लाल किताब कुण्डली निर्माण | Formation of Lal Kitab Kundali

लाल किताब में निर्मित कुण्डली वैदिक ज्योतिष से भिन्न होती है. लाल किताब में लग्न मेष राशि के अंक एक से ही आरंभ होता है. अर्थात जन्म कुण्डली में चाहे कोई भी लग्न निर्मित हो रहा हो परंतु लाल किताब में सभी कुण्डलीयों का लग्न मेष राशि से ही आरंभ होता है. लेकिन साथ ही साथ ग्रहों को जन्म कुण्डली के ग्रहों के स्थान पर ही स्थापित किया जाता है. क्योंक लाल किताब कई प्रकार से इसी वैदिक ज्योतिष से प्रभावित है.

लाल किताब को पूर्ण रुप से समझने के लिए हम यहाँ वैदिक ज्योतिष के साथ इसकी समानाता एंव तुलना कर सकते हैं. दोनों का एक साथ विश्लेषण करने से एक तो ज्ञान की गहराई तक पहुँच जा सकता है और दूसरा भ्रम की स्थिति भी नही रहती है.

लाल किताब में सामुद्रिक हस्त रेखा को ज्योतिष का आधार माना गया है. लाल किताब केवल फलित का ग्रन्थ है. इसलिए इसका गणित वैदिक ज्योतिष से लिया गया है. अतः कहा जा सकता है कि लाल किताब सामुद्रिक, वैदिक ज्योतिष और स्वंय के नियमों को मिलाकर निर्मित हुई है.

लाल किताब में कुण्डली का निर्माण पहले तो वैदिक ज्योतिष के आधार पर होता है तत्पश्चात लग्न भाव में मेष राशी को स्थिर रखते हुए वैदिक कुण्डली के भावों में स्थिर ग्रहों को उन्ही भावों में रखते हुए किया जाता है. क्योकि लाल किताब में भावों में राशियाँ चलायमान न होकर स्थिर रहती है अतः इस सिद्धान्त के आधार पर लाल किताब की कुण्डली में प्रत्येक लग्न मेष राशी से ही प्रारम्भ होता है.

इस प्रकार यहाँ जन्म समय एंव जन्म स्थान के सिद्धान्त को महत्व नही दिया गया है. इस नियम से प्रत्येक ग्रह की भाव राशि में परिवर्तन हो जाता है. जैसे कि वैदिक ज्योतिष से बनी कुण्डली के चतुर्थ भाव में गुरू ग्रह चाहे किसी भी राशी में हो परन्तु लाल किताब की कुण्डली के चतुर्थ भाव में गुरु कर्क राशि में ही आएगा. उदाहरण के लिए सबसे पहले वैदिक ज्योतिष के आधार पर लग्न ज्ञात करें उसके बाद नौ ग्रहो को भाव राशि में बिठाएं और फिर उसे लाल किताब की कुण्डली में परिवर्तित करने के लिए सभी ग्रहों को उन्ही भावों में रहने दें तथा प्रत्येक भाव के नम्बर मिटाकर लग्न में मेष राशि चतुर्थ भाव में कर्क राशि मानकर सभी भावों में राशियां लिख दें अब यह लाल किताब द्वारा बनी कुण्डली होगी.

लाल किताब उपयोग | Uses of Laal Kitaab

यदि आपकी कुण्डली लाल किताब के आधार पर बनी हो तब ही इन तरीकों को अपनाना चाहिए, अन्यथा नहीं.

लाल किताब का पहला नियम यह है कि अशुभ ग्रह को नष्ट कर देना चाहिए या मार देना चाहिए. लाल किताब का दूसरा उपाय यह है कि ग्रह के असर को अपने से दूर कर देना चाहिए. तीसरे उपाय के अनुसार ग्रह को ना तो मारा ही जाता है और ना ही उसे अपने से दूर किया जाता है बल्कि उसके अशुभ प्रभाव को शुभ में बदल दिया जाता है. एक अन्य तरीके के अनुसार शुभ ग्रह को स्थापित करना होता है.

पाँचवाँ उपाय यह होता है कि दो अशुभ ग्रहों के झगड़े को खतम करने के लिए किसी और शुभ ग्रह को स्थापित कर देना चाहिए. लाल किताब के उपायों का छठा नियम यह है कि ग्रह से उसके अपने ही कान पकड़वाकर उसको शुभ कर देना चाहिए. ज्योतिष के अलावा बहुत सी अन्य विधियों में भी उपायों का वर्णन मिलता है. लेकिन लाल किताब के उपाय ऎसे हैं जिन्हें लाल किताब में दी विधि के अनुसार ही करना आवश्यक होता है.

लाल किताब की शर्तों के अनुसार किया गया एक उपाय भी आपको अमृत के अनुसार फल दे सकता है लेकिन यदि लाल किताब का कोई उपाय या किसी और आप किसी और विधि के अनुसार कुण्डली का आंकलन कर रहे हैं लेकिन उपाय लाल किताब के अनुसार कर रहे हैं तब वह आपको विष के समान फल दे सकता है. इसलिए लाल किताब की कुण्डली के अनुसार ही उपाय करें.