुसरण प्रत्येक व्यक्ति के लिए फलदायक है.

कुबेर जी भगवान शिव के भक्त थे इन्हें ने भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु बहुत कठिन तप किया. एक कथा अनुसार जब पार्वती जी के तेज के प्रभाव से इनका एक नेत्र नष्ट हो जाता है तो भगवान शिव इन्हें एकाक्षीपिंगल नाम प्रदान करते हैं. भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न हो कर उन्हें धनाध्यक्ष बनाया शिवाराधना फलस्वरूप उन्हें  धनपाल का स्थान प्राप्त हुआ.

कुबेर पूजा विधान | Rituals To Worship Lord Kuber

कुबेर पूजन के लिए सर्वप्रथम  स्वच्छ स्थान का चयन करें या पूजा स्थान में कुबेर व लक्ष्मी माता का चित्र स्थापित कर लेना चाहिये, देवी लक्ष्मी का सुगंधित द्रव्य लेकर षोडशोपचार से पूजन आवहान करना चाहिये इसके साथ ही कुबेर जी के मंत्र जाप व पाठ को श्रवण-मनन करते हुए उनका स्मरण करना चाहिए.

विनियोग | Viniyoga

"ऊँ अस्य कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषि: बृहती छंद: शिवमित्र धनेश्वर देवता,दारिद्रय विनाशने पूर्णसमृद्धि सिद्धयर्थे जपे विनियोग:"।

ध्यान | Meditation

"ऊँ मनुजबाहुविमान वर स्थितं गरुडरत्नाभिं निधिनायकम।
विवसखं मुकुटादिभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलम॥

कुबेर मंत्र | Kuber Mantra

ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा।
या
ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्री ह्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम: स्वाहा।

ध्यान के पश्चात पंचोपचार द्वारा कुबेर भगवान के श्रीविग्रह का पूजन करना चाहिए. पुष्पों से इस मंत्र के जाप के साथ पुष्पांजलि देनी चाहिये. कुबेर मंत्र के एक लाख जाप करना चाहिए. इसके उपरांत घी, तिल, अक्षत, पंचमेवा, शहद, लौंग इत्यादि सात अनाज मिलाकर हवन करना चाहिये, ऎसा करने से कुबेर मंत्र सिद्ध हो जाता है.

सभी यज्ञ अनुष्ठानों इत्यादि में दश दिक्पालों के पूजन क्रम में उत्तर दिशा के अधिपति के रुप में कुबेर जी की पूजा की जाती है. पौराणिक आख्यानों के अनुसार कुबेर जी धनाध्यक्ष्य यक्षाधिपति हैं. गंन्धर्व व किन्नरों के भी स्वामी हैं. इन्हें कोष, नवनिधियों और उत्तर दिशा का स्वामी माना जाता है. कुबेर जी ब्रह्माण के धनपति है तथा देवों एवं अन्य सभी द्वारा पूज्य हैं. गुप्त निधि व अनन्त ऎश्वर्य की प्राप्ति हेतु कुबेर जी की उपासना विशेष फलदायी मानी गई है.

कुबेर जी के साथ राज्यश्री के रुप में साक्षात महालक्ष्मी जी विराजित रहती हैं. इसलिए दीपावली जैसे महापर्व के समय कुबेर जी का विधिवत पूजन व उपासना मंत्र या तंत्र इत्यादि की अभिष्ट सिद्धि, वैभव के लिए अत्यंत आवश्यक होती है.

कुबेर(वैश्रवण) के पास सभी विलक्षण तथा अलौकिक शक्तियां मौजुद हैं धनपति कुबेर जी अपने भक्तों को वैभव प्रदान करते हैं. धन संपदा चाहने वालों को और दरिद्रता व ऋण से मुक्ति चाहने वालों को धनत्रयोदशी व दीवाली के दिन कुबेर जी का पूजन करना चाहिए.

कुबेर महाराज का यंत्र और मंत्र जीवन में सभी श्रेष्ठता को प्रदान करने वाला होता है. कुबेर पूजा ऐश्वर्य, दिव्यता, संपन्नता, पद सुख, सौभाग्य, व्यवसाय वृद्धि, आर्थिक विकास, सन्तान सुख उत्तम आयु वृद्धि और समस्त भौतिक सुखों को देने में सहायक होती है.