ज्योतिष के अनुसार सभी ग्रह भ्रमण करते हुए विभिन्न प्रकार की गति को में चलते हैं जैसे कि तेज चलना या मंद गति से चलना, वक्री या अति वक्री, मध्यम गति या कुटिल गति इत्यादि. ग्रहों का अपने भ्रमण पथ पर उल्टी गति से चलना वक्रता कहलाता है, परंतु वास्तव में ग्रह उल्टे नहीं चलते बल्कि पृथ्वी की गति तथा ग्रह की गति के भेद एवं उस ग्रह की पृथ्वी से विशेष दूरी पर स्थित होने की वजह से वक्री प्रतीत होते हैं.

वक्री ग्रहों को वैदिक ज्योतिष में शक्त अवस्था में माना गया है अर्थात वक्री ग्रह सबसे अधिक शक्तिशाली होते हैं. वक्री का अर्थ है उलटा. ग्रह गोचर में हमें वक्री अवस्था में चलते प्रतीत होते हैं जबकी वास्तविकता में वह मार्गी गति में ही विचरण करते हैं. वक्री ग्रह बार-बार प्रयास कराते हैं. एक ही कार्य को करने के लिए व्यक्ति को कई बार प्रयास करने पर सफलता मिलती है. ग्रह की वक्रता उसके अन्य ग्रहों से संबंध के आधार आनुसार फल दर्शाती है.

वक्री मंगल का प्रभाव | Effects of Retrograde Mars

मंगल साहस, पराक्रम और उत्साह शक्ति प्रदान करने वाले माने जाते हैं. अत: कुण्डली में मंगल के वक्री होने कारण जातक में असहिष्णुता का भाव, अत्यधिक क्रोध और आक्रामक होना देखा जा सकता है. जातक की कार्यक्षमता सृजनात्मक नही रहती है. वक्री मंगल की दशा या अन्तर्दशा में व्यक्ति का लोगों से अधिक मतभेद हो सकता है या वह मुकदमेबाजी और कोर्ट कचहरी के चक्करों में फंस सकता है.

वक्री मंगल यदि जन्मांग में 6,8 या 12 भाव में हो तो व्यक्ति में जिद्दीपन देखा जा सकता है. व्यक्ति के व्यवहार में अड़ियल रुख हो सकता है. उसके कार्य अधूरे भी रह सकते हैं या उनमें रूकावटें उत्पन्न हो सकती हैं.

व्यक्ति किसी से भी सहयोग करना अपना अपमान समझ सकता है. जातक को स्वार्थी बना सकता है. व्यक्ति अपनी संतुष्टि एवं स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी भी प्रकार के अनुचित कार्य करने में भी संकोच नहीं करता और वक्री मंगल की दशा में जातक को अकसमात होने वाली घटनाओं का सामना भी करना पड़ सकता है.

वक्री मंगल के लिए उपाय | Remedies for Retrograde Mars

वक्री मंगल के बुरे प्रभावों से बचने के लिए कुछ कार्यों को किया जा सकता है जैसे वक्री मंगल की दशा या अन्तर्दशा में अस्त्र शस्त्रों को नही खरीदें और उनके उपयोग से बचें अपने निवास स्थान पर घातक वस्तुओं को नही रखें. वक्रता के समय कोई नया वाहन या नई संपत्ति को नही खरीदें.

वक्री मंगल की दशा में गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए. किसी भी प्रकार के आपरेशन या सर्जरी को नही कराएं. इस समय नया मुकदमा आरंभ करना उचित नहीं होता, क्योंकि इससे धन का नाश और संताप ही प्राप्त होगा. मंगल की वक्रता में छल कपट धोखा देना व्यक्ति के स्वभाव में देखा जा सकता है.

मंगल की वक्रता में मंगल मंत्र का जाप करना चाहिए, श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए तथा हनुमान जी को सिंदूर चढा़ना चाहिए. बंदरों को गुड़-चने खिलाना चाहिए. माँस व मदिरा, धूम्रपान से परहेज करना चाहिए.

वक्री ग्रह के संदर्भ में ज्योतिषशास्त्र की यह भी मान्यता है कि शुभ ग्रह वक्री होने पर व्यक्ति को सभी प्रकार का सुख, धन आदि प्रदान करते हैं जबकि अशुभ ग्रह वक्री होने पर विपरीत प्रभाव देते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति व्यसनों का शिकार होता है, इन्हें अपमान का सामना करना होता है.तो एक अन्य सिद्धान्त यह भी है कि वक्री ग्रहों की दशा में सम्मान एवं प्रतिष्ठा में कमी की संभावना रहती है. कुण्डली में क्रूर ग्रह वक्री हों तो इनकी क्रूरता बढ़ती एवं सौम्य ग्रह वक्री हों तो इनकी कोमलता बढ़ती है.इसलिए किसी ग्रह के प्रभाव का फल कथन करने से पूर्व कुण्डली का अवलोकन अवश्य करना चाहिए.