फिल्मों में सफलता प्राप्ति के योग । Yogas For Achieving Success In Films

फिल्मी जगत में कई कलाकार सफल होते हैं तो कई असफलता का मुँह देखते हैं. जो सफल होते हैं उनकी सफलता का रहस्य उनकी कुण्डली में छिपा होता है. ज्योतिष के संसार में ज्योतिषियों ने फिल्मों में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ नियम निर्धारित किए हैं. यह योग अथवा नियम बहुत से हैं. किन्तु कुछ योग सभी जगह मान्य माने गए हैं. यह योग निम्नलिखित हैं:- 

* कुण्डली में पंचम भाव या लग्न भाव का बली तथा शुभ ग्रहों से दृष्ट होना व्यक्ति को फिल्मी संसार में सफलता प्रदान कराता है. 

* दशमेश का नवांश स्वामी यदि शुक्र होता है तो व्यक्ति आभूषणों, सुगंधित पदार्थों, सिनेमा, नाटक अथवा थियेटर के माध्यम से लाभ प्राप्त करता है. 

* यदि बुध और शुक्र बली होकर शुभ स्थानों, विशेष रुप से लग्न, दशम या एकादश भाव से संबंध बना रहा है, तो अभिनय क्षेत्र में जातक सफलता पाता है.  

* यदि सूर्य, चन्द्र तथा मंगल का संबंध कुण्डली में दशम भाव या दशमेश से स्थापित है तो जातक राजनेता, बैंक अधिकारी, कलाकार, गायक अथवा वाद्य वादक होता है. 

* कुण्डली में मंगल बली होकर शुभ भावों से दृष्टि या युति संबंध स्थापित कर रहा है तो जातक को धैर्य, साहस तथा परिश्रम पूर्वक लक्ष्य की ओर बढ़ना सिखाता है. इसलिए फिल्मी  कलाकारों की कुण्डली में तृतीय भाव, तृतीयेश या मंगल का योगदान स्पष्ट रुप से देखा जाता है. 

* कुण्डली में दशम भाव या दशमेश से शुक्र का दृष्टि या युति संबंध बन रहा है तो व्यक्ति अभिनेता, नर्तक य संगीतज्ञ के रुप में सफल होता है. 

फिल्मों में सफलता के कुछ विशेष योग 

* मंगल एक ऊर्जावान ग्रह है. यह जातक को उत्साह तथा पराक्रम प्रदान करता है. ग्रहों में इसे सेनापति का दर्जा दिया गया है. यह स्वस्थ तथा परिश्रमी युवक का प्रतीक ग्रह है. बिना स्पर्धा अथवा संघर्ष के जातक को कुछ हासिल नहीं होगा. इसलिए निरंतर प्रयास तथा प्रयत्न करने पर ही कुछ सफलता हासिल होती है. सफलता पाने के लिए आवश्यक साहस तथा ऊर्जायुक्त व्यक्तित्व मंगल से मिलता है. इसलिए कुण्डली में मंगल का बली होना सिनेमा में सफलता पाने के लिए आवश्यक है. यदि मंगल मीन राशि में स्थित है तो वह कलात्मक अभिव्यक्ति को निखारता है. यदि मंगल धनु राशि में स्थित है वह जातक को उत्साह, साहस, पराक्रम तथा उमंग प्रदान करता है. 

* कलाकारों की वाणी का अच्छा होना भी आवश्यक है. बुध अच्छी वाणी, बुद्धि तथा चातुर्य का प्रतीक ग्रह है. बुध दक्षता, मैत्री, मनोरंजन तथा परस्पर सहयोग का भी कारक ग्रह है. हास्य विनोद तथा मनोरंजन से लाभ कमाने की योग्यता भी बुध के अन्तर्गत आती है. 

* शुक्र ग्रह सौन्दर्यता का प्रतीक ग्रह है. प्रेम, कला में रुचि, नृत्य संगीत तथा कला का कारक ग्रह है. अभिनय तथा संगीत में कुशलता भी शुक्र ग्रह से आती है. कुण्डली में शुक्र बली है और नवम, दशम, एकादश अथवा लग्न से संबंध बना रहा है तो जातक कला के क्षेत्र में धन, मान, सम्मान तथा यश पाता है. 

* कला के क्षेत्र में सफलता पाने के लिए लग्न, चतुर्थ तथा पंचम भाव का बली होना भी अति आवश्यक है क्योंकि लग्न से जातक का रंग-रुप, व्यक्तित्व तथा चारित्रिक विशेषताओं का पता चलता है. चतुर्थ भाव तथा चन्द्रमा जनता का प्रतीक है. जनता में लोकप्रिय होने के लिए इन दोनों का बली होना जरुरी है. कला के क्षेत्र में सफल होने के लिए चतुरता तथा बुद्धि कुशलता, कठोर परिश्रम करने की इच्छा मन में होनी चाहिए तभी व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है. इसके लिए पंचम भाव का बली होना भी जरूरी है.  

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(sematext.com)