अम्बर रत्न के फायदे

अम्बर उपरत्न विभिन्न रंगों में उपलब्ध होता है. यह पीले रंग से लेकर लाल रंग तक के रंगो में पाया जाता है. परन्तु अम्बर उपरत्न का रंग सामान्यतया शहद के रंग जैसा होता है. इसी रंग का अम्बर अधिक प्रचलित है. सबसे अच्छा अम्बर उपरत्न पारदर्शी होता है. कुछ धुँधलें अम्बर भी पाए जाते हैं. यह उपरत्न वनस्पतिजन्य पदार्थ है इसलिए इस उपरत्न में कई बार कीडे़ और पत्थर के कण भी पाए जाते हैं. कई बार इसमें पत्तियाँ, देवदार के वृक्षों की नोक, छोटे पौधे और कुछ जन्तुओं के जीवाश्म भी इसमें पाए जाते हैं. इस उपरत्न की उत्पत्ति वृक्ष के रस-गोंद से होती है. ऎसा माना जाता है कि रत्न पहनने की प्रथा अम्बर से ही हुई है.

अम्बर के गुण

यह उपरत्न आँखों के लिए बहुत ही उपयोगी है. गले और फेफडों की ग्रंथियों में होने वाली सूजन इस उपरत्न को धारण करने से दूर होती है. यह उपरत्न अंत:स्त्रावी ग्रंथियों तथा पाचन तंत्र के क्रिया-कलापों के मध्य संतुलन बनाए रखता है. यह शरीर की सुरक्षा करता है और गॉयटर को कम करता है. दाँतों की सुरक्षा, सिरदर्द, तनाव, सर्दी से होने वाले विकार, पीलिया आदि बीमारी को दूर करने के लिए उपयोगी है. यह रत्न पहनने वाले व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ मिलता है, व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक व्याधी से भी मुक्ति मिलती है.

कई बार व्यक्ति के अंदर अत्यधिक उत्साह देखने को मिलता है या हम देखते हैं कि कुछ बच्चों में जोश है वह नियंत्रित करने की आवश्यकता है तो इस स्थिति में यह रत्न अधिक सहायक बनता है. व्यर्थ के उत्साह और उत्साह को नियंत्रित रखने में सहयोग करता है.

ये रत्न मानसिक उन्मांद की स्थिति को शांत करने में सहायक होता है. एकाग्रता को बढ़ाता है ओर व्यक्ति में सिखने की प्रवृति को जन्म देता है. हीलिंग थैरिपी के रुप में भी इस रत्न का उपयोग फायदेमंद होता है. यह बुरी सोच और गलत चीजों से व्यक्ति को दूसर रखने में सहायक बनता है.

अम्बर के अलौकिक गुण

इस उपरत्न को धारण करने से भाग्य वृद्धि होती है. यह अच्छे भाग्य का सूचक माना जाता है. इसका संबंध लम्बी आयु से भी जोडा़ जाता है. यह उपरत्न निर्णय लेने की क्षमता का विकास करता है. व्यक्ति की याद्धाश्त तथा ऊर्जा में भी बढोतरी करता है. यह उपरत्न नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने की क्षमता रखता है. व्यक्ति विशेष को आंतरिक ऊर्जा प्रदान करता है. बच्चों के गले में बाँधने से वह रोगों से बचे रहते हैं. दाँत निकालने में बच्चों को तकलीफ नहीं होती. बच्चे बुरी नजर से बचे रहते हैं.

इस रत्न को बहुत अधिक समय तक धारण नहीं करना चाहिए. कभी-कभी इसे उतार कर रख देना चाहिए अथवा दिन में धारण करके रात्रि में सोने से पहले उतार कर रख देना ही उचित है.

कौन धारण करे

अम्बर उपरत्न को वह व्यक्ति धारण कर सकते हैं जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शुक्र या बृहस्पति अच्छे भावों का स्वामी होकर निर्बल अवस्था में स्थित है. पुखराज के बदले इस उपरत्न को पहना जा सकता है.

कौन धारण नहीं करे

राहु, केतु, नीलम तथा चन्द्र के रत्नों तथा उपरत्नों के साथ अम्बर उपरत्न को धारण नहीं करना चाहिए.

कैसे धारण करें

अम्बर या कहें एम्बर रत्न को आभूषणों में भी उपयोग किया जाता है. इस रत्न को अंगूठी, ब्रेसलेट और पेंड़ेट इत्यादि में जड़वा कर उपयोग कर सकते हैं. कुछ के अनुसार ये रत्न शुक्र के लिए उपयोगी है तो कुछ के अनुसार बृहस्पति के लिए तो कुछ इसे मंगल के रत्न के रुप में भी पहनने कि सलाह दे देते हैं. इस कारण इस रत्न का उपयोग बृहस्पतिवार, शुक्रवार के दिन धारण करना चाहिए साथ ही शुक्ल पक्ष की तिथि का चयन करना चाहिए.

प्रात:काल में अंबर स्टोन से जड़ित आभूषण को गंगा जल और कच्चे दूध से स्नान कराने के बाद धूप-दीप दिखा कर इसे पहनें. शुभ मुहूर्त समय धारण किए जाने पर रत्न की शुभता और उसका फल कई गुना बढ़ जाता है.

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