तीसरा भाव क्या है | Prakrama Bhava Meaning | Third House in Horoscope | 3rd House in Indian Astrology

तृतीय भाव पराक्रम भाव भी कहलाता है. इस भाव के अन्य कुछ नाम अपिक्लिम भाव, उपचय भाव, त्रिषडय भाव है. तृ्तीय भाव से व्यक्ति की ताकत, साहस, दीर्घायु, छोटे भाई, दृ्ढता, छोटी यात्राएं, लेखन, सम्बन्ध, दिमागी उलझने, आनन्द, बाजू, नौकर, अच्छे गुण, बडे कार्य, पडोसी, दलाली, कमीशन, क्षमता, स्मरणशक्ति, साक्षात्कार, मानसिक रुझान, भौतिक प्रगति,  छोटा दिमाग, पढाई में रुचि, पत्र लेखन करता है. व 

परिवर्तन, समझौता , बस, ट्राम, रेलवे पेपर, मुनीम, तोल-मोल, साईकल, गणित, सम्पादक, खबर देने वाला, संदेशवाहक, पत्रकार, पुत्रकालय, सम्पति का बंटवारा, छपाईखाना, सम्पर्क, डाकघर, पत्र पेटी, दूरभाष, टेलीग्राफ, दूरदर्शन, टेलीविजन, हवाईपत्र, वास्तुकार, ज्योतिष, लेखक पद, पत्रकारिता, पत्राचार, प्रकाशन आदि विषयों का विश्लेषण किया जाता है. 

तीसरे भाव कौन सी वस्तुओं का कारक भाव है. | What are the characteristics of Third House.  

तीसरे भाव की कारक वस्तुओं में मंगल इस भाव से भाई, साहस, हिंसा और दीर्घायु देता है. शनि दुर्दशा और लम्बी आयु देता है. शुक्र परिवार, बुध संपर्क व संचार, पडोसी, रेलवे परिवहन, पडोसी देशों का कारक भाव है. 

स्थूल रुप में तीसरे भाव से क्या देखा जाता है. |  What does the house of Third House explains physically. 

स्थूल रुप में तीसरे भाव से भाईयों का विश्लेषण किया जाता है. 

सूक्ष्म रुप में तीसरे भाव का प्रकट करता है. | What does the House of Third House accurately explains

सूक्ष्म रुप में तीसरे भाव से व्यक्ति का साहस भाव देखा जाता है.  

तीसरे भाव से कौन से सगे-सम्बन्धी देखे जा सकते है. | Third House represents which  relationships. 

तीसरे भाव से छोटे भाई-बहन, नाना के भाई, पडोसी, माता का बडा भाई, मां का चाचा, पिता के ममेरे भाई आदि रिश्तेदार देखे जाते है. 

तीसरा भाव शरीर के कौन से अंगों का प्रतिनिधित्व करता है. | Third House is the Karak House of which body parts. 

तीसरा भाव गलाल, गरदन, भुजाएं, छाती का ऊपरी भाग, कान, स्नायु प्रणाली, थाइमस ग्रन्थी, वासनली, खाद्यानली का प्रतिनिधित्व करता है. द्रेष्कोण के अनुसार यह भाव दायें कान, दायें बाजू, जननांग का दायें भाव की व्याख्या करता है. 

तृ्तीयेश का अन्य भाव के स्वामियों के साथ परिवर्तन होने पर कौन से योग बनते है. |  3rd Lord Privartan Yoga results 

तृ्तीयेश और चतुर्थेश का परिवर्तन योग खलयोग बनाता है. यह योग व्यक्ति उत्तम श्रेणी का नेता बनाती है. इस योग के व्यक्ति को सेना या पुलिस में नौकरी मिलती है. निवास स्थान में परिवर्तन हो सकता है. माता के साथ रहने का सुख कम ही प्राप्त हो पाता है. व व्यक्ति की शिक्षा भी बाधित होती है. 

तृ्तीयेश और पंचमेश से बनने वाला परिवर्तन योग भी एक अन्य प्रकार का खल योग है, यह खल योग व्यक्ति को बुद्धिमता कि कमी देता है. इस योग के व्यक्ति की संतान स्वतन्त्र  प्रकृ्ति की होती है. (Xanax) व्यक्ति की संतान को अत्यधिक धन की प्राप्ति होती है. वह अपनी मेहनत से धन अर्जित करने में सफल होती है. और अपने माता-पिता की देखभाल कम करती है. साथ ही व्यक्ति की संतान को साहसिक विषयों में रुचि होती है. 

तृतीयेश और षष्टेश का परिवर्तन होने पर यह योग मामाओं के कल्याण के लिए अनुकुल नहीं रहता है. व्यक्ति की आय धीरे-धीरे बढती है. नौकरी में अच्छी स्थिति, भाई एक खिलाडी हो सकता है. 

तृ्तीयेश और सप्तमेश का भाव परिवर्तन होने पर एक प्रकार का खलयोग बनता है. यह खलयोग व्यक्ति को बुरे स्वभाव वाला जीवन साथी दिला सकता है. इस योग के व्यक्ति का जीवन साथी साहसी होता है. और ऎसे व्यक्ति को अपने जीवन साथी को खोना पड सकता है. 

तृ्तीयेश और अष्टमेश के परिवर्तन से बनने वाला योग व्यक्ति की दीर्घायु होती है. व ऎसे व्यक्ति को कानों की परेशानियां लगी रहती है. यह योग व्यक्ति के साह्स में कमी करता है. 

तृ्तीयेश और नवमेश का परिवर्तन होने पर भी एक प्रकार का खल योग बनता है. इस योग में दोनों भावों कें स्वामी अपने भाव को देखते होने चाहिए. ऎसे में कुण्डली का तीसरा व नवम दोनों ही भाव बली हो जाते है. और दोनों ही भावों के फल व्यक्ति को पूर्ण रुप से प्राप्त होते है.  

तृ्तीयेश और दशमेश में परिवर्तन योग बनने वाला यह खलयोग, व्यक्ति को आजीविका के क्षेत्र में उन्नति देता है. उसे आजीविका में भाईयों का सहयोग प्राप्त होता है. साथ ही इस योग का व्यक्ति साहसपूर्ण निर्णय लेने में कुशल होता है. और जोखिम लेना उसके स्वभाव का विशेष अंग होता है. 

तृ्तीयेश और एकादशेश का परिवर्तन योग बन रहा हो, तो व्यक्ति को भाई-बहनों के द्वारा धन -सम्पति प्राप्त होती है. उसके संबन्ध अपने बडे भाईयों से मधुर रहते है. यह भी एक प्रकार का खलयोग है.  

तृ्तीयेश और द्वादशेश परिवर्तन योग में शामिल हो तब, व्यक्ति को अत्यधिक विदेशी यात्राएं करने के अवसर प्राप्त होते है. वह व्यक्ति अपने भाई-बहनों पर अत्यधिक व्यय करता है.