असंयम रेखा, कुठार रेखा तथा चिंता रेखाओ का विश्लेषण | Impatience Line, Axe Line and Stress Line in Palmistry

आज हम असंयम, कुठार तथा चिंता रेखाओ के बारे में बात करेगें. असंयम रेखा से व्यक्ति में काम वासना की अधिकता होती है. कुठार रेखाएँ शुभ तथा अशुभ दोनो ही प्रकार से फल प्रदान करती हैं और जैसा की नाम से ही स्पष्ट है चिंता रेखाएँ व्यक्ति की चिन्ताओ के बारे में बताती हैं.

कुठार रेखा का अध्ययन | Analysis of Axe Line

आरंभ कुठार रेखा के अध्ययन से करते हैं. हाथ में किसी भी मुख्य रेखा के एकदम साथ लगी रेखा को कुठार रेखा कहते हैं. कुठार रेखा किसी भी मुख्य रेखा के साथ होने पर उसका शुभ फल कम कर देती हैं. माना शनि रेखा के एकदम साथ दोनो ओर सटी कोई रेखा है तब इसे कुठार रेखा कहेगे और यह भाग्य में कमी कर देती है.

कुठार रेखा किसी विकृत रेखा के साथ हो तो उसका दोष कम कर देती है. मुख्य रेखा से यदि कुछ फासले पर कोई रेखा चलती है तब वह कुठार रेखा ना कहलाकर समानांतर रेखा कहलाती है. समानांतर रेखा मुख्य रेखा का शुभ फल बढ़ाती हैं और मुख्य रेखा का दोष कम करती है.

असंयम रेखा तथा वाया लासिवा रेखा का अध्ययन | Analysis of Impatience Line or Vaya Lasiva Line

आइए इस भाग में हम असंयम व वाया लासिवा रेखा का अध्ययन करते हैं. चंद्र पर्वत और शुक्र पर्वत के मध्य बनने वाली रेखा को असंयम रेखा कहते हैं. यह शुक्र पर्वत से आरंभ होकर चंद्र पर्वत तक जाती है.

यदि बुध रेखा से सटी हुई कोई रेखा बन रही हो तब वह वाया लासिवा रेखा कहलाती है. असंयम रेखा या वाया लासिवा में से कोई भी एक रेखा किसी ठोस व भारी हाथ में बनी हो तो वह उस व्यक्ति की अत्यधिक कामशक्ति के बारे में बताती है.

यदि दोनो में से कोई भी एक रेखा पतले व पिलपिले हाथ में हो तब व्यक्ति में ड्रग्स व नशे की प्रवृति होती है.

चिन्ता रेखाओं का अध्ययन | Analysis of Stress Line

आइए समापन की ओर बढ़ते हैं लेकिन उससे पहले चिन्ता रेखाओ के बारे में जान लेते हैं. हाथ में बनी चिन्ता रेखाओ को राहु रेखाएँ भी कहते हैं. आक्रामक मंगल क्षेत्र से जो रेखाएँ निकलकर जीवन, शनि तथा मस्तिष्क रेखाओ को काटती हुई आगे बढ़ती हैं तो वह चिन्ता रेखाएँ कहलाती हैं और यह व्यक्ति के जीवन की गहरी चिन्ताओं के बारे में बताती है.

यदि यह चिन्ता रेखाएँ मुख्य रेखा के पास ही रुक जाएं तो चिन्ता ज्यादा गहरी नही होती है और मामूली सी परेशानी में ही बात खतम हो जाती है. यह चिन्ताएं कई बार शुभ भी हो जाती हैं जैसे यदि कोई चिन्ता रेखा गुरु पर्वत तक पहुंचे तो वह व्यक्ति का सम्मान बढ़ाती हैं.

यदि यह चिन्ता रेखा शनि पर्वत तक पहुंचती है तो व्यक्ति को धन संपत्ति देती है. यदि चिन्ता रेखा सूर्य पर्वत तक पहुंचे तो यह व्यक्ति को यश प्रदान करती हैं. बुध पर्वत तक पहुंचने वाली चिन्ता रेखा व्यक्ति को व्यापार में सफलता दिलाती है अथवा वैज्ञानिक बनाती है.

चिन्ता रेखाएँ शुक्र पर्वत से बढ़कर जीवन रेखा व शनि रेखा तक बढ़ जाती है तो चिन्ताएँ परिवार वालो के द्वारा दी गई होती हैं. आक्रामक मंगल तथा शुक्र पर्वत पर कोई रेखा ना हो तो व्यक्ति का परिवार से कोई विशेष लगाव नहीं होता है.