Articles in Category jyotish

जैमिनी ज्योतिष में राजयोग का आप पर प्रभाव

ज्योतिष में शुभता का प्रभाव योग के फलों के द्वारा समझा जा सकता है. किसी भी ग्रह की शुभता अकेले से ही निर्मित नही होती है अपितु उसके साथ कई अन्य फैक्टर भी काम करते हैं. इसी श्रेणी में वैदिक पराशर

राहु चंद्रमा का का युति फल, हेरफेर का समय

राहु के साथ चंद्रमा का प्रभाव विभिन्न फल प्रदान करने वाला होता है. इसका असर गहराई से पड़ता है. राहु एक पाप ग्रह है चंद्रमा एक शुभ ग्रह है. ग्रह के साथ का प्रभाव मिलकर कई तरह से अपना असर दिखाने वाला

शुक्र चंद्रमा और मंगल का त्रि ग्रही योग

चंद्रमा और शुक्र दो जलीय ग्रह है लेकिन मंगल अग्नि तत्व युक्त ग्रह है. चंद्र शुक्र स्त्रैण ऊर्जाएं हैं और मंगल पौरुष ऊर्जा है. यह तीनों जब एक साथ होते हैं तो असरदायक रुप से प्रभावित करते हैं.

जन्म कुंडली में शुभ अशुभ राज योग क्या दर्शाता है?

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि राज योग एक ऐसा योग है जो व्यक्ति को राजा जैसा भाग्य प्रदान करता है, इस कारण से ही इसे राजयोग कहा गया है. जिसकी कुंडली में यह योग होता है उस व्यक्ति को कई तरह के फल प्राप्त

गुरु का अष्टकवर्ग में निर्बल होने का फलकथन

अष्टकवर्ग में त्रिकोण शोधन एक महत्वपूर्ण शोधन होता है. यह ग्रह की स्थिति एवं उसकी क्षमता को दर्शाता है. अष्टकवर्ग के सिद्धांतों का सही प्रकार से उपयोग करने के बाद कुण्डली की विवेचना करने में ओर उसके

कर्क लग्न के लिए सभी ग्रहों का दशा फल

कर्क लग्न को एक अत्यंत ही शुभ लग्न के रुप में जाना जाता है. यह चंद्रमा के स्वामित्व की राशि का लग्न होता है. इस पर चंद्रमा के गुणों के साथ राशि गुणों का भी गहरा असर देखने को मिलता है. कर्क लग्न में

प्रश्न कुंडली से जानें संतान के होने का योग

प्रश्न कुंडली में स्थित ग्रहों की स्थिति यह निर्धारित करती है कि व्यक्ति संतान सुख प्राप्त कर पाएगा या नहीं. कुंडली में बनने वाले योग कुछ वैदिक नियमों और सिद्धांतों पर आधारित होते हैं. इस लेख में हम

राशि से जाने अपने पार्टनर के मन की बात

ज्योतिष शास्त्र में राशियों के द्वारा संबंधों की जटिलताओं को समझने में बहुत सहायता प्राप्त होती है. राशियों का उपयोग आपसी कम्पेटिबिलिटी को समझने के लिए किया जाता रहा है. राशि चक्र में प्रत्येक राशि

करियर ज्योतिष कैसे बन सकती है हमारे लिए सहायक

करियर ज्योतिष एक बेहद की उपयोगी और सहायक बन सकता है उन सभी के लिए जो अपने काम को लेकर कई तरह की दुविधाओं में फंसे होते हैं. ज्योतिष में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि एक अच्छा करियर पाने के

लग्न के अनुसार जानिए शनि दशा प्रभाव

विंशोत्तरी महादशा प्रणाली की गणना के अनुसार मनुष्य के जीवन में 9 ग्रह और 9 महादशाएं होती हैं. शनि महादशा की अवधि 20 वर्ष होती है. शनि की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशाएं भी होती हैं, जो व्यक्ति

