अष्टकवर्ग में बुध के फलों के बारे में जानने के लिए उसके भिन्नाष्ट वर्ग में प्राप्त बिन्दुओं की संख्या द्वारा समझना आसान होता है. किसी जातक की कुण्डली में 0 से 3 बिन्दुओं के साथ स्थित बुध निर्बल होता है तथा उसके परिणामों में शुभता नहीं रह

वैदिक ज्योतिष का मुख्य आधार जन्म कुंडली और उसमें स्थापित नौ ग्रह, बारह राशियाँ व 27 नक्षत्र हैं. इन्हीं के आपसी संबंध से योग बनते हैं और इन्हीं के आधार पर दशाएँ होती है. ज्योतिष में बारह राशियों का अपना ही स्वतंत्र महत्व होता है. भचक्र में

किसी भी रोग के होने की संभावना को एक कुशल ज्योतिषी अपने पूर्वानुमान से बता सकता है लेकिन इसके लिए कुंडली में मौजूद बहुत सी बातों का मिलना जरुरी है. पाठको को किसी एक बात को लेकर किसी भी प्रकार का भ्रम नहीं पालना चाहिए. आज इस लेख के माध्यम

जन्म कुंडली में बहुत से शुभ - अशुभ योगो के साथ विदेश यात्रा के योग भी मौजूद होते हैं. जब अनुकूल ग्रहों की दशा/अन्तर्दशा कुंडली में चलती है तब व्यक्ति विदेश जाता है. वर्तमान समय में विदेश जाना सम्मान की बात भी समझी जाने लगी है और अधिक पैसे

वैदिक ज्योतिष में बहुत सी बातों का अध्ययन करने के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है. किसी एक बात के आधार पर फलित करना किसी की जान को खतरे में डालने जैसा काम हो सकता है. इसलिए फलकथन कहने के लिए जितनी भी आवश्यक शर्ते होती हैं उन सभी का

मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा कुण्डली का अध्ययन करके जातक को मंगल के शुभाशुभ प्रभावों को बताया जा सकता है. मंगल के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा प्राप्त अंकों से जातक की अनुकूल और विपरित परिस्थितियों को समझने का पूर्ण प्रयास किया जा सकता है. निचे

चंद्रमा के भिन्नाष्टकवर्ग द्वारा जातक के शुभाशुभ फलों के बारे में बताया जा सकता है. कुण्डली में 4 बिन्दुओं के साथ स्थित चंद्रमा औसत स्तर का फल देने वाला बनता है. परंतु यदि यह 5 से 8 बिन्दुओं के साथ हो तो जातक को जीवन में राजसी सुख की

आज के इस लेख में हम मानसिक बीमारियों के अध्ययन की बात करेगें. मानसिक बीमारी होने के बहुत से कारण होते हैं लेकिन इन कारणों का ज्योतिषीय आधार क्या है, इसकी चर्चा इस लेख के माध्यम से की जाएगी. चिकित्सा ज्योतिष में सभी बीमारियों के कुछ योग

सूर्य के भिन्न्ष्टकवर्ग से जातक के शुभाशुभ परिणामों की विवेचना की जाती है. सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है. वह आत्मा है. यह आरोग्य व चेतना शक्ति को दर्शाता है. यदि जन्म कुण्डली में सूर्य बली होकर अधिक बिन्दुओं के साथ स्थित हो तो यह अच्छे

वैदिक ज्योतिष में जीवन के हर पहलू का विश्लेषण किया गया है. जन्म से लेकर मृत्यु तक का फलकथन किया जाता है. जीवन की सभी घटनाओं की जानकारी का अध्ययन सूक्ष्मता से किया जा सकता है बशर्ते कि ज्योतिषी अत्यधिक कुशल हो. व्यक्ति को अपने भविष्य में

फिल्म लाईन में जाने के लिए प्रमुख भाव | Primary Houses For Entering Film Industry जन्म कुण्डली का हर भाव महत्वपूर्ण होता है. सभी की अपनी विशेषता होती है. कुण्डली के दशम भाव से व्यवसाय का आंकलन किया जाता है. इसलिए दशम भाव के स्वामी ग्रह,

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है, षडबल में कमजोर है, अन्य अवस्थाओं में निर्बल

अष्टकवर्ग के सर्वाष्टक में मंडल शोधन, शोधनों त्रिकोण शोधन और एकाधिपत्य शोधन करने के पश्चात शोध्य पिण्ड की गणना कि जाती है. ग्रहों के शोध्य पिण्ड निकालने का नियम हम पहले ही आपको बता चुके हैं जिसके अनुसार प्रत्येक ग्रह के और प्रत्येक राशि

त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दुसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही ग्रह हो. इस तथ्य के संदर्भ में यहां इस

त्रिकोण शोधन करने के उपरांत दूसरा शोधन एकाधिपत्य शोधन कहलाता है. इस एकाधिपत्य शोधन से तात्पर्य होता है कि एक ही ग्रह का अधिपति या स्वामी होना. यह शोधन उन दो राशियों के लिए करते हैं जिनका स्वामी एक ही ग्रह हो. इस तथ्य के संदर्भ में यहां इस

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है, षडबल में कमजोर है, अन्य अवस्थाओं में निर्बल

विवाह के सन्दर्भ में कुंडली मिलान का जिक्र आता ही है. कुंडली मिलान वह प्रक्रिया है जिसे लड़का और लड़की की कुंडली मिलाकर पूरा किया जाता है. कुंडली मिलान में मुख्य रुप से गुण मिलान और मांगलिक योग देखा जाता है. गुण कुल 36 होते हैं जिनमें से

सर्वाष्टकवर्ग में मंडल शोधन करने के पश्चात त्रिकोण शोधन करना होता है. जन्म कुण्डली में स्थित बारह राशियों को अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल के आधार पर चार वर्गों में विभाजित किया जाता है. इस तरह से हर एक वर्ग में तीन-तीन राशियां आती हैं जो आपस

सूर्य को समस्त ग्रहों में राजा का स्थान प्राप्त है. वैदिक ज्योतिष सूर्य की महिमा को जगत की आत्मा का स्वरूप कहा गया है. इनसे जीवनदायी शक्ति का आधार माना गया है. इसी के साथ इसे पूर्वजों से भी संबंधित किया जाता है. इस कारण कुण्डली में इसका

ग्रह कमज़ोर कब होता है इस बात का निर्धारण इससे किया जाता है कि कोई ग्रह कुण्डली में किस अवस्था में है यदि ग्रह नीच का है, वक्री है, पाप ग्रहों के साथ है या इनसे दृष्ट है, खराब भावों में स्थित है, षडबल में कमजोर है, अन्य अवस्थाओं में निर्बल