वैदिक ज्योतिष के अन्तर्गत ही चिकित्सा ज्योतिष का भी वर्णन मिलता है. इसके माध्यम से व्यक्ति के साथ होने वाले अरिष्ट का पता पहले से ही लगाया जा सकता है. हर कुंडली में स्वास्थ्य के कुछ मापदंड पहले से ही निर्धारित होते हैं. उनके अनुसार व्यक्ति को फलों की प्राप्ति होती है. इस लेख के माध्यम से आज हम आपको दुर्घटना व चोट लगने में शामिल भाव व ग्रहों के बारे में बताएंगे फिर इनके योगो के बारे में बताएंगें.

चोट व दुर्घटना में शामिल भाव व ग्रह | Planets and Yogas Related To Injuries and Accidents

  • जन्म कुंडली के त्रिक भाव सबसे अशुभ समझे जाते हैं और इनके भावेशों को भी अशुभ ही समझा जाता है.
  • आठवें भाव तथा अष्टमेश की भूमिका भी आती है.
  • जन्म कुंडली में राहु,केतु, शनि व मंगल को भी देखा जाता है. मंगल को चोट लगने का कारक माना ही जाता है.
  • यदि वाहन से दुर्घटना के योग देखने हों तब शुक्र, चतुर्थ भाव तथा चतुर्थेश का विश्लेषण किया जाता है.
  • यदि कोई दो पापी ग्रह परस्पर षडाष्टक योग में स्थित हैं तब उनकी स्थिति अशुभ समझी जाती है.
  • परस्पर षडाष्टक स्थिति में बैठे ग्रह की दशा चलने पर यदि गोचर भी प्रतिकूल ही चल रहा हो तब दुर्घटना होने की संभावना ज्यादा बनती है.
  • दुर्घटनाओं को जन्म कुंडली के साथ वर्ग कुंडलियो में भी देखा जाना चाहिए और तब किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाना चाहिए. यदि दोनो में ही दुर्घटना के योग बनते हैं तभी दुर्घटना होगी अन्यथा कम में ही बात टल जाएगी.

जन्म कुंडली में दुर्घटना होने के योग | Yogas For Accidents

  • जन्म कुंडली में आठवाँ भाव अथवा अष्टमेश, मंगल तथा राहु से पीड़ित होने पर दुर्घटना होने के योग बनते हैं.
  • सारावली के अनुसार शनि, चंद्रमा और मंगल दूसरे, चतुर्थ व दसवें भाव में होने पर वाहन से गिरने पर बुरी दुर्घटना देते हैं.
  • जन्म कुंडली में सूर्य तथा मंगल चतुर्थ भाव में पापी ग्रहों से दृष्ट होने पर दुर्घटना के योग बनते हैं.
  • सूर्य दसवें भाव में और चतुर्थ भाव से मंगल की दृष्टि पड़ रही हो तब दुर्घटना होने के योग बनते हैं.
  • निर्बली लग्नेश और अष्टमेश की चतुर्थ भाव में युति हो रही हो तब वाहन से दुर्घटना होने की संभावना बनती है.
  • लग्नेश कमजोर हो और षष्ठेश, अष्टमेश व मंगल के साथ हो तब गंभीर दुर्घटना के योग बनते हैं.
  • जन्म कुंडली में लग्नेश कमजोर होकर अष्टमेश के साथ छठे भाव में राहु, केतु या शनि के साथ स्थित होता है तब गंभीर रुप से दुर्घटनाग्रस्त होने के योग बनते हैं.
  • जन्म कुंडली में आत्मकारक ग्रह पापी ग्रहों की युति में हो या पापकर्तरी में हो तब दुर्घटना होने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुंडली का अष्टमेश सर्प द्रेष्काण में स्थित होने पर वाहन से दुर्घटना के योग बनते हैं.
  • जन्म कुंडली में यदि सूर्य तथा बृहस्पति पीड़ित अवस्था में स्थित हों और इन दोनो का ही संबंध त्रिक भाव के स्वामियों से बन रहा हो तब वाहन दुर्घटना अथवा हवाई दुर्घटना होने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव तथा दशम भाव पीड़ित होने से व्यक्ति की गंभीर रुप से दुर्घटना होने की संभावना बनती है.

घाव तथा चोट लगने के योग | Yogas For Injuries

  • यह मंगल की पीड़ित अवस्था के कारण होने की संभावना अधिक रहती है.
  • जन्म कुंडली में यदि मंगल लग्न में हो और षष्ठेश भी लग्न में ही स्थित हो तब शरीर पर चोटादि लगने की संभावना अधिक होती है.
  • जन्म कुंडली में मंगल पापी होकर आठवें या बारहवें भाव में स्थित होने पर चोट लगने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुंडली में यदि मंगल, शनि और राहु की युति हो रही हो तब भी चोट अथवा घाव होने की संभावना बनती है.
  • चंद्रमा दूसरे भाव में हो, मंगल चतुर्थ भाव में हो और सूर्य दसवें भाव में स्थित हो तब चोट लगने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य स्थित हो, आठवें भाव में शनि स्थित हो और दसवें भाव में चंद्रमा स्थित हो तब चोट लगने की अथवा घाव होने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुंडली के छठे भाव में मंगल तथा चंद्रमा की युति हो तब भी चोट लगने की संभावना बनती है.
  • चंद्रमा तथा सूर्य जन्म कुंडली के तीसरे भाव में होने से भी चोट लगने की संभावना बनती है.
  • कुंडली का लग्नेश तथा अष्टमेश शनि और राहु या केतु के साथ आठवें भाव में स्थित हो तब भी चोट लगने की संभावना बनती है.
  • लग्नेश, चतुर्थेश तथा अष्टमेश की युति होने पर भी चोट लगने की संभावना बनती है.
  • जन्म कुंडली के लग्न में ही छठे भाव का स्वामी राहु या केतु के साथ स्थित हो.
  • जन्म कुंडली के छठे अथवा बारहवें स्थान में शनि व मंगल की युति हो रही हो.
  • जन्म कुंडली के लग्न में पाप ग्रह हो या लग्नेश की पापी ग्रह से युति हो और मंगल दृष्ट कर रहा हो.