राहु का अपने शत्रु और मित्र ग्रह नक्षत्र के साथ आप पर पड़ने वाला प्रभाव

नक्षत्रों की भूमिका को ज्योतिष में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. यदि ज्योतिष में कृष्णमूर्ति पद्धिति की बत की जाए तो उसमें नक्षत्रों का ही बोलबाला रहा है. हर प्रकार की भविष्यवाणि में नक्षत्र की स्थिति

करियर में अच्छी सफलता के ज्योतिषीय योग क्या हैं

करियर किसी भी क्षेत्र में हो उसमें सफलता की चाह ओर एक अच्छी प्रगत्ति को पाने का संघर्ष सभी के द्वारा जारी रहता है. ऎसे में कौन सा करियर विकल्प रुचियों के अनुरूप हो और उसमें सफलता का प्रयास भी

बृहस्पति के अस्त होने का आपकी कुंडली में क्या होता है असर

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति विस्तार का ग्रह है. यह उन लोगों के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है जो परंपराओं एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास के लिए अग्रसर होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को एक

कुंडली से जाने विभिन्न भावों का फल

कुंडली में जब भविष्यफल का फल जानना हो तो उस समय पर जो भाव अधिक सक्रिय होता है उसके जीवन में वह समय अधिक संघर्ष या सफलता की स्थिति को दर्शाता है. ऎसे में कुंडली का विश्लेषण किसी व्यक्ति के जीवन के

वक्री ग्रहों का पूर्व जन्म से क्या संबंध होता है ?

वक्री ग्रहों का संबंध पूर्व जन्म की या कहें प्रारब्ध की अवधारणा के साथ बहुत अधिक जुड़ा हुआ माना गया है. ज्योतिषियों के लिए इस ग्रहों के लिए यह खगोलीय घटना का अर्थ है कि ग्रह का संबंध आपके पूर्व जन्म

ज्योतिष के 27 योग और उनकी विशेषता

ज्योतिष में जब पंचांग गणना में मुहूर्त की ओर ध्यान दिया जाता है तो योगों के चयन को लेकर विशेष रुप से सतर्क रहने की जरुरत होती है. ज्योतिष में कुछ योग अपने अपने क्रम अनुसार प्रमुख हैं जिनमें से

आठवें भाव में शनि कैसे देता है अपना प्रभाव

कुंडली में यदि आठवें भाव को एक चुनौतिपूर्ण स्थान माना गया है वहीं शनि की आठवें भाव उपस्थिति को बेहद अनुकूल माना गया है. वैदिक ज्योतिष में एक विशेष स्थान माना जाता है. आठवां घर परंपरागत रूप से

कारकांश और उसका कुण्डली में भाव महत्व

कारकांश आत्मकारक और नवमांश का आपसी संबंध दर्शाता है. इस कुंडली की मजबूती और नवांश की शक्ति के आपसी संबंध की भी व्याख्या करने वाला होता है. कारकांश D9 में वह राशि है जहां D1 का आत्मकारक ग्रह स्थित है,

मेष लग्न के लिए बुध महादशा का प्रभाव कैसे डालता है अपना असर

मेष लग्न के लिए बुध ग्रह की महादशा कैसे परिणाम देगी इस तथ्य पर कुंडली में बुध के भाव अधिग्रह के साथ बुध के भाव स्थान की महत्ता विशेष होती है. जिसका अर्थ हुआ की मेष लग्न के लिए बुध किन भावों का स्वामी

नौकरी या व्यवसाय में कारकांश कुण्डली की भूमिका

करियर के क्षेत्र में हम अपने लिए नौकरी का चयन करते हैं या फिर व्यवसाय का इन का पता लगाने के लिए कई तरह की पद्धितियां ज्योतिष में मौजूद हैं. इन्हीं में से एक विचार कारकांश के द्वारा भी प्राप्त होता