मंगल ग्रह अग्नि तत्व का ग्रह तथा भूमि का कारक माना गया है. इस ग्रह के संदर्भ में सेना संबंधी कार्यों और पुलिस विभाग से जुडे़ कामों को देखा जा सकता है. इस ग्रह के प्रभाव स्वरूप जातक में साहस और शौर्य के गुणों का निष्पादन होता है. इसके उन्नत प्रभाव के कारण ही जातक में निड़रता की भावना देखी जा सकती है किंतु यदि यह ग्रह किसी कारण से पिडी़त हो तो व्यक्ति में साहस और शक्ति की कमी होना स्वभाविक होता है.

  • यदि कार्य क्षेत्र का स्वामी होते हुए मंगल केतु, सूर्य जैसे अग्नि युक्त ग्रहों से संबंध बनाता है तो व्यक्ति अग्नि संबंधि कामों से धनोपार्जन करता है. भठ्ठी के काम, बिजली के काम, भोजन बनाने संबंधी काम या कल-कारखानों में काम कर सकता है.
  • साहस और क्रोध की अधिकता से युक्त यह ग्रह हिंसात्मक प्रभाव भी देने में सक्षम होता है. बाहुबल से युक्त कामों में इसका होना आवश्यक माना जाता है. इसलिए कर्म क्षेत्र से इसका संबंध बनने पर जातक रक्षा विभाग से जुड़ सकता है. सेना के क्षेत्र में जाकर सैन्य सुरक्षा बल में काम कर सकता है.
  • भू संपदा से संबंधित कामों में भी मंगल का प्रभुत्व रहता है. भूमि, जायदाद, मकान से इसका संबंध बनता है. जब मंगल चतुर्थेश के साथ मिलकर संबंध बना रहा होता है तो व्यक्ति भूमि किराया आदि से आय या धन पाता है. मंगल के कारण व्यक्ति प्रोपर्टी से संबंधित कामों को भी करने वाला होता है और इस क्षेत्र में उसे अच्छा लाभ भी मिलता है. दशम में स्थित होकर चौथे भाव पर दृष्टि दे रहा होता है.
  • मंगल की लग्नेश व चतुर्थेश पर दृष्टि हो और मंगल कर्म क्षेत्र का स्वामी बनकर स्थित हो तो जातक क्रूर क्रम करने की ओर प्रवृत्त रह सकता है.
  • जातक में प्रबंधन के गुण भी इस ग्रह से देखे जा सकते हैं. जब यह कर्म क्षेत्र को दर्शाता है तो व्यक्ति में प्रबंधक की योग्यता देखी जा सकती है. व्यक्ति दूसरों से काम लेने की कला जानता है और उसके गुण द्वारा वह अपने कर्मचारियों को बांधे रखने में भी सफल होता है.
  • मंगल तार्किक भाषा से युक्त होता है व्यर्थके भटकाव में नहीं रहता है. यह समझ के दायरे को विकसित करने में सहायक होता है. मंगल का पंचम भाव पर प्रभाव जातक को तीव्र बुद्धि वाला और तार्किक बनाने में सहायक होता है. जब कुण्डली में मंगल पंचम भाव का स्वामी होकर मजबूत स्थिति में होता है और व्यवसाय भाव से प्रभावित होता है तो व्यक्ति को शासक व मंत्री पद दिलाने में सहायक बनता है.
  • मंगल सेनापति है और योद्धा है, ऎसे में जब यह सूर्य ग्रह के साथ संबंध बन रहा होता है तो जातक राज्य से संबंधित कामों जैसे की रक्षा विभाग इत्यादि से जुडा़ हो सकता है. चतुर्थ भाव का स्वामी होकर मंगल चंद्र या शुक्र से प्रभावित होते हुए व्यवसाय का द्योतक बनता हो तो व्यक्ति को घर से आमदनी होती है, जायदाद का सुख मिलता है.

ज्योतिष में मंगल को सेनापती के रुप में दर्शाया गया है. यह ताकत व साहस का कारक है. मंगल ग्रह शारीरिक व मानसिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल के प्रभाव से व्यक्ति में लड़ने की क्षमता का भाव आता है. मंगल के प्रभावस्वरुप जातक सामान्यतया किसी भी प्रकार के दबाव के आगे नहीं झुकता. मंगल के द्वारा साहस, शारीरिक बल, मानसिक क्षमता प्राप्त होती है. पुलिस, सेना, अग्नि-शमन सेवाओं के क्षेत्र में मंगल का अधिकार है खेल कूद इत्यादि में जोश और उत्साह मंगल के प्रभाव से ही प्राप्त होता है. मंगल को ज्योतिष शास्त्र में अचल सम्पति, भूमि, अग्नि, रक्षा इत्यादि का कारक ग्रह है. मंगल पुरुष प्रधान ग्रह है. मंगल व्यक्ति को यौद्धाओं का गुण देता है, निरंकुश, तानाशाही प्रकृति का बनाने वाला बनता है.