लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में केतु के साथ सूर्य, चंद्र, मंगल का संबंध | Relation Of Ketu With Sun, Moon and Mars in the Second House Of Lal Kitab

केतु और सूर्य | Ketu And Sun

लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में केतु के साथ सूर्य का होना जातक के तेज में कमी करने वाला बन सकता है उसे पिता की ओर से सहायता मे कमी भी मिल सकती है किंतु वह अपने नाम को आगे ले जाने में प्रयासरत रह सकता है. दूसरे घर में यह स्थिति होने से ग्रह एक दूसरे के प्रति सम भाव सा रखते हैं. अपना अपना फल देने की इनकी प्रवृति समान रूप से रहती है.

कभी कभी यह स्थिति जातक के बोलने में भी कटुता ला सकती है. साथ ही जातक के मनोभावों को समझने में भी मुशकिल होती है. यहां पर स्पष्टता में कमी बनी रह सकती है यदि केतु इस भाव में केतु मेष, मिथुन या वृश्चिक राशि में स्थित होता है तो उसे कुछ शुभ फल भी मिल सकते हैं. राहत की संभावना यहां पर दिखाई दे सकती है.

ससुराल पक्ष का प्रभाव घर पर बना रह सकता है. परिजनों से विरोध भी बना रह सकता है. इस घर में यदि केतु का फल बरबाद हो रहा है तो मामा पक्ष की ओर से मंदा फल मिलता है या उन्हें कोई न कोई परेशानी घेरे रहती है. केतू के फलों के खराब होने से संतान को भी मंदा फल मिलता है.

मामा के परिवार में परेशानी और उसकी संतान को कष्ट हो सकता है. इनके खराब फलों को दूसरे करने के लिए इनसे संबंधित उपायों को करने से शांति प्राप्त हो सकती है. केतु से मंदा होने पर केतु की चीजों को पानी में प्रवाहित करने से शुभता की प्राप्ति होती है.

केतु और चंद्रमा | Ketu and Moon

जातक का परिवार के लोगों के साथ मतभेद बना रह सकता है. विचारों में मेल की कमी होती है और सभी प्रकार के संबंधों में तनाव की स्थिति परेशान कर सकती है जीवन के उतार-चढाव व्यक्ति के कार्यक्षेत्र में बाधा बनकर सामने आते हैं जिस कारण प्रगति में भी बाधा आ सकती है परंतु धन के क्षेत्र में जातक को काफी सफलता भी मिलती है.

चंद्रमा और केतु का मिलाप फलों को खराब करने वाला माना गया है. इससे प्रभावित जातक बिना किसी की वजह के भी परेशानियों में घिर सकता है. यदि कुण्डली में नर ग्रह उत्तम स्थिति में हों तो जातक के लिए चंद्र और केतु का फल खराब नहीं हो पाता तथा जातक को कुछ अच्छे फल भी प्राप्त होते हैं.

जब केतु इस घर में किसी स्वग्रही ग्रह के साथ होता है तो व्यक्ति को अच्छे फल मिलते हैं वह अपने काम में अपनी कामयाबी से आगे बढ़ने में भी सफल होता है. किंतु पाप ग्रहों के संपर्क में आने पर जातक धन संचय नहीं कर पाता है. व्यर्थ के खर्चों में वृद्धि बनी ही रहती है.

केतु और मंगल | Ketu and Mars

लाल किताब कुण्डली के दूसरे घर में राहु या केतु के साथ मंगल के होने पर दोनों का अलग अलग फल मिलता है. आर्थिक स्थिति में बेहतरी बनी रहती है और व्यक्ति अपनी हकुमत चलाने वाला रहता है. जातक अशुभ भाषणकर्ता होता है. बोलने में काफी कठोर हो सकता है. राज से परेशानी हो सकती है. इसी के साथ कुछ न कुछ विद्वेष बना रह सकता है.

केतु अगर धनेश के साथ ही धन भाव में बैठा हो तो खूब सारे धन की प्राप्ती कराने में सहायक होता है. लाल किताब में केतु को ध्वजा के नाम से संबोधित करते हैं इसलिए यह ऊंचाई का प्रतीक भी माना जाता हैअत: अच्छेरूप में होने पर यह इस घर के लाभ को बढाने में सहायक बनता है और जीवन के किसी न किसी स्तर को अनुकूल करने में मददगार रहेगा.