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लाल किताब का खाना नम्बर 9 | House No. 9 in Lal Kitab

लाल किताब के खाना नम्बर 9 को भाग्य विधाता कहा जाता है. इसे लाल किताब में किस्मत की कहानी कहते हैं. इस घर का स्वामी और कारक दोनों ही बृहस्पति हैं. लाल किताब में इस स्थान को गुरू की गद्दी कहा गया है. नौंवा घर कर्मों का

लाल किताब में आठवां भाव

लाल किताब में आठवां घर मृत्यु व बिमारी का घर कहा गया है. इस घर का स्वामी मंगल है और कारक ग्रह शनि है इसलिए इस घर को शनि-मंगल की सांझी गद्दी कहा जाता है. मंगल ही यहां वृश्चिक का भावेश भी होता है. यह भाव न्याय, बुद्धि तथा

लाल किताब का खाना नम्बर 7

लाल किताब का सातवां घर वैवाहिक जीवन तथा गृहस्थी के स्वरूप को बताता है. यह गृहस्थी का कारक है. विवाह संबंधी समस्त शुभाशुभ फलों का निर्धारण इसी से किया जा सकता है. इसी के साथ जातक अपने जीवन के निर्वाह हेतु किस काम को

लाल किताब का खाना नम्बर 6

लाल किताब में छठे घर को पाताल कहा जाता है, इसे पाताल की दुनिया, रहम का खजाना और खुफिया मदद का घर भी कहते हैं. इस घर से माता-पिता और ससुराल के साथ संबंधों का विचार करते हैं. इस घर के कारक ग्रह केतु माने गए हैं और स्वामी

लाल किताब का खाना नम्बर 5 | Fifth House of Lal Kitab

लाल किताब में पांचवां घर शुभाशुभ भाव कहलाता है. यह मिश्रित फल देने वाला होता है जीवन में मिलने वाली सफलता या असफलता सभी का विचार इस भाव से किया जाता है. संतान और संतान से संबंधी अच्छी-बुरी सभी बातों का विचार किया जाता

लाल किताब का खाना नम्बर 4 | Fourth House in Lal Kitab

लाल किताब कुण्डली के चौथे घर को माता का घर कहा जाता है. इसका स्वामी और कारक ग्रह चंद्रमा है और इस घर को केन्द्र स्थानों में से एक माना जाता है. लाल किताब में इस केन्द्र स्थानों को बंद मुट्ठी का भाव कहा जाता है. इसे बंद

लाल किताब का तीसरा भाव

लाल किताब कुण्डली में तीसरे घर को भाई बंधुओं का भाव कहा जाता है. इस घर का स्वामी बुध और कारक मंगल होता है. इस घर को मुख्यत: मृत्यु और भोग का घर माना जाता है. इस घर में राहु और बुध उच्च तथा शुक्र नीच का हो जाता है. इस घर

लाल किताब का दूसरा भाव

ज्योतिष में कुण्डली के दूसरे भाव को धन भाव कहते हैं, परंतु लाल किताब कुण्डली में इसे धर्म भाव कहा जाता है. भाव का कारक बृहस्पति होने से इसे गुरू मंदिर भी कहा जाता है. धर्म भाव में जो भी ग्रह होता है या गोचर में चलकर आता

लाल किताब का खाना नम्बर 1 | First House of Lal Kitab

लाल किताब में कुण्डली के पहले घर को राज्य सिंहासन कहते हैं. कुण्डली में ग्रहफल का ग्रह राजा कहा जाता है. ज्योतिष में इसे लग्न कहा जाता है. इस लग्न से ही जीव अर्थात रूह और माया अर्थात प्रकृत्ति का संबंध परिलक्षित होता

नाबालिग ग्रहों वाली कुण्डलियां | Lal Kitab Horoscope with Nabalig Planets (Immature Planets)

लाल किताब का विवेचन करने के उपरांत हम यह पाते हैं कि इसके अनुसार हमारे पास कुण्डलियों का अध्ययन करने के लिए अनेक कुन्डलियां होती हैं जो अनेक नामों से जानी जाती हैं जैसे अंधी कुण्डली, धर्मी कुण्डली, कायम ग्रहों वाली

