प्रवासी अथवा खोये व्यक्ति से संबंधित प्रश्न | Questions Related to Migrating or Missing Person

जीवन में अनेक समस्याएँ तथा कठिनाइयाँ उभरकर सामने आती हैं. कई व्यक्ति इन कठिनाईयों को बिना मानसिक परेशानियों के झेलते हैं और कई जातक परेशान हो जाते हैं. इन परेशानियों के कारण कई बार घर - परिवार में कलह भी उत्पन्न हो जाते हैं. ऎसे में कई बार व्यक्ति क्रोध में बिना कुछ सोचें घर छोड़कर चला जाता है. तब प्रश्नकर्त्ता प्रवासी के संबंध में कई प्रश्न करता है. इन प्रश्नों का उत्तर देते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. आइए आपको प्रवासी से संबंधित प्रश्नों के योगों के बारे में बता दें. सर्वप्रथम प्रवासी के आगमन से जुडे़ योगों पर चर्चा करते हैं. 

 प्रवासी का आगमन | Arrival of Migrating Person

* प्रश्न कुण्डली के द्वित्तीय तथा तृत्तीय भाव में गुरु तथा शुक्र स्थित हो तो प्रवासी वापिस आ जाता है. 

* यदि प्रश्न कुण्डली में गुरु तथा शुक्र चतुर्थ भाव में हो तो प्रवासी शीघ्र आ जाता है. 

* यदि प्रश्न कुण्डली में लग्न या चन्द्र से द्वित्तीय भाव और द्वादश भाव में बुध तथा शुक्र हों तो प्रवासी जीवित है लेकिन वह जल्दी वापिस नहीं आएगा. 

* यदि प्रश्न कुण्डली में लग्न से दूसरे तथा तीसरे भाव में गुरु तथा शुक्र हो तो विदेश गया व्यक्ति लौट आता है. 

* यदि प्रश्न कुण्डली में दूसरे, तीसरे तथा 5वें भाव में कोई शुभ ग्रह हो तो प्रवासी लौट आता है. 

* यदि प्रश्न कुण्डली के चतुर्थ भाव में गुरु और शुक्र दोनों बैठे हों तो प्रवासी और दूर के देश चला जाता है. 

* यदि प्रश्न कुण्डली में लग्नेश, लग्न में स्थित या चतुर्थ भाव में स्थित ग्रहों से इत्थशाल करता हो अथवा वक्री लग्नेश केन्द्र में बैठकर लग्न को देखता हो तो प्रवासी सुखपूर्वक लौट कर आता है. 

* यदि सातवें या छठे भाव में कोई ग्रह हो और केन्द्र में गुरु हो तो प्रवासी लौटकर आ जाता है. 

* यदि बुध या शुक्र त्रिकोण भाव में हो तो प्रवासी वापिस आ जाता है. 

* यदि प्रश्न कुण्डली में आठवें भाव में चन्द्रमा, केन्द्र में शुभ ग्रह हों तथा पाप ग्रह केन्द्र से अन्य स्थान में हों तो प्रवासी सुखपूर्वक घर आता है. 

* प्रश्न कुण्डली में पृष्ठोदय राशि में चन्द्रमा स्थित हो और वह लग्न में स्थित ग्रह से इत्थशाल करता हो तो प्रवासी शीघ्र लौटकर आता है. 

* प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा का 2,4,7 या 9 वें भाव के स्वामी के साथ इशराफ या मुत्थशिल योग बन रहा हो तो प्रवासी शीघ्र वापिस आता है. 

विदेश गए व्यक्ति के कष्ट में रहने के योग | The sum of the individual in trouble abroad

(1) प्रश्न कुण्डली में यदि लग्नेश और चन्द्रमा 4, 6 अथवा 8 भावों में नीच राशि में, अस्त हों और अष्टमेश से इत्थशाल करते हों या पाप ग्रहों से युक्त हों तो विदेश गए व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है. 

(2) प्रश्न कुण्डली के चतुर्थ भाव में नीचराशि में स्थित वक्री ग्रह के साथ चन्द्रमा इत्थशाल करता हो और चन्द्रमा शुभ ग्रहों से दृष्ट ना हों तो प्रवासी विदेश में मृत्यु को प्राप्त होता है. 

(3) प्रश्न कुण्डली में शुभ ग्रह 6, 8 तथा 12 वें स्थान में निर्बल होकर पाप ग्रहों से दृष्ट हों तथा सूर्य और चन्द्रमा लग्न में हों तो प्रश्न के समय तक प्रवासी विदेश में मर चुका होता है. 

(4) प्रश्न कुण्डली में नवम भाव में क्रूर ग्रहों से दृष्ट या युक्त शनि हो तो प्रवासी रोगग्रस्त होता है. यदि प्रश्न कुण्डली में शनि अष्टम भाव में हो तो प्रवासी की मृत्यु हो जाती है. 

(5) प्रश्न कुण्डली में यदि चन्द्रमा दुरुधरा योग बना रहा हो तो व्यक्ति बन्धन में होता है. यदि शुभ्ग्रहों के योग से दुरुधरा योग बन रहा हो तो वह प्रेम के बन्धन में होता है. यदि पाप ग्रहों से दुरुधरा योग बन रहा हो तो वह दुष्टों के बन्धन में होता है. 

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