लाल किताब और ग्रहों की दृष्टियां | Aspects of planets in Lal Kitab

लाल किताब में ग्रहों की दृष्टि के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण विचार दिए गए हैं जिनके अनुसार ग्रहों के प्रभावों को समझा जा सकता है. वैदिक ज्योतिष दृष्टि ग्रह की होती है भाव की नहीं. दूसरे पूर्ण दृष्टि ही मान्य है आधी-अधूरी नही. परन्तु लाल किताब अपने विशेष सिद्धान्त पर कार्य करती है. यहाँ दृष्टि भावों की होती है ग्रहों की नही. भाव विशेष में ग्रह के होने से ग्रह को भाव की दृष्टि मिलती है. उदाहरण के लिए प्रथम भाव सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है.

एक और सात तथा चौथे और पांचवें की पूर्ण दृष्टि होती है. पांच और नौ की तीन और ग्यारह की आधी दृष्टि होती है. आठ और छह तथा दो और बारह चौथाई दृष्टि रखते हैं.

  • प्रथम भाव पूर्ण दृष्टि से सप्तम भाव को देखता है.
  • चतुर्थ भाव पूर्ण दृष्टि से दशम भाव को देखता है.
  • तृतीय भाव आधी दृष्टि से नवम एवं एकादश भाव को देखता है.
  • पंचम भाव आधी दृष्टि से नवम भाव को देखता है.
  • द्वितीय भाव एक चौथाई दृष्टि से षष्ठ भाव को देखता है.
  • षष्श्थ भाव एक चौथाई दृष्टि से बारहवें भाव को देखता है.
  • अष्टम भाव एक चौथाई दृष्टि से बारहवें भाव को देखता है.


पूर्ण दृष्टि होने पर ग्रह एक दूसरे के ज्यादा नजदीक आ जाते हैं. आधी दृष्टि होने पर ग्रहों की आपसी ताकत आधी आधी एक दूसरे को मिल जाती है. एक चौथाई दृष्टि होने पर कुछ कम भाग की शक्ति ही एक दूसरे को प्राप्त होती है.

दृष्टि संबंधि कुछ अन्य नियम | Other rules for aspecting planets

  • आठवां भाव उल्टा देख कर भाव दो में अपनी पूर्ण दृष्टि डालता है.
  • कुण्डली में बुध अगर बारहवें भाव में हो तो वह अपनी दृष्टि छठे भाव में भी डालता है.
  • शनि यदि छठे भाव में हो तो वह अपना प्रभाव दूसरे भाव में भी डालता है.


अन्य दृष्टि तथ्य | Other facts

आपसी मदद | Mutual help

किसी भी भाव में स्थित ग्रह अपने से पांचवें भाव में स्थित ग्रह को अपनी दृष्टि द्वारा मदद ही देगा चाहे वह उसका मित्र हो या शत्रु .

बुनियाद | Foundation Kundali (Buniyad kundli)

बुनियाद कुण्डली के किसी भी भाव में स्थित ग्रह अपने से नवम भाव में स्थित ग्रह उसकी बुनियाद होंगे. लाल किताब की कुण्डली में सूर्य प्रथम भाव तथा शनि नवम भाव में स्थित है. चूंकि शनि, सूर्य से नवम भाव में स्थित है तो शनि सूर्य की बुनियाद है अतः यहाँ पर शनि, सूर्य से मित्रता का भाव रखते हुए उसकी भरपूर मदद करेगा.

आम हालत | Common condition

आम हालत में बैठे ग्रहों की दृष्टि आपसी दुश्मनी या मित्रता के साधारण नियम के अनुसार होगी. उदाहरण के लिए यदि लग्न में शनि हो और सातवें भाव में सूर्य स्थित हो आपस में शत्रुता रखते हुए भी इनकी यह स्थिति आम हालात की स्थिति ही रहेगी.

टकराव | Collision

प्रत्येक ग्रह अपने से अष्टम भाव में स्थित ग्रह से शत्रुता करता है एवं उसके शुभ प्रभाव में कमी आती है फिर वह चाहे उसका नैसर्गिक मित्र ही क्यों न हो. जैसे सूर्य एंव मंगल आपस में नैसर्गिक मित्र हैं लाल किताब की कुण्डली मे सूर्य पंचम भाव तथा मंगल दशम भाव में स्थित है. तो इस स्थिति में मंगल अपनी आँठवीं टकराव की दृष्टि से सूर्य को हानि पहुँचाएगा.

धोखा | Deception

कुण्डली के किसी भी भाव में स्थित ग्रह अपने से दसवें भाव में स्थित ग्रह को अपनी धोखे की दृष्टि से उससे संबंधित बातों पर अपना बुरा प्रभाव डालेगा.

इस बात से सिद्ध होता है कि लाल किताब में ग्रहों की नैसर्गिक मित्रता एंव शत्रुता का कोइ अर्थ नही है क्योंकि भावों की दृष्टि या दो या दो से अधिक ग्रहों के मध्य बनने वाली दृष्टियों के फलस्वरुप विभिन्न ग्रहों के आपसी सम्बन्धों में परिवर्तन आ जायेगा.

वैदिक ज्योतिष से लाल किताब का एक और अन्तर स्पष्ट होता है. वैदिक ज्योतिष के सिद्धान्त में प्रत्येक ग्रह की सप्तम दृष्टि होती है. परन्तु लाल किताब में ऎसा नहीं होता है. लाल किताब में परस्पर दृष्टि सम्बन्ध नही होता तथा ना ही भाव की विपरीत दृष्टि होती है.