अनामिका व कनिष्ठिका अंगुली का अधययन | Analysis of Ring Finger and Little Finger

अंगुलियों का महत्वपूर्ण स्थान हस्तरेखा शास्त्र में माना गया है. सभी अंगुलियों की अपनी विशेषता होती है. आज हम तीसरी अंगुली - अनामिका व चौथी अंगुली - कनिष्ठिका की चर्चा करेगे कि यह क्या खासियत रखती हैं.

तीसरी अंगुली अनामिका की विशेषताएँ | Characteristics of Ring Finger

इसका आरंभ हम अनामिका अंगुली के अध्ययन से करेगें. इस अंगुली तीसरी अंगुली भी कहते हैं और अंग्रेजी में इसे रिंग फिंगर कहते हैं. अनामिका अंगुली व्यक्ति पर पड़ने वाले बाहरी प्रभावो के बारे में बताती है. व्यक्ति अपने जीवन में बाहरी वातावरण से कितना और क्या ग्रहण करता है यह इस अंगुली से पता चलता है. साथ ही स्वयं व्यक्ति बाहरी वातावरण को कितना प्रभावित करता है, वह भी इसी अंगुली से पता चलता है.

व्यक्ति जीवन का यश प्राप्त करना, उत्साह की मात्रा, उसके दिखावे की भावना तथा चमक - दमक आदि का इसी अंगुली से पता चलता है. इस अंगुली के मूल में सूर्य पर्वत होने से यह सूर्य पर्वत और उसकी विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती है.

यह अंगुली यदि तर्जनी से बड़ी होती है तब व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि करती है और उत्साह व जोश अधिक होता है. तर्जनी से लंबी अनामिका होने पर व्यक्ति जीवन में यश व सफलता को अहमियत देता है. ऎसा व्यक्ति रुपये - पैसे को ज्यादा महत्व नहीं देता है उसके लिए मान सम्मान पहले होता है.

यदि यह अंगुली तर्जनी से छोटी है तब व्यक्ति में उत्साह व जोश की कमी होती है. मध्यमा से बड़ी या बराबर होने पर व्यक्ति में अत्यधिक आत्मविश्वास होता है. हर काम में आवश्यकता से अधिक आत्मविश्वास बहुत बार असफलता भी दिखाता है.

ऎसा व्यक्ति जीवन में जोखिम उठाने से भी पीछे नहीं हटता है और उनमें अत्यधिक रुचि लेर्ता है. ऎसे काम करता है जिनमें उतार-चढ़ाव की संभावना अधिक होती है जैसे जुआ, सट्टा, रेस या शेयर मार्केट का जोखिम ही क्यूँ ना हो. इन्हे इन सभी कामों मे आनंद मिलता है.

लंबी अनामिका के साथ यदि बुध पर्वत उन्नत व बली है तब व्यक्ति व्यवसाय में जोखिम उठाता है. यदि लंबी अनामिका वाला व्यक्ति नौकरी करता है तब वह घूस आदि ले सकता है. लंबी अनामिका के साथ यदि आक्रामक मंगल क्षेत्र भी बली व उन्नत है तब ऎसा व्यक्ति खेल्-कूद से जुड़ी प्रतियोगिताओं में नाम कमाता है.

यदि किसी व्यक्ति की अनामिका सामान्य से छोटी है तब ऎसा व्यक्ति जोखिम से कोसो दूर रहता है. वह कभी कोई ऎसा काम नहीं करता जिनमें जोखिम भरा हो.

कनिष्ठिका अंगुली का अध्ययन | Analysis of Little Finger

इस भाग में हम कनिष्ठिका अंगुली के बारे में बात करेगें. कनिष्ठिका अंगुली बाकी तीनो अंगुलियों से छोटी होती है. यह अंगुली बाकी तीनों अंगुलियों से अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी गई है. पाश्चात्य हस्तरेखा शास्त्री इस अंगुली को पतला अंगूठा भी कहते हैं क्योकि यह व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ बताती है.

इस अंगुली के मूल में बुध पर्वत होता है इसलिए यह बुध की विशेषताओं को प्रकट करती है. अनामिका अंगुली की पहली गाँठ से कुछ लम्बी कनिष्ठिका को सामान्य माना जाता है. यदि यह अंगुली पहली गाँठ से नीचे तक पहुंचती है तब छोटी तथा ऊपर तक पहुंचने पर लंबी कही जाती है.

इस अंगुली की लंबाई सामान्य होने पर व्यक्ति वाकपटु होता है क्योकि यह बुध का प्रतिनिधित्व भी करती है तथा उसका स्नायुमंडल विकसित होता है. ऎसा व्यक्ति संपर्क बनाने में अति कुशल होता है और इसका मस्तिष्क बहुत तेज दौड़ता है.

कनिष्ठिका के सामान्य से लंबा होने पर व्यक्ति व्यापार, कला, राजनीति आदि क्षेत्रों में लाभ पाता है. ऎसे व्यक्ति मित्र बनाने की कला जानते है और मित्रता का लाभ उठाते हैं लेकिन इसे निभाने में रुचि कम होती है. यदि किसी व्यक्ति की कनिष्ठिका छोटी है तब व्यक्ति में हीनता की भावना पाई जाती है.