वैदिक ज्योतिष द्वारा हम कुण्डली में स्थित शिक्षा के योग के बारे में भी जान सकते हैं. जातक की शिक्षा कैसी होगी और वह शैक्षिक योग्यता में किन उचाइयों को छूने में सक्षम हो सकेगा. आज के समय में सभी अपनी शिक्षा में उच्च शिखर पाने की चाहत रखते हैं. माता पिता भी संतान की शिक्षा को लेकर चिन्तित देखे जा सकते हैं. वर्तमान समय में विद्या के क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है.

ज्योतिष के आधार पर बच्चे की शिक्षा के क्षेत्र में सहायता की जा सकती है. कुण्डली के द्वारा शिक्षा का आंकलन करने के लिए शिक्षा से जुडे़ भावों का आंकलन करके जातक की शिक्षा के बारे में बताया जा सकता है. कुण्डली के दूसरे, चौथे और पांचवें भाव से शिक्षा के बारे में जाना जाता है ग्रहों की इन भावों में अच्छी स्थिति उच्च शिक्षा में सहायक बनती है. शिक्षा के लिए नवाँश कुण्डली तथा चतुर्विंशांश कुण्डली का उपयोग अवश्य करना चाहिए. जन्म कुण्डली के पंचमेश की स्थिति इन वर्ग कुण्डलियों में देखनी चाहिए.

शिक्षा में बुध एवं गुरू ग्रह का महत्व | Importance of Mercury and Jupiter in education

ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है तथा बृहस्पति ग्रह को ज्ञान का कारक ग्रह माना गया है. इसलिए बच्चे की कुण्डली में बुध तथा गुरु दोनों की अच्छी होना अत्यंत आवश्यक होता है. यदि यह ग्रह अच्छी स्थिति में होंगे तो जातक को शिक्षा में अच्छा स्थान प्रदान करेंगे. यदि इन ग्रहों का संबंध केन्द्र या त्रिकोण भाव से है तो भी शिक्षा के स्तर में इजाफा होता है.

शिक्षा की स्थिति जानने के लिए दूसरे भाव का विवेचन करना आवश्यक होता है. बच्चे की एकदम से आरंभिक शिक्षा का स्तर तथा संस्कार दूसरे भाव से देखे जाते हैं. दूसरे भाव से परिवार से मिली शिक्षा अथवा संस्कारों का पता चलता है. बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा के बारे में इस भाव की मुख्य भूमिका मानी गई है. क्योंकि बचपन में मिली सही शिक्षा ही आगे चलकर उसकी नींव बनती है.

चौथा भाव कुण्डली का सुख स्थान कहा जाता है. आरम्भिक शिक्षा के बाद स्कूल की पढा़ई का स्तर इस भाव से देखा जाता है. इस भाव के आधार पर बच्चे की आगे की शिक्षा का स्तर बताया जा सकता है. अक्षर के ज्ञान से लेकर स्कूल तक की शिक्षा का आंकलन इस भाव से किया जाता है.

पंचम भाव को शिक्षा में सबसे महत्वपूर्ण भाव माना गया है. इस भाव का कारक ग्रह भी गुरु हैं अत: इस भाव से मिलने वाली शिक्षा आजीविका में सहयोगी होती है. इस भाव की शिक्षा नौकरी या व्यवसाय करने के लिए उपयोगी मानी जाती है. आजीविका के विषय में सही विषयों के चुनाव में यह भाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

भावों के स्वामी और शिक्षा से जुडे़ ग्रहों की वर्ग कुण्डलियों में स्थिति कैसी है इसका अध्ययन करना भी बहुत आवश्यक होता है. कई बार जन्म कुण्डली में सारी स्थिति बहुत अच्छी होती है, लेकिन फिर भी शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा नहीं होता है. क्योंकि वर्ग कुण्डलियों में संबंधित भाव तथा ग्रह कमजोर अवस्था में स्थित होते हैं. इस लिए वर्ग कुण्डली पूर्ण फलित को बताने के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होती है.