सोमवार व्रत | Somvar Vrat Katha in Hindi - Monday Vrat Procedure (Monday Vrata Aarti) - Monday Fast in Hindi

सोमवार क व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये किया जाता है. सोमवार व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है. इस व्रत को स्त्री- पुरुष दोनों कर सकते है. इस व्रत को भी अन्य व्रतों कि तरह पूर्ण विधि-विधान से करना कल्याणकारी रहता है. शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत की अवधि सूर्योदस्य से लेकर सूर्यास्त तक के मध्य की होती है. इस व्रत में क्योकि रात्रि में भोजन किया जा सकता है, इसलिये इस व्रत को नक्तव्रत भी कहा जाता है.

सोमवार व्रत का प्रारम्भ | Starting Monday Fast

सोमवार के व्रत का प्रारम्भ शुक्ल पक्ष की प्रथम सोमवार या फिर श्रावण मास के प्रथम सोमवार से करना शुभ होता है. इस व्रत का विधि-विधान भी श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ के लिये किये जाने व्रतों के समान ही है. श्रावण मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा विशेष रुप से की जाती है. 

अगर कोई श्रावण मास में सोमवार का व्रत प्रारम्भ नहीं कर पाता है, तो वह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार या फिर मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से शुरु किये जा सकते है. इन सभी में भी श्रावण मास को सबसे अधिक शुभ कहा गया है. श्रावण मास भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है. इस मास में सोमवार व्रत प्रारम्भ करनें से उपवासक के सभी पापों का नाश होता है.

सोमवर व्रत का महत्व | Importance of Monday Fasting 

सोमवार के व्रत के विषय में एक पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को माता पार्वती ने पति रुप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिये इस व्रत को सबसे पहले किया था. इस व्रत के शुभ फलों के फलस्वरुप ही भगवान शिव उन्हें पति रुप में प्राप्त किया था, उस समय से इस व्रत को मनोवांछित पति की कामना पूर्ति के लिये भी कन्याओं के द्वारा किया जाता है.

शिव की आराधना और आशिर्वाद प्राप्त करने के लिये उपवास करने का विशेष महत्व कहा गया है. मुख्य रुप से यह व्रत परिवार और समाज को समर्पित है. इसके अतिरिक्त यह व्रत प्रेम, आपसी विश्वास, भाई चारे और मेलजोल के साथ जीवन जीने का संदेश देता है.  शिव व्रतों में सोलह सोमवार के व्रत को सबसे उतम माना गया है. 

यह व्रत क्योंकि स्त्री और पुरुष दोनों रख रख सकते है. इस व्रत को अविवाहित कन्याएं वैवाहिक जीवन की सुख-शान्ति के लिये करती है, तो सोलह सोमवार का व्रत सौभाग्यवती स्त्री अपने पति की लम्बी आयु, संतान रक्षा के साथ-साथ अपने भाई की सुख-समृ्द्धि के लिये भी करती है. पुरुष इस व्रत को संतान प्राप्ति, धन-धान्य और प्रतिष्ठा के लिये कर सकते है. 

सोमवार व्रत करने की विधि | Monday Fasting Method 

ऊपर बताये गये किसी शुभ माह समय में इस व्रत का प्रारम्भ किया जा सकता है. व इस व्रत को एक पांच साल अथवा सोलह सोमवार पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ करना चाहिए. उपवास करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह उपवास के दिन प्रात:काल में उठकर नित्यक्रियाओं से निवृ्त होकर स्नान के जल में जल में कुछ काले तिल डाल कर स्नान करें. 

स्नान करने के बाद गंगा जल या पवित्र जल से पूरे घर में छिडकाव करें. घर के ईशाण कोण में एक शांत स्थान में भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, और  "ऊँ नम: शिवाय:" मंत्र का जाप करते हुए श्वेत फूलों, चंदन, चावल, पंचामृ्त, सुपारी, फल, गंगाजल से शिव पार्वती के समक्ष इस व्रत का संकल्प लें. संकल्प करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.  

‘मम क्षेमस्थैर्यविजयारोग्यैश्वर्याभिवृद्धयर्थं सोमव्रतं करिष्ये’

संकल्प और पूजन करने के बाद व्रत की कथा सुननी चाहिए. इसके बाद आरती कर प्रसाद का वितरण करना चाहिए. इस समय भोजन में नमक का प्रयोग करने से बचना चाहिए.  

व्रत के उद्ध्यापन में सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए. जैसे: चावल, सफेद वस्त्र, बर्फी, दूध, दही, चांदी आदि का दान इस व्रत में करना शुभ होता है. यह व्रत मानसिक शान्ति के लिये भी किया जाता है. पूरे दिन उपवास कर भगवान शिव के मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए. और सूर्यास्त होने पर भोग के रुप में दूध से बनी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए. 

भगवान भोले नाथ को भोग लगा कर, धूप, दीप और सुगण्ध से पूजन कर चन्द्र देव को अर्ध्य देते हुए ऊपर दिये गये मंत्र का स्मरण करना चाहिए. तथा सोलह सोमवार के व्रत पूरे हो जाने पर उद्ध्यापन के दिन ब्राह्माण तथा बच्चों को खीर पूरी मिष्ठान आदि भोजन करा कर यथाशक्ति दान देना चाहिए. सूर्यास्त होने पर शिव का पूजन प्रदोष काल में करना सबसे अधिक शुभ होता है. 

