जानिए ओपल रत्न के फायदे और कैसे बदल सकता है ये आपका भाग्य

उपल उपरत्न ओपल के नाम से अधिक विख्यात है. संस्कृत में यह स्वागराज तो हिन्दी में यह सागरराज कहलाता है. मूलरुप में उपल रंगहीन होता है परन्तु रंगहीन अवस्था में इसका मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है. प्रकृति में सोलह प्रकार के ओपल पाए जाते हैं. वैसे तो यह उपरत्न भी कई रंगों में पाया जाता है लेकिन सबसे अधिक मूल्यवान उपल काले तथा सफेद रंग के होते हैं. जिन उपल में लाल रंग की झलक दिखाई देती हैं वह उपल अच्छे किस्म के माने जाते हैं और यह अधिक मूल्यवान होते हैं.

कुछ काले उपल अपारदर्शी होते हैं. इनमें सलेटी और नीले रंग के धब्बे होते हैं. पीले रंग के दूधिया किस्म के ओपल सामान्य पत्थर हैं. हरे रंग के ओपल में विभिन्न रंगों की लहरें सी बनती हैं. वह दूसरी श्रेणी में आते हैं. नीले रंग के ओपल सबसे सस्ते होते हैं. सलेटी और बिना चमक के ओपल को निष्क्रिय समझा जाता है. नारंगी रंग की चमक जिस ओपल से निकलती हो वह व्यवसायिक दृष्टि से प्रथम श्रेणी के ओपल होते हैं. जो ओपल पारदर्शी होने के साथ बिना किसी चमक के होता है उसे फायर ओपल कहा जाता है. यह पीले और पीले-लाल रंग का होता है.

ओपल द्वारा रोग निवारण

ओपल धारण करने से आँखों के रोगों से राहत मिलती है. फायर ओपल धारण करने से शरीर के रक्त विकार तथा लाल रक्त कणिकाओं से संबंधित विकारों से छुटकारा मिलता है और मानसिक तनाव, उदासीनता और आलस्य दूर होता है. विचारों में स्पष्टता झलकती है. काला ओपल धारण करने पर व्यक्ति विशेष को अस्थि मज्जा, प्रजनन अंगों, प्लीहा अथवा तिल्ली और अग्न्याशय से संबंधित विकारों में लाभ मिलता है. लाल रक्त कणिकाएँ और सफेद रक्त कणिकाओं का शुद्धिकरण होता है. काला ओपल पहनने से व्यक्ति की शारीरिक सुरक्षा भी होती है. बुरे सपने नहीं आते.

सफेद ओपल धारण करने पर मस्तिष्क के दाएँ तथा बाएँ तंत्रिका तंत्र में संतुलन बना रहता है. सफेद रक्त कणिकाओं को ऊर्जा मिलती है. इसके अतिरिक्त ओपल सफेद अथवा काला कोई भी पहने, इसे पहनने से भाग्य में वृद्धि होती है. उत्साहवर्धन होता है. आत्मविश्वास में बढो़तरी होती है. मस्तिष्क का विकास होता है. मानसिक कार्य करने की शक्तियों का विकास होता है. व्यक्ति की दृढ़ इच्छा शक्ति का विकास होता है

उपल अथवा ओपल कौन धारण करे

जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शुक्र शुभ भावों का स्वामी है और पीड़ित अवस्था में कुण्डली में स्थित है वह ओपल उपरत्न धारण कर सकते हैं. जिस भी जातक की कुण्डली में शुक्र यदि कमजोर हो या बलहीन हो तो उस स्थिति में शुक्र को मजबूती प्रदान करने के लिए इस रत्न का उपयोग कहा गया है. जन्म कुंडली में अपनी स्थिति विशेष के कारण अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में आकर भी शुक्र बलहीन हो सकता. शुक्र के कमजोर होने पर शुक्र से संबंधित चीजों पर प्रभाव पड़ता है. यह भावनात्म हो या शारीरिक रुप सभी प्रकार से परेशान करने वाला होता है.

शुक्र का कमजोर होना जातक को दांपत्य जीवन में परेशानी उत्पन्न हो सकती है. प्रेम संबंधों, आकर्षण इत्यादि की स्थिति को प्रभावित करता है. जातक अपने संबंधों से सुख प्राप्त नही कर पाता है. यौन संबंधों पर शुक्र के कमजोर होने का बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. संतान की उत्पत्ति के लिए भी शुक्र का प्रभाव विशेष महत्व रखता है. शुक्र के कमजोर होने पर उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. शारीरिक वासनाओं को आवश्यकता से अधिक बढ़ा भी सकता है या खत्म कर सकता है. जातक किसी गुप्त रोग से पीड़ित भी हो सकता है.

जन्म कुण्डली के लग्न में बैठा शुक्र यदि कमजोर हो तो व्यक्ति अपने आप को अधिक बेहतर समझने वाला होगा. स्वंय पर खर्च करने वाला और दिखावा भी कर सकता है. भाग्य के भरोसे रहने वाला होता है.शुक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति का गलत चीजों की ओर झुकाव भी जल्द ही हो जाता है. बुरी आदतों का आदि हो सकता है. शुक्र के कमजोर होने पर व्यक्ति पर लांछन लगने की स्थिति भी बनी रह सकती है. कुण्डली में सातवें भाव का स्वामी शुक्र अगर कमजोर स्थिति में है, या सूर्य से अस्त हो रहा हो तो उस स्थिति में जातक को विवाह और शैय्या सुख की कमी हो सकती है. लव-अफेयर एक से ज्यादा हो सकते हैं.जीवन में रिश्तों का सुख मिल नही पाता है.

इसी के साथ ही अगर जन्म कुंडली में शुक्र ग्रह अच्छा हो तो भी अगर इसका रत्न धारण किया जाए तो यह उत्तम फल देता है. जैसे की अगर यह भाग्य का स्वामी ग्रह है तो इसके रत्न ओपल को धारण करने पर जातक का भाग्य उज्जवल होता है. यह व्यक्ति को संतान, सुख, सौंदर्य को देने वाला होता है.

कौन धारण नहीं करे

माणिक्य अथवा रुबी, पुखराज, मोती और इनके उपरत्नों के साथ ओपल नहीं धारण करना चाहिए. अगर आप अपने लिये शुभ-अशुभ रत्नों के बारे में पूरी जानकारी चाहते हैं तो आप astrobix.com की रत्न रिपोर्ट बनवायें. इसमें आपके कैरियर, आर्थिक मामले, परिवार, भाग्य, संतान आदि के लिये शुभ रत्न पहनने कि विधि व अन्य जानकारी भी साथ में दी गई है.

ओपल के लाभ

आर्थिक स्थिति मजबूत करता है.

आकर्षण बढा़ता है.

व्यक्ति सभी के साथ जुड़ कर काम करता है.

व्यक्ति की रचनात्मकता और कल्पना शक्ति भी प्रभावित होती है.

जातक को शारीरिक रुप से मजबूती और स्वास्थ्य लाभ देता है.

सामाजिक स्तर पर सम्मान और प्रसिद्धि दिलाने में सहायक होता है.

ओपल कब धारण करें

ओपल रत्न को वॄषभ राशि या वृषभ लग्न वालों के लिए, तुला राशि या तुला लग्न वालों के लिए उपयुक्त है. इसके साथ ही मिथुन लग्न, कन्या लग्न, मकर लग्न और कुम्भ लग्न वालों के लिए भी ओपल को धारण करना अनुकूल है. ओपल को शुक्रवार के दिन शुक्ल पक्ष में प्रात:काल धारण किया जा सकता है.