ज्योतिष में द्रेष्काण की महत्ता के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है. द्रेष्काण में किस ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है, इस बात को समझने के लिए ग्रहों की प्रवृति को समझने की आवश्यकता होती है. जिनके अनुरूप फलों की प्राप्ति संभव हो पाती है तथा जिसके फलस्वरूप जातक के जीवन में होने वाली बदलावों और घटनाओं को समझ पाना आसान होता है. ग्रहों की शुभता व क्रूरता का प्रभाव अवश्य पड़ता है जिसके प्रभाव स्वरूप व्यक्ति पर इनका असर होते देखा जा सकता है.

सूर्य का बृहस्पति के द्रेष्काण में जाने का नियम

सूर्य का बृहस्पति के द्रेष्काण में होना मित्रता की स्थिति को दर्शाने वाला होता है, इनके शुभ फलों से जातक में ज्ञान की अच्छी अभिव्यक्ति होती है. जातक अपने को संपूर्ण रूप से अभिव्यक्त करने का सामर्थ भी दिखाता है. कुण्डली में यह स्थिति उसके प्रभावों को समझने में काफी सहायक बनती है. यह स्थिति ग्रह के अनुकूल फल देने में सहायक बन सकती है. व्यक्ति के धार्मिक व सामाजिक स्तर का पता चलता है. जातक के जीवन में इस स्थिति का प्रभावशाली रूप उभर कर सामने आता है. इस स्थिति के कारण ग्रहों को बल मिलता है तथा ग्रह की शुभता को बढ़ाने में यह अपना महत्वपूर्ण योगदान देने में सहायक होती है.

सूर्य का बृहस्पति के द्रेष्काण में जाने का नियम इस प्रकार से समझा जा सकता है:-

पहला - सूर्य जब धनु राशि में 0 से 10 अंशों तक होगा तो बृहस्पति के ही द्रेष्काण धनु राशि में रहेगा.

दूसरा - सूर्य जब सिंह राशि में 10 से 20 अंशों तक का होगा तो बृहस्पति के द्रेष्काण धनु राशि में जाएगा.

तीसरा - सूर्य जब मेष राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य में स्थित होगा तो बृहस्पति के द्रेष्काण धनु राशि में जाएगा.

चौथा - सूर्य जब मीन राशि में 0 से 10 अंशों के मध्य में स्थित होगा तो बृहस्पति के द्रेष्काण मीन राशि में ही जाएगा.

पांचवां - सूर्य जब वृश्चिक राशि में 10 से 20 अंशों के मध्य स्थित होगा तो बृहस्पति के द्रेष्काण मीन राशि में जाएगा.

छठा - सूर्य जब कर्क राशि में 20 से 30 अंशों के मध्य स्थित होगा तो बृहस्पति के द्रेष्काण मीन राशि में जाएगा.

सूर्य का बृहस्पति के द्रेष्काण में होने का प्रभाव

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार किसी भी ग्रह का अपने मित्र भाव के द्रेष्काण में जाना सामान्यत: अनुकूल फल देने वाला माना जाता है. जातक के ज्ञान को शुद्ध व सात्विक भाव मिलता है, वह विद्वानों की संगती पाता है. कहीं न कहीं यह संबंध जातक के गुणों में सात्विकता देने में भी सहायक होता है. यदि सूर्य बृहस्पति के द्रेष्काण में हो तो जातक गुरूजनों का सम्मान करने वाला, पिता व अपने से बडे़ लोगों के प्रति आदर भावना रखने वाला होता है. जातक विनयशील, अतिथि का सत्कार करने वाला, गुणवान, मेधावी व वाकपटु होता है.

सूर्य धनु राशि में 0 से 10 अंशों तक

राजा का प्रिय होता और सरकार से लाभ पाता है. शस्त्र ज्ञान का जानकार, बंधुओं का हितकारी होता है. सत्व बल से युक्त होता है. स्वतंत्रता की चाह रखने वाल होता है, रोमांच के साथ जीवन जीने की चाह रखता है.  परिवर्तन की लालसा रखने वाला दार्शनिक और अन्वेषक होता है. उत्साहजनक, सकारात्मक प्रकृति का और दोस्त बनाने में भी आगे रहता हैं. जीवन में साहसिक जीवन शैली और रोमांचक जीवन के अनुभवों की कोई कमी नहीं होती है.

सूर्य सिंह राशि में 10 से 20 अंशों तक

सूर्य के इससे प्रभावित होने पर जातक युद्ध में कुशल और विजय पाता है. स्वभाव से कुछ क्रूर हो सकता है, वेदसम्मत मार्ग से दूर रहने वाला हो सकता, बुद्धिमान, मिलनसार और विनम्र होता है. कल्पनाशील होते हैं, अपने अंतर्ज्ञान का उपयोग करने में माहिर होता है.

सूर्य मेष राशि में 20 से 30 अंशों तक

जातक अपनी कृतियों और रचनाओं के कारण काफी प्रसिद्धि पाने में सक्षम होता है. जातक को क्रोध अधिक आता है, वह युद्धप्रिय हो सकता है. उसमें कौशल व शक्ति का समावेश हो सकता है. सात्विकता से युक्त अनुकूल आचरण करने वाला होता है. अनेक स्थानों में घूमने का शौकिन होता है. स्थाईत्व का अभाव रह सकता है. साहसिक कार्यों में रूचि रख सकता है.

सूर्य मीन राशि में 0 से 10 अंशों तक

जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. आध्यात्मिकता के प्रति रूझान बना रहता है. धर्म कर्म के कार्यों से जुडा़ पाता है. जातक आत्मविश्वासी और परिश्रमी बनता है. वह अपने कार्यों को लगन और साहस के साथ करता है. किसी भी कार्य को पूरे मनोयोग से करने पर जीवन में आगे बढ़ने की शक्ति भी मिलती है. शत्रुओं और विरोधियों से भय नहीं रखता है. समाज में सम्मानित स्थान पाने में भी काफी हद तक सफल हो सकता है.

सूर्य वृश्चिक राशि में 10 से 20 अंशों तक

विश्लेषणात्मक कौशल का अच्छा ज्ञान होता है. प्रतिहिंसक होना, जोड़ तोड़ की कारगुजारी करना या दूसरों से जलन की भावना भी हो सकती है. विद्रोही हो सकता है, आक्रामक, अभिमानी भी हो सकता है. अपने साथियों के प्रति वफादार होता है.

सूर्य कर्क राशि में 20 से 30 अंशों तक

शुभ गुणों से युक्त होता है और प्रसिद्धि पाने वाला होता है. काम को लेकर काफी जल्दबाजी दिखाता है. आकर्षक और सुंदर होते हैं. किसी को भी अपनी ओर करने की कला अच्छे से जानता है. मन से कोमल तथा दूसरों के प्रति उदारता का भाव रखता है. आर्थिक रूप से समृद्ध होता है. विचारशील होता है और सभी बातों को जानने की चाह रखता है.