लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में बुध का गुरू(बृहस्पति), शुक्र, शनि और राहु -केतु के साथ संबंध | Relations of Mercury With Jupiter, Venus, Saturn and Rahu-Ketu in the Third House of Lal Kitab

बुध और बृहस्पति | Mercury and Jupiter

बुध और बृहस्पति का योग होने पर एक तथ्य तो यह सामने आता है कि इन दोनों का संबंध बुद्धि और ज्ञान से है, अत: यह मिलकर हों तो व्यक्ति में इन गुणों का समावेश बना रहता है और उसके ज्ञान में वृद्धि होती है. उसकी समझ का दायरा विकसित होता है जो उसे आत्मविश्लेषण का भी बोध कराने में सहायक सिद्ध होता है. परंतु इन दोनों की स्थिति में कोई दुष्प्रभाव नहीं होना चाहिए अपितु इनके शुभ तत्वों में कमी होना स्वभाविक होता है.

बुध के साथ बृहस्पति का संबंध तीसरे घर में बनने पर जातक की बौद्धिकता बढ़ती है. उसे गुरू जनों का सानिध्य प्राप्त होता है. उसकी शिक्षा का स्तर भी अनुकूल रहता है. व्यक्ति को भाग्य से अधिक शिकायत करने की चाह नहीं रहती है, वह अपनी स्थिति से संतुष्ट रहने की चाह रखने वाला होता है. किसी भी काम को धैर्य से पूर्ण करने की चाह रखने में विश्वास रखता है जल्द ही किसी के द्वारा बहकावे में नहीं आता है. अपनी स्थिति के अनुरूप स्वयं को सहेजने का प्रयास करता है.

व्यक्ति आर्थिक स्थिति के लिए प्रयासरत तो सदैव बना रहता है और साथ ही साथ उसके प्रयासों में उसके बुद्धि बल बहुत सहयोग रहता है. यह दोनों ग्रह धन और राज्य व अधिकारों की पूर्ति से जुडे़ होते हैं. परंतु जब इन पर किसी पापत्व का प्रभाव पड़ता है तो इनके अनुकूल फलों की प्राप्ति में व्यवधान पड़ता है. आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ सकती है अथवा उचित-अनुचित का बोध कराने में यह सक्षम नही हो पाते हैं.

बुध और शुक्र | Mercury and Venus

बुध के साथ टेवे के तीसरे घर में शुक्र की स्थिति बुध के क्षेत्र में कलात्मकता को दर्शाने वाली होती है. अब व्यक्ति का स्वरूप अपने ज्ञान को कला के रूप में दिखाने वाला होता है. वह अपनी योग्यता को अदभुत रूप से सुंदर स्वरूप देने की चाह रखने वाला होता है उसे अपनी छोटी बहनों का प्रेम प्राप्त होता है और उनके सहयोगात्मक रूख को पाकर बहुत प्रसन्न होता है. इस स्थिति के कारण व्यक्ति को अच्छे लाभ मिल सकते हैं.

वह आर्थिक उन्नती को पा सकता है उसे शुभत्व की प्राप्ति भी हो सकती है. यह ग्रह स्वास्थ्य और आय संबंधी बातों पर प्रभाव डालने वाले होते हैं, यदि यह दोनों शुभ रूप से स्थित हों तो चंद्रमा के फलों में भी शुभता लाने की क्षमता रख सकते हैं. परंतु यदि इन पर बुरा प्रभाव परिलक्षित हो रहा होता है तो यह शुभत्व में कमी कर सकते हैं.

बुध और शनि | Mercury and Saturn

लाल किताब कुण्डली के तीसरे घर में बुध और शनि अपना-अपना फल देने वाले होते हैं. व्यक्ति कार्यक्षेत्र में अधिक बल दिखाने से दूर ही रहना चाहेगा वह अपने प्रयासों में भी कमी कर सकता है लेकिन विचारक्षमता को कभी सुस्त नहीं होने देता है. इसी के अनुरूप बुध शनि का स्वरूप दोनों के फलों में जातक के भाग्य में दिखाई देता है. बुध जहां बैठता है व जिस ग्रह के साथ बैठता है वहां के शुभ -अशुभ प्रभावों को बढ़ा देने में अपनी प्रबल भूमिका निभाता है.

बुध और शनि को सम ग्रह के रूप में माना गया है, यह एक दूसरे पर अपना प्रभाव तीसरे घर पर नहीं दिखाते हैं, यहां यह दोनों अपने फलों को देने में मुक्त होते हैं. दोनों अपने फलों को एक लम्बी अवधि तक देने में सक्षम होते हैं. इन दोनों के योग फल में बुध का भाग कम होगा और शनि का भाग अधिक होगा. इनका प्रभाव संतान पर बुरा नहीं पड़ता है.

बुध और राहु | Mercury and Rahu

बुध के साथ राहु का योग टेवे के तीसरे घर में होने पर व्यक्ति को इनके अनुकूल फल मिलने में परेशानी ही रहती है. यह दोनों अपने फलों को देने में कमी का प्रदर्शन करने वाले होते हैं. इस स्थान पर मंदे फल देने वाले हो सकते हैं. लेकिन यह दोनों एक साथ जब यहां स्थित होते हैं तो व्यक्ति के लिए काफी हद तक शुभत्व देने वाले भी बनते हैं. उसे कार्यों में कुछ उतार-चढा़व देने वाले होते हैं. इनकी स्थिति व्यक्ति को परिश्रमी बनाने में भी सहायक होती है और वह अपने सभी कामों में अपना बेहतर प्रदर्शन करने का भी प्रयास करता है.

बुध और केतु | Mercury and Ketu

टेवे के तीसरे घर में बुध का केतु के साथ संबंध होने पर स्त्री पक्ष को तनाव की स्थिति परेशान कर सकती है. यहां स्थित यह दोनों ग्रह शुभ फलों की कमी करने वाले होते हैं. यह दोनों मिलकर फलों को खराब करने वाले बन जाते हैं किसी न किसी प्रकार से इनका असर संबंधों को दुख देने में लगा रह सकता है.