शुक्र का घेरा, शनि का वलय और तीन मणिबंध रेखा | The Girdle of Shukra, The Ring of Shani and Three Manibandh Rekha

शुक्र का घेरा | The Girdle of Shukra

अर्धवृत्त का आरंभ तर्जनी और मध्यमा उंगली से और समाप्त कनिष्ठा और अनामिका के आधार के बीच होता है इसे ही शुक्र का घेरा कहते हैं।यह व्यक्ति को बेहद संवेदनशील और एक उग्रवादी बनाता है। आमतौर पर यह मानसिक या शांकव हाथ पर पाया जाता है। यह व्यक्ति को अत्यधिक संवेदनशील और बुद्धिजीवी दर्शाता है। ऐसे लोगों मन अस्थिर रहता है और ये लोग छोटी छोटी बातों पर आसानी से नाराज़ और भावुक हो जाते हैं। यह लक्षण बेहद संवेदनशील और धैर्यहीन मनोदशा द्वारा अशांति के कारण अक्सर व्यक्तियों को हिस्टीरिया और विषाद का परिणाम  देता है।

जिन लोगों के हाथ पर यह चिन्ह होता है वह लोग अपने उत्साह के उच्चतम स्तर तक कल्पना के लिये सक्षम होते हैं लेकिन ऐसे लोगों की मनोदशा दो समय पर एक नही होती है। एक समय पर जब अन्य लोग अत्यंत दुखी होते हैं तो यह लोग अधिक उत्साहित रहते हैं। जब घेरा हाथ के किनारे को पार करता हुआ विवाह रेखा को छूता है तो मनोदशा द्वारा विवाह संबंधी समस्या को दर्शाता है। ऐसे लोग पूर्णतावादी और कठोर होते हैं इसलिए उनके साथ रहना कठिन होता है।

शनि का वलय | The Ring of Shani

शनि का वलय बहुत कम हाथों पर पाया जाता है,यह हाथ पर अच्छा संकेत नहीं है। इसका आरंभ तर्जनी उंगली और मध्यमा उंगली के मध्य से होता है, अर्धवृत्ताकार  मध्यमा उंगली मे और मध्यमा उंगली और अनामिका के मध्य समाप्त होता है। यह वलय व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति को रोकता है और वह एक कार्य को लंबे समय  तक करने मे सक्षम नही होता है।वह अपने कार्य स्थान को बार-बार बदलने  की कोशिश करता है। ऐसे लोग बड़े विचारों और योजनाओं से सदैव परिपूर्ण रहते हैं,  लेकिन वह  सदैव उद्देश्य की दिशा में समर्पण की कमी के कारण आधे मार्ग मे ही रुक जाते हैं।

नर्म हाथ, बिखरी हुई मस्तिष्क रेखा और अति विकसित शनि का वलय व्यक्ति को बेहद कल्पनाशील बनाते हैं। लेकिन संवेदनशीलता, धैर्य, एकाग्रता, और साहस की कमी उसे असफल बनाती है। बिखरी हुई भाग्य रेखा और वलय की उपस्थिति के कारण व्यक्ति की एकाग्रता कमजोर होती है।  यदि बिखरी हुई वलय ( रिंग)  हो तो यह शनि के वलय के अशुभ प्रभाव को कम करते हैं।

मणिबंध रेखाएं | Manibandh Rekha

तीन मणिबंध रेखाओं की कलाई पर उपस्थिति और लगभग हथेली से आरंभ होती इन रेखाओं का हस्तरेखा शास्त्र में बहुत महत्व नहीं है। संसार भर के विद्वानों की इन मणिबंधों के बारे में अलग अलग राय है। वराहमीर के अनुसार अतिविकसित, गहरे, और स्पष्ट मणिबंध की उपस्थिति राजा के समान होती है। हस्तरेखा शास्त्र की प्रसिद्ध रचना हस्त संजीवन के अनुसार ढीले, बिखर हुए और धुधंले मणिबंध  दुर्भाग्यपूर्ण, दुखी और गरीबी में जीवन को दर्शाते हैं।

जब प्रथम मणिबंध का आरंभ हथेली पर होता है तो यह यह आंतरिक अंगों में कमजोरी का कारण बनता है - जैसे गर्भाधान ।

जब मणिबंध  सीधे और स्पष्ट हैं, इसका मतलब है कि इस विषय में मजबूती मिलेगी।