वैदिक ज्योतिष में गण्डमूल नक्षत्रों को लेकर बहुत से मत पाए जाते हैं लेकिन सभी के अनुसार गण्डमूल नक्षत्रों को अशुभ ही बताया गया है. इनमें जन्मा बच्चा अपने माता-पिता अथवा परिवार के किसी अन्य सदस्य के लिए भारी माना जाता है. इन गण्डमूल नक्षत्रों में तीन नक्षत्र केतु के तो तीन नक्षत्र बुध के शामिल हैं. कुछ शास्त्रीय ग्रंथकारों के अनुसार गण्डमूल का अपवाद भी माना गया है. आज हम गण्डमूल नक्षत्र के अपवाद के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे.

गण्डमूल नक्षत्र के अपवाद “गर्ग“ मत से | Exceptions of Gandamool Nakshatra as per Garg Opinion

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार कुछ परिस्थितियों में गण्डमूल नक्षत्र होने पर भी प्रभाव कम माना गया है लेकिन मूल शांति तब भी अवश्य करानी चाहिए. गर्ग मतानुसार रविवार के दिन अश्विनी नक्षत्र में व्यक्ति का जन्म होने पर गण्डमूल का प्रभाव उस पर अपेक्षाकृत कम होता है.

रविवार के ही दिन यदि गण्डमूल नक्षत्र में आने वाले अन्य किसी नक्षत्र में भी जन्म होता है तब उनका भी जातक के जीवन पर प्रभाव कम ही माना गया है. बुधवार का दिन हो और गण्डमूल नक्षत्र - अश्विनी, मघा, मूल, अश्लेषा, ज्येष्ठा या रेवती नक्षत्र में व्यक्ति का जन्म हो तब भी मूल नक्षत्र होने पर भी प्रभाव कम माना जाता है.

गण्डमूल का अपवाद वशिष्ठ मत से | Exceptions Related to Gandamool Nakshatra as per Vashishtha Opinion

आइए अब वशिष्ठ जी के मत की बात करते हैं, उनके मतानुसार व्यक्ति का जन्म यदि अभिजित मुहूर्त्त में हुआ है तब मूल दोष काफी हद तक खतम हो जाते हैं. लेकिन कुछ अन्य लोगो के मतानुसार इस कथन को विवाह लग्न में देखना चाहिए ना कि जन्म लग्न में.

वशिष्ठ जी के मतानुसार गण्डमूल नक्षत्रों के अतिरिक्त कुछ अन्य नक्षत्रों में जन्म होने पर भी दोष माना गया है. यह दोषकारक नक्षत्र है - चित्रा व पुष्य नक्षत्र का पहला, दूसरा चरण, पूर्वाषाढ़ा का तीसरा व उत्तराषाढ़ा का पहला चरण.

इन नक्षत्रों में जन्म होने पर बच्चा माता-पिता, भाई तथा स्वयं अपने लिए कष्टकारी सिद्ध होता है. लेकिन इन दोषकारक नक्षत्रों का फल जीवनभर नहीं रहता है अपितु यह एक वर्ष तक ही अपना दोष दिखाते हैं.

वशिष्ठ जी के मतानुसार दिन के जन्म में मूल के प्रथम चरण में जन्म होने पर बच्चा माता-पिता के लिए कष्टकारी होता है. मूल के पहले चरण में रात का जन्म हो तब भी माता-पिता के लिए कष्टकारी होता है.

गण्डमूल का अपवाद बादनारायण जी के मत से | Exceptions of Gandamool Related to Baad Narayana Opinion

आइए बादनारायण जी का मत जानने का प्रयास करें. बादनारायण जी के मतानुसार मूल नक्षत्र का चंद्रमा अगर लग्नेश से संबंध बनाता है तब मूल दोष में कमी हो जाती है. चंद्रमा का लग्नेश के साथ यह संबंध दृष्टि संबंध ना होकर अन्य किसी रुप में बनता हो तब मूल दोष में कमी होती है.

ब्रह्मा जी के मतानुसार गण्ड का अपवाद | Exceptions Related to Ganda as per Lord Brahma

अब ब्रह्मा जी के मत की चर्चा करते हैं. ब्रह्मा जी के अनुसार जन्म कुंडली में चंद्रमा यदि बली अवस्था में हो तब गण्डमूल दोष कम होता है. यदि कुण्डली में गुरु बली अवस्था में हो तब लग्न गण्डांत का दोष भी कम हो जाता है. लेकिन ब्रह्मा जी कुछ दोष मानते अवश्य है, यह पूरी तरह से इस दोष को मना नहीं कर रहे हैं.