सोमवार व्रत के फल | Result of Monday Vrat 

सोमवार व्रत का नियमित रुप से पालन करने से भगवान श्विव और देवी पार्वती की अनुकम्पा बनी रहती है. जीव्न धन-धान्य से भरा रहता है. और व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है.  

सोमवार व्रत का ज्योतिषिय महत्व | Astrological Importance of Somvar Vrat

शास्त्रों के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुण्डली में चन्द्र पीडित हों, या फिर चन्द्र अपने शुभ फल देने में असमर्थ हों, उन व्यक्तियों को चन्द्र ग्रह की शान्ति के लिये, सोमवार के व्रत का पालन करना चाहिए. निराशावाद व मानसिक सुखों में वृ्द्धि के लिये भी इस व्रत को करना लाभकारी रहता है. चन्द्र ग्रह के देव भगवान शिव है. क्योकि भगवान शिव ने चन्द्र को अपने सिर पर धारण किया हुआ है. 

और सभी ग्रहों में चन्द्र ही एक ऎसा ग्रह है तो पृ्थ्वी के सबसे निकट होने के कारण हमारे जीवन, हमारे मन को सबसे अधिक प्रभावित करता है. इसलिये जिन व्यक्तियों की जन्म राशि, जन्म नक्षत्र चन्द्र की हों, उन व्यक्तियों को सोमवार के व्रत अवश्य लाभ देते है. माता के स्वास्थय व मातृ सुख को प्राप्त करने के लिये भी इस व्रत को किया जा सकता है.   

सोमवार व्रत कथा | Monday Fast Katha

एक समय श्री भूतनाथ महादेव जी मृत्युलोक में विवाह की इच्छा करके माता पार्वती के साथ पधारे। विदर्भ देश की अमरावती नगरी जो कि सभी सुखों से परिपूर्ण थी वहां पधारे. वहां के राजा द्वारा एक अत्यंत सुन्दर शिव मंदिर था, जहां वे रहने लगे.

एक बार पार्वती जी ने चौसर खलने की इच्छा की. तभी मंदिर में पुजारी के प्रवेश करन्बे पर माताजी ने पूछा कि इस बाज़ी में किसकी जीत होगी? तो ब्राह्मण ने कहा कि महादेव जी की. लेकिन पार्वती जी जीत गयीं. तब ब्राह्मण को उन्होंने झूठ बोलने के अपराध में कोढ़ी होने का श्राप दिया.

कई दिनों के पश्चात देवलोक की अपसराएं, उस मंदिर में पधारीं, और उसे देखकर कारण पूछा. पुजारी ने निःसंकोच सब बताया. तब अप्सराओं ने ढाढस बंधाया, और सोलह सोमवार के व्रत्र रखने को बताया. विधि पूछने पर उन्होंने विधि भी उपरोक्तानुसार बतायी. इससे शिवजी की कृपा से सारे मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं.फ़िर अप्सराएं स्वर्ग को चलीं गयीं. ब्राह्मण ने सोमवारों का व्रत कर के रोगमुक्त होकर जीवन व्यतीत किया. 

कुछ दिन उपरांत शिव पार्वती जी के पधारने पर, पार्वती जी ने उसके रोगमुक्त होने का करण पूछा. तब ब्राह्मण ने सारी कथा बतायी. तब पार्वती जी ने भी यही व्रत किया, और उनकी मनोकामना पूर्ण हुई. उनके रूठे पुत्र कार्तिकेय जी माता के आज्ञाकारी हुए. परन्तु कार्तिकेय जी ने अपने विचार परिवर्तन का कारण पूछा. तब पार्वती जी ने वही कथा उन्हें भी बतायी. तब स्वामी कार्तिकेय जी ने भी यही व्रत किया.

उनकी भी इच्छा पूर्ण हुई. उनसे उनके मित्र ब्राह्मण ने पूछ कर यही व्रत किया. फ़िर वह ब्राह्मण विदेश गया और एक राज के यहां स्वयंवर में गया. वहां राजा ने प्रण किया था, कि एक हथिनी एक माला, जिस के गले में डालेगी ,वह अपनी पुत्री उसी से विवाह करेगा. वहां शिव कृपा से हथिनी ने माला उस ब्राह्मण के गले में डाल दी. 

राजा ने उससे अपनी पुत्री का विवाह कर दिया. उस कन्या के पूछने पर ब्राह्मण ने उसे कथा बतायी. तब उस कन्या ने भी वही व्रत कर एक सुंदर पुत्र पाया. बाद में उस पुत्र ने भी यही व्रत किया और एक वृद्ध राजा का राज्य पाया.

भोलेनाथ महादेव की आरती | Aarti of Lord Shiva in Hindi: 

जय शिव ओंकारा, भज शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अद्र्धागी धारा॥ ॐ हर हर हर महादेव॥
एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै।
हंसासन, गरुडासन, वृषवाहन साजै॥ ॐ हर हर ..
दो भुज चारु चतुर्भुज, दशभुज ते सोहे।
तीनों रूप निरखता, त्रिभुवन-जन मोहे॥ ॐ हर हर ..
अक्षमाला, वनमाला, रुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी, कंसारी, करमाला धारी॥ ॐ हर हर ..
श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।
सनकादिक, गरुडादिक, भूतादिक संगे॥ ॐ हर हर ..
कर मध्ये सुकमण्डलु, चक्र शूलधारी।
सुखकारी, दुखहारी, जग पालनकारी॥ ॐ हर हर ..
ब्रह्माविष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। ॐ हर हर ..
त्रिगुणस्वामिकी आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावै॥ ॐ हर हर ..