शत्रु संबंधी प्रश्न | Questions Related to Enemy

कई बार प्रश्नकर्त्ता को अपने शत्रुओं से भय रहता है. वह डरते हैं कि क्या शत्रु नुकसान पहुंचाएंगें? आजकल यह प्रश्न किसी भी सन्दर्भ में पूछा जा सकता है. यह प्रश्न प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष शत्रुओं के लिए भी पूछा जा सकता है. इस प्रश्न कुण्डली को बनाने में कुछ नियमों का ध्यान रखना होगा. अभी तक आप यह समझते आए हैं कि लग्न से प्रश्नकर्त्ता का विश्लेषण किया जाता है लेकिन इस कुण्डली को बनाने के लिए कुछ बातों का आप ध्यान रखें. जैसे यहाँ लग्न से शत्रु का आंकलन किया जाता है और सप्तम भाव से प्रश्नकर्त्ता का आंकलन किया जाता है. प्रश्नकर्त्ता को कई स्थानों स्थाई राजा से सम्बोधित किया जाएगा. आइए इसे समझें. 

  • लग्न से यायी राजा(Attacker) को देखेंगें और सप्तम भाव से स्थायी राजा अर्थात प्रश्नकर्त्ता को देखते हैं. 
  • प्रश्न के समय चर लग्न होने पर प्रश्नकर्त्ता के लिए खराब है. हमला करने वाले के लिए अच्छा है. 
  • शत्रु का आंकलन छठे भाव से किया जाएगा क्योंकि शत्रु प्रत्यक्ष नहीं है. (प्रत्यक्ष शत्रु का आंकलन सप्तम भाव से होता है.) 
  • कोई यह प्रश्न करे कि क्या शत्रु आएगा तो यह लग्न से देखा जाएगा. 
  • यदि 4,8,12 या 11 राशि चतुर्थ भाव में स्थित हो तो शत्रु की पराजय होगी. 
  • मेष, वृष, सिंह, मकर राशि का पूर्वार्ध या धनु राशि का उत्तरार्ध चतुर्थ भाव में स्थित हो तो शत्रु मार्ग से वापिस चला जाएगा. 
  • यदि प्रश्न के समय चर लग्न हो और चन्द्रमा प्रश्न कुण्डली तथा प्रश्न की नवाँश कुण्डली दोनों में ही स्थिर राशि में होगा तो शत्रु हमला करेगा. 
  • यदि द्वि-स्वभाव लग्न है और चन्द्रमा स्थिर राशि में है तो हमला कमजोर होगा. 
  • चर लग्न तथा चन्द्रमा भी चर राशि में होगा तो शत्रु पलायन करेगा. 
  • स्थिर लग्न तथा चन्द्रमा चर राशि में होने से आक्रमण नहीं होगा. यदि आक्रमण होगा तो शत्रु की हार होगी. 
  • यदि स्थिर लग्न तथा द्वि-स्वभाव राशि में चन्द्रमा है तो हमला मामूली होगा. 
  • चर लग्न यदि शुभ प्रभाव में है, युति या दृष्टि संबंध किसी से भी, आक्रमणकारी के लिए अच्छा है. यदि चर लग्न अशुभ ग्रहों के प्रभाव में है तो प्रश्नकर्त्ता के लिए अच्छा होगा. 
  • यदि स्थिर लग्न है और शुभ ग्रहों का प्रभाव है हमला ना करने पर ही आक्रमणकारि को लाभ रहेगा. हमला करने पर वह हानि प्राप्त करेगा. 
  • स्थिर लग्न अशुभ दृष्ट है तो अस्थाई राजा अर्थात प्रश्नकर्त्ता को नुकसान होगा. 
  • प्रथम, सप्तम या दशम भाव में शुभ ग्रह हैं तो स्थाई राजा की जीत होगी. 
  • यदि मंगल तथा शनि नवम भाव में स्थित है तो स्थाई राजा के लिए खराब है.  
  • बुध, शुक्र तथा बृहस्पति नवम भाव में स्थित है तो स्थाई राजा के लिए अच्छा है. 
  • प्रश्न कुण्डली में तीसरे भाव से आठवें भव तक शुभ ग्रह हैं तो स्थाई राजा अर्थात प्रश्नकर्त्ता की जीत होगी. 
  • यदि प्रश्न कुण्डली में नवम भाव से दूसरे भाव तक शुभ ग्रह हैं तो यायी राजा अर्थात आक्रमणकर्त्ता की जीत होगी. 
  • यदि नर राशि(3,6,7,11) का लग्न है और एकादश तथा द्वादश भावों में शुभ ग्रह है तो दोनों पक्षों में संधि हो जाएगी. 
  • प्रश्न के समय यदि द्वि-स्वभाव राशियों में पाप ग्रह है तो आपस में घोर विरोध होगा. यदि पाप ग्रह आमने-सामने हैं तो हिंसा जरूर होगी. 
  • नर राशि का लग्न है और केन्द्र में शुभ ग्रह है तो संधि हो जाएगी.  

क्या शत्रु आएगा? | Will Enemy Come

कई बार प्रश्नकर्त्ता का यह प्रश्न भी होता है कि क्या शत्रु आएगा? शत्रु के आने या ना आने के योग निम्नलिखित हैं. 

  • यदि चर लग्न है और चन्द्रमा स्थिर राशि में है तो शत्रु अवश्य आएगा. 
  • यदि स्थिर लग्न और चर चन्द्रमा है तो शत्रु नहीं आएगा. 
  • यदि द्वि-स्वभाव लग्न और चन्द्रमा चर राशि में है तो शत्रु आधे रास्ते से वापिस चला जाएगा.
  • चर लग्न तथा द्वि-स्वभाव चन्द्रमा है तो आक्रमण कमजोर होगा तथा आक्रमण करने वाले का नुकसान होगा. 
  • स्थिर लग्न तथा स्थिर चन्द्रमा है तो आक्रमणकारी केवल आक्रमण के बारे में सोचेगा लेकिन करेगा नहीं. 
  • चर लग्न है और लग्न में सूर्य, शनि, बुध तथा शुक्र स्थित हैं तो आक्रमण शीघ्र होगा. यदि बुध, शुक्र या शनि वक्री हों या इनमें से कोई एक ग्रह भी वक्री है तो आक्रमण नहीं होगा. 
  • यदि स्थिर लग्न है और बृहस्पति या शनि उसमें स्थित हैं या लग्न को देख रहें हैं तो कुछ नहीं होगा अर्थात हमला नहीं होगा. 
  • यदि प्रश्न कुण्डली में तीसरे भाव, पांचवें भाव तथा छठे भाव में पाप ग्रह हैं तो शत्रु अवश्य आएगा लेकिन हार-जीत का फैसला नहीं होगा. 
  • चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह हैं तो शत्रु आएगा और जीत के जाएगा. 
  • चतुर्थ भाव में सूर्य तथा चन्द्रमा हैं तो शत्रु नहीं आएगा. 
  • चतुर्थ भाव में बृहस्पति, बुध तथा शुक्र है तो शत्रु शीघ्र आएगा. 
  • यदि 1,2,5 या 9 राशि चतुर्थ भाव में है तो शत्रु वापिस लौट जाएगा. 
  • यदि चर लग्न है और सूर्य तथा बृहस्पति लग्न में है तो शत्रु आएगा. 

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