सूर्य को सरकार पक्ष का प्रतिनिधि माना गया है. यह एक ओज और तेज से परिपूर्ण रूप है. सूर्य की उन्नत स्थिति ही व्यक्ति के व्यवहार में तेजस्विता और ओज लाने में सहायक होती है. इसी प्रकार हथेली में सूर्य ग्रह की स्थिति का प्रभाव व्यक्ति के

आज हम हस्त रेखाओं के माध्यम से परिवार संबंधी कुछ बातों पर विचार करने का प्रयास करेगें. हम में से बहुत से लोग खुशनसीब होते हैं जिन के ऊपर माता-पिता का साया बहुत लंबे समय तक बना रहता है लेकिन कुछ ऎसे भी होते हैं जिन्हें माता-पिता का साथ कुछ

आज हम हाथो के कुछ लक्षणों के बारे में बताएंगें जिससे यह पता चल सकता है कि यह व्यक्ति कितना गुणवान है और कितना अवगुणी है. सदगुणों को जांचने के लिए गुरु तथा सूर्य पर्वत का अध्ययन आवश्यक होता है क्योकि सूर्य तेज का तो गुरु ज्ञान का नैसर्गिक

आज हम असंयम, कुठार तथा चिंता रेखाओ के बारे में बात करेगें. असंयम रेखा से व्यक्ति में काम वासना की अधिकता होती है. कुठार रेखाएँ शुभ तथा अशुभ दोनो ही प्रकार से फल प्रदान करती हैं और जैसा की नाम से ही स्पष्ट है चिंता रेखाएँ व्यक्ति की चिन्ताओ

आज हम हस्तरेखाओं के माध्यम से व्यक्ति के धार्मिक होने व उसकी गुप्त विद्याओं में रुचि होने का जानने का प्रयास करेंगे. साथ ही हम व्यक्ति के हस्त लक्षणों के आधार पर शिक्षा को जानने का प्रयास करेंगे. किसी भी चीज की खोज के लिए जातक के मन में

हस्तरेखाओं की बहुत सी विशेषताओं का हम अभी तक अध्ययन कर चुके हैं. आज हम हथेली के विभिन्न भागों से स्वास्थ्य संबंधी जानकारी हासिल करने का प्रयास करेंगे. हथेली के पर्वतों से स्वास्थ्य जानना | Analysis of Your Health through Mounts in Your

हस्तरेखाओं की जानकारी एक अथाह सागर के समान है जिसे पूर्ण रुप से कभी शायद ही कोई पा सका हो. बहुत सी बातों का सूक्ष्मता से अध्ययन करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. आज हम हाथों में बनी मुद्रिका की बात करेंगे. हाथ में गुरु और शनि

हस्तरेखा शास्त्र में बहुत सी बातों का अध्ययन किया जाता है. एक कुशल हस्तरेखा शास्त्री हाथों की सभी बातों का गहराई से तथा सूक्ष्मता से विश्लेषण करने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचता है. हाथों की रेखाओं के साथ हाथ के नाखूनों का भी अत्यधिक

हस्तरेखाओं के माध्यम से हम जीवन के बहुत से योगो तथा होने वाली घटनाओ के बारे में जान सकते हैं. कई बार यह हस्त लक्षण दिशाविहीन व्यक्ति को दिशा प्रदान करने में सहायक होते हैं. आज हम हस्त रेखाओ के माध्यम से यात्रा के योगों के बारे में बताने का

हस्त लक्षणो के आधार पर व्यक्ति की अच्छाई तथा बुराई दोनो का ही पता चलता है. व्यक्ति दुर्घटना ग्रस्त हो सकता है या वह हिंसक प्रवृति का तो नहीं है आदि बातों का पता हस्त लक्षणों को देखकर पता चल सकता है. आज हम इन्ही हस्त लक्षणो की बात करेगें.

एक कुशल हस्तरेखा शास्त्री हाथ के लक्षणों को देखकर काफी कुछ बताने में सक्षम होता है. जीवन के सभी क्षेत्रों का अध्ययन हाथ की रेखाओं को देखकर किया जा सकता है. आज हम हस्तरेखाओं के आधार पर यह बताने का प्रयास करेगें कि कौन से जातक अपने परिवार की

हस्तरेखा शास्त्र में संतान का अध्ययन भी किया जाता है. यदि किसी व्यक्ति के पास अपनी जन्म कुंडली का पूरा विवरण नही है तब वह अपनी हाथ की रेखाओ के माध्यम से संतान प्राप्ति के विषय में जान सकता है कि संतान का सुख उसके हाथ में है या नहीं. हथेली

हस्तरेखा विज्ञान में हाथ का आकार व अंगुलियों के आकार प्रकार का काफी महत्व है. हर व्यक्ति का हाथ व अंगुलियों की आकृति भिन्न होती है. इसी तरह से अंगुलियों का झुकाव भी भिन्न ही होता है. अंगुलियों के झुकाव के आधार पर भी काफी कुछ बताया जा सकता

हर अंगुली का अपना अलग महत्व माना गया है. प्रत्येक अंगुली जीवन के किसी ना किसी एक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है. आज हम कनिष्ठिका अंगुली के पोरो का अध्ययन करेगें. कनिष्ठिका को सबसे छोटी अंगुली कहा जाता है और अंग्रेजी में इसे लिटल फिंगर के

सामुद्रिक शास्त्र में बहुत सी विद्याएँ आती है जिनमें हस्त रेखा विज्ञान का अपना ही महत्वपूर्ण स्थान है. जिन व्यक्तियों को अपनी जन्म कुंडली नही पता है उनके लिए यह विद्या अत्यंत लाभकारी है. हस्तरेखा शास्त्र में हर बात का महत्व है इसलिए आज हम

हस्तरेखा विज्ञान में हाथ में निहित सभी चिन्हों व रेखाओं का महत्व होता है. हर कोई अपनी एक अलग कहानी लेकर मौजूद है. अंगुली का हर पहलू महत्व रखता है और हर किसी का अलग अर्थ है. सामान्यत: अंगुली तीन मुख्य भागों में बंटी होती है. यह भाग पर्व या

आज हम तर्जनी अंगुली के पोरों के बारे मे जानने का प्रयास करेगें. हर पोर का महत्व माना गया है़ उसी के बारे में आपको बताया जाएगा. तर्जनी अंगुली का पहला पोर | First Phalange in Index Finger हर अंगुली में मुख्य रुप से तीन पर्व होते हैं और आपकी

अंगुलियों का महत्वपूर्ण स्थान हस्तरेखा शास्त्र में माना गया है. सभी अंगुलियों की अपनी विशेषता होती है. आज हम तीसरी अंगुली - अनामिका व चौथी अंगुली - कनिष्ठिका की चर्चा करेगे कि यह क्या खासियत रखती हैं. तीसरी अंगुली अनामिका की विशेषताएँ |

हस्त रेखाओं का अपना स्वतंत्र महत्व माना गया है. हस्तरेखा शास्त्र में रेखाओं के साथ अंगुलियों का भी बहुत महत्व होता है. हाथ का आकार व्यक्ति के व्यक्तित्व का बोध कराने में एक अहम भूमिका निभाते हैं, जिसमें अंगुलियों से व्यक्ति के स्वभाव व

सामुद्रिक शास्त्र के अन्तर्गत हस्तरेखा विज्ञान आता है. कई व्यक्तियों के पास अपना जन्म विवरण नहीं होता है तब उनका हाथ देखकर उनके आने वाले समय के बारे में बताया जा सकता है. हथेली की सभी बातों के साथ अंगुलियों का भी अवलोकन किया जाता है.