रुद्राक्ष के आकार और भेद | Rudraksha Size and Differences

रुद्राक्ष को धारण करना या इसका उपयोग चिंता, कष्ट, दु:ख और पापों का अंत करने वाला माना गया है. शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष का असर और प्रभाव उसके रूप, रंग, आकार पर बहुत निर्धारित करता है. रुद्राक्ष चार रंग में प्राप्त होता है सफेद, लाल, पीला और काला. इसी प्रकार वर्ण के आधार पर भी रूद्राक्ष को विभाजित किया गया है. रुद्राक्ष का आकार उसके प्रभावों को सत्यापित करता है.

आंवले के आकार जितना बड़ा रुद्राक्ष अच्छा होता है, जो रुद्राक्ष एक बदारी फल (भारतीय बेरी) के रूप में होता है वह मध्यम प्रकार का माना जाता है. जो रूद्राक्ष चने के जैसा छोटा होता है वह सबसे बुरा माना जाता है. जिस रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से छिद्र बना होता है वह उत्तम होता है और जिसमें छेद किया जाए वह अच्छा नहीं होता, भगवान शिव के भक्त को रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए.

रुद्राक्ष के एक हजार मोती पहनना लाभदायक होता है. भक्त, जब सिर पर रूद्राक्ष को धारण करे तो उसे इष्ठ मंत्र जपना चाहिए , जब रुद्राक्ष को गले में पहने तो “तात्पुरषा मंत्र” जपना चाहिए और जब इसे वक्ष और हाथ पर धारण करें तो अघोर मंत्र को जपना चाहिए, यह कल्याणकारी होता है.

रुद्राक्ष जाबालोपनिषद में संतकुमार जी कालाग्निरूद्र से पूछते हैं कि "हे भगवान! मुझे रूद्राक्ष पहनने के लिए नियमों को बताएँ. और उसी समय निदाघ , दत्तात्रेय, कात्यायन, भारद्वाज, कपिला, वशिष्ठ और पिप्प्लाद ऋषि वहां पहुंचते हैं और वह भी कालाग्निरूद्र से रूद्राक्ष को धारण करने के नियम को जानने की इच्छा प्रकट करते हैं.  तब कालाग्निरूद्र उनसे कहते हैं कि, रुद्र की अक्षि (आँखें) से उत्पन्न होने के कारण इसे रुद्राक्ष कहा गया. इस रूद्राक्ष को छूने मात्र से ही कई पाप क्षय हो जाते हैं और इस रूद्राक्ष को धारण करने पर इसका फल करोड़ों गुना बढ़ जाता है.

रुद्राक्ष का आकार विभाजन | Classification of Rudraksha on the Basis of Size

रुद्राक्ष को उसके आकार के आधार पर तीन श्रेणीयों में बांटा गया है.

प्रथम श्रेणी का रुद्राक्ष | First class Rudraksha

प्रथम श्रेणी का रुद्राक्ष उत्तम रुद्राक्ष कहा जाता है. इस रुद्राक्ष का आकार आंवले के फल के आकार के समान होता है. अत: इस प्रकार का रुद्राक्ष उत्तम श्रेणी में आता है.

द्वितीय श्रेणी रुद्राक्ष | Second class Rudraksha

दूसरी श्रेणी में आता है मध्यम दर्जे का रुद्राक्ष. जो रुद्राक्ष आकार में बेर के समान दिखाई दे वह रुद्राक्ष मध्यम श्रेणी का रुद्राक्ष कहा जाता है.

तृतीय श्रेणी का रुद्राक्ष | Third Class Rudraksha

तीसरे स्थान में रखा गया रुद्राक्ष निम्न श्रेणी के रुद्राक्ष में गिना जाता है. इसे निम्न श्रेणी का रुद्राक्ष कहते हैं. इस रुद्राक्ष का आकार चने के बराबर होता है.

रुद्राक्ष के आकार का महत्व | Significance of size in selection of Rudraksha

सभी रुद्राक्ष ही पापों को नष्ट कर शिव कृपा देने वाले होते हैं किंतु यदि उन्हें नियमानुसार धारण किया जाए तो वह चमत्कारी प्रभाव छोड़ते हैं. सही आकार, ठोस, रुद्राक्ष पहनना चाहिए. सुख-शांति एवं अच्छे भाग्य के लिए बेर के आकार का रुद्राक्ष अनुकूल माना गया है. पापों तथा अनिष्ट को दूर करने के लिए आंवले के आकार का रुद्राक्ष अच्छा माना जाता है. टूटा हुआ ,कीड़े लगा रुद्राक्ष उपयोग में नहीं लाना चाहिए. रंग, रुप, आकार के आधार पर रुद्राक्ष को एक से इक्कीस मुखी रुद्राक्ष का महत्व बताया गया है जिन्हें धारण करने से विभिन्न फलों की प्राप्ति होती है.