सिन्हेलाईट उपरत्न | Sinhalite Gemstone | Sinhalite - Metaphysical Properties

इस उपरत्न का यह नाम सिंहला नाम पर पडा़ है. सीलोन द्वीप को संस्कृत में सिंहला या सिंहली कहते थें. वर्तमान श्रीलंका का यह प्राचीन नाम है. यह उपरत्न इस द्वीप पर पाए जाने से सिन्हेलाईट कहलाता है. इस उपरत्न की सर्वप्रथम खोज 1952 में हुई थी. इस उपरत्न के साथ एक कहावत यह जुडी़ है कि प्राचीन समय में सूलेमान, जो बाईबिल राजा था, वह इस उपरत्न को श्रीलंका से रानी शेबा(Sheba) का दिल जीतने के लिए लाया था. इस उपरत्न के विषय में कैथे तथा अरब की खाडी़ के देशों में बहुत सी कहानियाँ प्रचलित हैं. वहाँ पाए जाने वाले उपरत्नों में से कुछ बहुत ही प्रसिद्ध हो गए जैसे - सिन्हेलाईट और सीलोनाईट.

सिन्हेलाईट उपरत्न एक दुर्लभ उपरत्न है और यह केवल श्रीलंका में ही प्रचुर रुप में पाया जाता है. रत्नों के बाजार में इस उपरत्न को अधिक सफलता नहीं मिल पाई है. इसकी माँग कम ही है. जब इस उपरत्न की खोज हुई थी तब इसे भूरा पेरीडोट समझा गया था. लेकिन सूक्ष्मता से अध्ययन करने पर यह एक नया उपरत्न निकला. कटे हुए सिन्हेलाईट के टुकडे़ जर्कन तथा क्राइसोबेरिल उपरत्नों का भ्रम पैदा करते हैं. यह उपरत्न विभिन्न प्रकार के रत्नों को जमा करने वालों के लिए बेहतर है.

यह देखने में चमकदार उपरत्न है. यह पारदर्शी तथा पारभासी किस्मों में पाया जाने वाला उपरत्न है. यह उपरत्न दो दिशाओं में विखंडित होते दिखाई देता है. इसमें सफेद रंग की लकीरें अथवा धारियाँ दिखाई देती हैं. इस उपरत्न को भिन्न कोणों से देखने पर यह भिन्न रंगों में दिखाई देता है. यह उपरत्न देखने में बहुत ही स्पष्ट होता है.

सिन्हेलाईट के गुण | Metaphysical Properties Of Sinhalite

यह उपरत्न धारक को स्वयं के भीतर सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है. उसकी धारणा को प्रोत्साहित करता है. यह हर दृष्टि से वृद्धि करने में सहायक होता है. यह धारणकर्त्ता के जीवन में कई कोणों से सुधार करता है. यह उपरत्न धारणकर्त्ता का उत्थान करने में मददगार होता है. यह किसी भी कार्य को समाप्त करने की क्षमता को प्रदान करता है. जातक के भीतर इस बात को विकसित करता है कि वह किसी भी कार्य को बीच में छोडे़.

सिन्हेलाईट के रंग | Color Of Sinhalite Crystals

यह उपरत्न मध्यम भूरा होता है अर्थात ना अधिक गहरा और ना ही बहुत अधिक फीका होता है. बहुत ही थोडा़ सा पीला रंग, भूरे रंग में दिखाई देता है. कई बार यह उपरत्न हरे-भूरे रंग की मिश्रित आभा लिए हुए भी होता है. कई बार यह हरे-पीले रंग की आभा लिए हुए होता है. 

कहाँ पाया जाता है | Where Is Sinhalite Gemstone Found

इस उपरत्न की प्रमुख खानें श्रीलंका में पाई जाती हैं. वहाँ यह प्रचुरता में पाया जाता है. वर्तमान समय में यह उपरत्न म्यांमार, यह रुस में साइबेरिया में पाया जाता है. इसके अतिरिक्त यह जहाँ भी पाया जाता है बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है.

कौन धारण करे | Who Should Wear Sinhalite

इस उपरत्न को सभी व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्त्ति के अनुसार धारंण कर सकते हैं. इसे शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन धारण किया जा सकता है. धारक इसे अपनी सुविधानुसार अंगूठी अथवा लॉकेट में धारण कर सकते हैं.

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