सूर्य प्रज्ञाप्ति- ज्योतिष इतिहास | Surya Pragyapati | Jyotish History | Surya Pragyapati Ayan

सूर्य प्रज्ञाप्ति ग्रन्थ में सूर्य, सौर मण्डल, सूर्य की गति, युग, आयन तथा मुहूर्त का उल्लेख किया गया है. सूर्य प्रज्ञाप्ति ग्रन्थ को वेदांग ज्योतिष का प्राचीन ओर प्रमाणिक ग्रन्थ माना जाता है. यह ग्रन्थ प्राकृ्त भाषा में लिखा गया है.  इस ग्रन्थ में विशेष रुप से सूर्य की गति, आयु निर्धारण, तथा सौर परिवार का वर्णन किया गया है. 

इसके साथ ही यह ग्रन्थ यह भी कहता है, कि पश्चिम देशों में दो सूर्य और चन्द्र है. और प्रत्येक सूर्य के 28 नक्षत्र बताये गये है. क्योंकि ये सभी सूर्य और नक्षत्र एक साथ गति कर रहे है. इसलिए मात्र एक सूर्य प्रतित होता है. सूर्य प्रज्ञाप्ति ग्रन्थ में दिन,मास, पक्ष, अयन आदि का उल्लेख है. 

सूर्य प्रज्ञाप्ति ग्रन्थ वर्णन | Surya Pragyapati Texts Description 

ज्योतिष के इस महान ग्रन्थ के अनुसार उत्तरायन में बाहरी मार्ग से पश्चिम दिशा की ओर जाता है. इस मार्ग पर चलते हुए सूर्य की गति मन्द होती है. यही कारण है, कि उत्तरायण को शुभ कार्यो के मुहूर्त के लिए प्रयोग किया जाता है. ग्रन्थ में 24 घटी का दिन माना गया है. इसके विपरीत जब सूर्य दक्षिणायन होता है, तो उसकी गति मन्द होती है. इस अवधि में 12 मुहूर्त अर्थात 9 घण्टे, 36 मिनट का दिन होता है. और 18 मुहूर्त की रात होती है. 

इस शास्त्र में यह भी उल्लेख किया गया है, कि पृ्थ्वी पर सभी जगह दिनमान एक समान नहीं होता है. इस शास्त्र में कहा गया है, कि पृ्थ्वी के मध्य नदी, समुद्र, पर्वत, पहाड और महासागरों के होने के कारण सभी जगह की उंचाई, नीचाई, अक्षांश, देशान्तर एक जैसे नहीं रहते है. 

सूर्य प्रज्ञाप्ति अयन प्रारम्भ |  Surya Pragyapati Ayan 

इस ग्रन्थ के अनुसार युग का पहला अयन दक्षिणायन, श्रवण मास कृ्ष्ण पक्ष, प्रतिपदा, अभिजीत नक्षत्र है. दूसरा अयन, उत्तरायण माघ कृ्ष्ण सप्तमी को हस्त नक्षत्र, तीसरा अयन दक्षिणायन श्रावण कृ्ष्ण त्रयोदशी, मृ्गशिरा नक्षत्र, चौथा उत्तरायण माघ शुक्ला चतुर्थी को शतभिषा नक्षत्र, पांचवा अयन दक्षिणायन श्रावण शुक्ला पक्ष दशमी तिथि, विशाखा नक्षत्र, छठा अयन उत्तरायण माघ कृ्ष्णा प्रतिपदा को पुष्य नक्षत्र, सांतवा अयन कृ्ष्णा सप्तमी तिथि, रेवती नक्षत्र, आंठवा उत्तरायण माघ कृष्णा त्रयोदशी को मूल नक्षत्र में, नौवां दक्षिणायन श्रावण शुक्ल नवमी को पूर्वाफाल्गुणी, नक्षत्र, और दसवां उत्तरायण माघ कृ्ष्ण त्रयोदशी को कृ्तिका नक्षत्र में कहा गया है.