युग या युग्ल-केदार-एकावली योग- नभस योग | Yug Yoga-Nabhasa Yoga। Kedar Yoga | Ekavali Yoga Results

ज्योतिष में योग का अर्थ दो ग्रहों की युति से है. इसके अतिरिक्त ग्रहों का योग आपसी दृ्ष्टि संबन्ध से बन सकता है. या फिर दो य दो से अधिक ग्रह आपस में भाव परिवर्तन कर रहे हों, तब भी योग बनता है. ज्योतिष योगों में नभस योगों की अपनी एक अलग विशेषता है.  इन योगों को कई नामों से जाना जाता है.  आईए इसी में से एक योग युग योग को जानने का प्रयास करते है.  

युग योग कैसे बनता है. । How is Yuga Yoga Formed 

जब कुण्डली में सभी ग्रह किन्हीं दो राशियों में हों, तो यह योग बनता है.  इस योग से युक्त व्यक्ति को माता-पिता के साथ रहने का सुख कम प्राप्त होता है. ऎसा व्यक्ति अपने गलत कार्यो के कारण समाज में निन्दा और तिरस्कार प्राप्त करता है. इस योग से युक्त व्यक्ति की आर्थिक स्थिति सामान्यत: कमजोर रहती है. साथ ही यह योग उसके स्वास्थय को भी प्रभावित करता है. 

यह योग जिन भी दो भावों में बनता है, उन दो भावों से जुडे कारकतत्वों के अनुसार व्यक्ति को फल मिलते है. उदाहरण के लिए अगर यह योग चतुर्थ और दशम भाव में बन रहा है, तो व्यक्ति के जीवन की घटनाओं में मातृ सुख, भौतिक सुख-सुविधाएं, भूमि भवन के विषय और कैरियर से जुडी घटनाएं प्रमुख होती है. 

युग योग क्योकि एक अशुभ योग है, इसलिए इस योग के अशुभ फलों में कमी करने के लिए व्यक्ति को शुभ कार्यों में अधिक से अधिक योगदान करने का प्रयास करना चाहिए. तथा धर्म क्रियाओं में शामिल होना चाहिए., 

केदार योग-नभस योग । Kedara Yoga-Nabhasa Yoga 

जब कुण्डली में सातों ग्रह किन्हीं चार राशियों में हों तो केदार योग बनता है. इस योग में जिस व्यक्ति का जन्म हुआ हो, वह व्यक्ति भूमि भवन से युक्त होता है. अपनी मेहनत से वह अपनी अचल संपति में वृ्द्धि करने में सफल रहता है.

केदार योग फल | Kedar Yoga Results 

केदार योग व्यक्ति की भौतिक सुख सुविधाओं में वृ्द्धि करने के अलावा, मातृ्सुख भी बढाता है.  ऎसा व्यक्ति भूमि विषयों से आय प्राप्त करता है. तथा वह सत्यवक्ता भी होता है. व कृ्षि के क्षेत्र में नये कार्य करने वाला होता है. इसके अतिरिक्त यह योग जिन चार राशियों में बन रहा हो, और वे चार राशियां जिन भावों में स्थित है, उन सभी भावों के कारकतत्वों की शुभता में वृ्द्धि होती है. 

एकावली योग | Ekavali Yoga

कुण्डली में शुभ योगों की अधिकता व्यक्ति के जीवन में शुभता बनाये रखने में सहयोग करती है. तथा बनने वाला योग अगर अशुभ हो तो व्यक्ति को उसके फल अशुभ रुप में प्राप्त होते है. 

एकावली योग कैसे बनता है. | How is Ekevali Yoga Formed 

जब लग्न से या किसी भी भाव से क्रम से सब ग्रह पडें हो तो एकावली योग बनता है. इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति सुखी और भौतिक सुख सुविधाओं से युक्त होता है. यह योग व्यक्ति के जीवन की बाधाओं में कमी करता है. 

एकावली योग वाले व्यक्ति के पास अपुल धन -संपति के योग बनते है.  यह योग व्यक्ति को चरित्रवान और साहसी बनाता है. और समाज में व्यक्ति को सम्मानजनक स्थान दिलाने में सायोग करता है.