जन्म कुण्डली के लग्न द्वारा जातक के जीवन के विषय में प्रभावशाली तरीके से फलित का निर्धारण किया जाता है. लग्न संपूर्ण कुण्डली की पृष्ठभूमि होता है इसके द्वारा व्यक्ति के गुणों व अवगुणों का अवलोकन करने में सहायता प्राप्त होती है. किसी भी व्यक्ति विशेष के जन्म के समय पूर्वी क्षितिज में उदित होने वाली राशि जातक का लग्न मानी जाती है.

जन्म कुण्डली में लग्न स्थान का महत्व सबसे अधिक होता है जातक के स्वभाव तथा चारित्रिक विशेषताओं के बारे में जानने के लिए यह घर बहुत महत्वपूर्ण रहता है. लग्न जातक के अच्छे-बुरे कर्मों तथा जीवन में इन कर्मों के कारण मिलने वाले फलों के बारे में बताता है. लग्न के बलवान होने पर कुंडली के कई दोष स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं. जातक को जीवन का सुख भोगने में आनंद की अनुभूति होती है

जन्म कुण्डली के लग्न में मेष राशि उदय हो रही हो तो जातक का लग्न मेष लग्न होता है. मेष लग्न में जन्मा जातक मंगल के प्रभाव से प्रभावित रहता है. इस लग्न द्वारा जातक क स्वभाव में क्रोध की अधिकता रह सकती है. वह स्वयं को अग्रीण मानते हुए नेतृत्व करने के की चाह रख सकता है. प्रवासप्रिय, चंचल मन वाला, धनवान और ऎशवर्य की चाह रखने वाला हो सकता है. पित्त प्रकृति से युक्त हो सकता है.

जन्म कुण्डली में जब वृष राशि उदय हो रही होती है तो जातक का लग्न वृष लग्न होता है. इस लग्न के स्वामी शुक्र का व्यक्ति पर प्रभाव रहेगा. जिसके फलस्वरूप जातक भाग्यशाली होते हैं. जातक का स्वभाव स्थिरता लिए होता है वह काफी धैर्यशील होता है. यह ज़िम्मेदारी और कर्तव्य के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव रखते हैं. इनके स्वभाव में ईमानदारी का गुण विद्यमान रहता है. परिवार और बड़े बुजुर्गों के प्रति आदर का भाव रखते हैं. इनकी शारीरिक बनावट आकर्षक होती है कंधे चौड़े, छाती मजबूत व आँखें बडी़-बडी़ होती हैं. यह साहसी और हंसमुख स्वभाव के व्यक्ति होते हैं और किसी भी परिस्थिति को संभालने में सक्षम होते हैं.

जन्म कुण्डली के लग्न भाव में मिथुन राशि के उदय होने के कारण जातक का जन्म मिथुन लग्न का माना जाता है. इस लग्न के स्वामी ग्रह बुध होते हैं. बुध के प्रभाव स्वरूप जातक की बौद्धिक क्षमता प्रभावित होती है. जातक प्रिय भाषी व लोगों के मध्य सम्मान पाता है. इनमें जटिल परिस्थितियों से निपटने की योग्यता रहती है यह बाहुबल से ज्यादा बौद्धिकक्षमता का उपयोग करने की कोशिश करते हैं. इनका स्वभाव विनोदी होता है तथा यह चुलबुले हो सकते हैं. व्यवहार में कुशलता व लचीलापन स्पष्ट रुप से देखा जा सकता है. जातक दोहरे स्वभाव वाले होते हैं. वाक कुशलता और संगीत व नृत्य में इनकी अभिरूचि रहती है.

जन्म के समय में लग्न में उदय होने वाली कर्क राशि के कारण जातक का जन्म कर्क लग्न में होता है. कर्क लग्न पुष्य नक्षत्र में आता है यह एक भाग्यशाली लग्न माना जाता है. इस लग्न में जन्म लेने के करण जातक अत्यंत भावुक व अस्थिर मन वाला हो सकता है. जातक बेहद संवेदनशील, जिज्ञासु होते हैं. यह अपने परिवार और दोस्तों के लिए समर्पण का भाव रखते हैं. इनकी शारीरिक बनावट मध्यम आकार की होती है. गौर वर्ण के व लंबी भुजाओं वाले होते हैं. यह बुद्धिमान, उज्ज्वल व्यक्तित्व वाले हैं.

सिंह लग्न होने पर जातक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला होता है. स्वभाव से निडर और साहसी होते है इनमें नेतृत्व की अदभुत क्षमता होती है. इनमें क्रोध की अधिकता भी रहती है. यह स्वभाव से दृढ़ निश्चयी हो सकते हैं. एकांत प्रिय होते हैं, राजा से आदर पाने वाला होता है. गंभीर प्रवृत्ति का तथा रचनात्मकता का भाव लिए होता है. यह काम को जोश के साथ करता है सिद्धान्तों व अनुशासित ढंग से कार्य करना इनकी प्रवृत्ति है. जातक महत्वाकांक्षी हैं और कभी-कभी लालची भी हो सकता है. स्वतंत्र विचारक हैं तथा रूढ़िवादी भी हो सकता है.

जन्म कुण्डली का कन्या लग्न होने पर जातक वात व कफ रोगों से ग्रसित हो सकता है. व्यवहार से कोमल व सुशील होता है. कन्या लग्न बौद्धिकता और ज्ञान से परिपूर्ण होता है. जातक कि कला व साहित्य में अधिक रूचि रहती है. जातक व्यवहारिक प्रकृति का, आवेगी तथा भावुक होता है. यह स्वभाव से अन्तर्मुखी है तथा कूटनीतिक विचारधारा वाला हो सकता है. जातक संगीत, चित्रकला तथा शिल्पकला के जानकार होते हैं. अच्छे व्यापारी बनते हैं. कन्या संततिवाले होते हैं, विदेश यात्राओं में भ्रमणशील रहते हैं.