जन्मदिन का ग्रह व जन्म समय का ग्रह | Time and Planet of Birth

व्यक्ति का जन्म जिस दिन को हुआ हो उस दिन को जन्मदिन का दिन तथा उस दिन के ग्रह को जन्मदिन का ग्रह कहा जाता है. जातक का जन्म जिस भी समय हुआ हो उसे जन्मसमय का ग्रह कहते हैं. जन्म दिन के ग्रह को किस्मत जगाने वाला ग्रह

आयु विशेष के लिए महत्वपूर्ण राशि व वर्ष | Planets of which sign and house will have effect according to the years of age

लाल किताब के अनुसार फलादेश करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है. यहां पर इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि उम्र के कौन से वर्ष में कौन से भाव तथा कौन सी राशि के ग्रह प्रभावित करने वाले रह सकते हैं.

ग्रहों की समय अवधि और ग्रह का प्रभाव समय | Time of speed and effects of planets in Lal Kitab

लाल किताब अनुसार यह ज्ञात किया जा सकता है कि किस आयु वर्ष में कौन सा ग्रह अपना प्रभाव विशेष प्रभाव दिखाएगा. इसी के साथ साथ इन ग्रहों को पुरुष, स्त्री एवं नपुंसक ग्रह में बांटा गया है. सूर्य ग्रह - 22 वर्ष की आयु में

लाल किताब में बारह साल की कुण्डली | Lal Kitab horoscope of a child below twelve years of Age

लाल किताब अनुसार बारह वर्ष तक की आयु के बच्चों का वर्ष फल बनाकर उपाय बताना सही नहीं होता. कुछ हालातों में बारह साल की आयु तक कुछ टेवे नाबालिग होते हैं ऎसी कुण्डली पर बच्चे की बारह साल की आयु तक अभी उसके पूर्व जन्म के

लाल किताब में बनावटी ग्रह | Lal Kitab Banavati Grah (Artificial planets)

लाल किताब कुन्डली में प्रत्येक ग्रह का अपना बनावटी ग्रह होता है. यह बनावटी ग्रह कुछ विशेष बातों पर प्रभाव डालते हैं जिसे इस प्रकार समझा जा सकता है. सूर्य - सूर्य के लिए बनावटी ग्रह बुध और शुक्र हैं. यह के स्वास्थ को

लाल किताब की विभिन्न कुण्डलियां | Different Kind of Lal Kitab Horoscopes

अंधी कुंडली | Andhi Kundali लाल किताब के अनुसार कुछ कुण्डलियों को अंधी कुण्डली कहा जाता है. यदि जन्म कुण्डली के दसवें भाव में दो या दो से अधिक ऐसे ग्रह स्थित हैं जो आपस में शत्रुता रखते हों तो ऎसी कुण्डली को अंधी

लाल किताब के अनुसार महादशा | Mahadasha of Planets according to Lal Kitab

महादशा का विचार लाल किताब में उसके आधारित नियमों द्वारा किया जाता है. यहां लाल किताब में ग्रहों की महादशा का स्वरुप वैदिक ज्योतिष की भांति एक सौ बीस वर्ष का होता है. जो इसके अपने नियमों पर चलता है. महादशा के नियम |

लाल किताब के अनुसार चंद्र कुण्डली | Chandra Kundli According to Lal Kitab

लाल किताब में चंद्र कुण्डली का बहुत महत्व होता है. जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में चंद्रकुण्डली का विवेचन किया जाता है उसी प्रकार लाल किताब पद्धति में भी चंद्र कुण्डली के द्वारा कई तथ्यों का अनुमोदन संभव होता है. लाल किताब

लाल किताब कुण्डली निर्माण | Formation of Lal Kitab Kundali

लाल किताब में निर्मित कुण्डली वैदिक ज्योतिष से भिन्न होती है. लाल किताब में लग्न मेष राशि के अंक एक से ही आरंभ होता है. अर्थात जन्म कुण्डली में चाहे कोई भी लग्न निर्मित हो रहा हो परंतु लाल किताब में सभी कुण्डलीयों का

लाल किताब क्या है | What is Lal Kitab

लाल किताब के विषय में बहुत सी धारणाएँ फैली हुई हैं. यह विद्या कैसे आरम्भ हुई इसमें भी सभी लोगों में मतभेद है. लाल किताब की गणना वैदिक ज्योतिष से भिन्न है. लेकिन वर्तमान समय में ज्योतिष सबसे बड़ी भूल यही कर रहे हैं कि वह

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