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मार्गशीर्ष मास के पर्व: मार्गशीर्ष संक्रान्ति 2023, 16 नवम्बर (Festival in the Month of Margashirsha : Margashirsha Sankranti 2022, 16th Nov)

sankranti 16 november 2023 मार्गशीर्ष संक्रांति के अवसर पर सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. मार्गशीर्ष संक्रांति 16 नवम्बर 2023, बृहस्पतिवार को 25:18 मिनिट पर पर आरंभ होगी. 30 मुहूर्ति इस संक्रांति का पुण्य काल ागले दिन मध्याह्न तक रहेगा.


कालभैरवाष्टमी 2023, 16 नवंबर (Kaal Bhairavashtami 2023, 16th November)

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी, काल भैरवाष्टमी के नाम से जानी जाती है. इस दिन काल भैरव की पूजा उपासना की जाती है. इस दिन पूरे दिन उपवास करने के बाद भैरव पूजन करना और भी अधिक पुन्य फल देता है.


उत्पन्ना एकादशी व्रत 2023, 20 नवंबर (Utpanna Ekadashi 2023, 20th November)

मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. एकादशी के इस व्रत को करने से मनुष्य को जाने- अनजाने में किये गये पापों से मुक्ति मिलती है. इस लोक में तो उसे सुख-शान्ति मिलती है, दूसरे लोक में भी स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इस व्रत में विशेष रुप से भगवान श्री कृ्ष्ण की पूजा की जाती है. व्रत करने वाले व्यक्ति को इससे पूर्व की अर्धरात्रि के बाद भोजन नहीं करना चाहिए. प्रात: काल सूर्योदय के समय भगवान को पुष्प, जल, धूप, अक्षत्र से पूजन करना चाहिए. इस व्रत में ध्यान देने योग्य बात यह है कि इसमें केवल फलों का भोग ही लगाया जाता है.


मार्गशीर्ष अमावस्या 2022, 23 नवंबर (New Moon of Margashirsha 2022, 23rd November)

मार्गशीर्ष अमावस्या का एक अन्य नाम अगहन अमावस्या भी है. इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है. जिस प्रकार कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी पूजन कर दिपावली बनाई जाती है. इस दिन भी श्री लक्ष्मी का पूजन करना शुभ होता है. इसके अतिरिक्त अमावस्या होने के कारण इस दिन स्नान- दान आदि कार्य भी किये जाते है. अमावस्या के दिन पितरों के कार्य विशेष रुप से किये जाते है. तथा यह दिन पूर्वजों के पूजन का दिन होता है.


पंचक प्रारम्भ 2022, 29 नवंबर (Beginning of Panchak 2022, 29th November)

मार्गशीर्ष माह शुक्ल पक्ष के पंचक 29 नवंबर 19:51 से प्रारम्भ होकर 03 दिसंबर 30:16 तक रहेगा. पंचक अवधि में विवाहादि शुभ कार्य नहीं किये जाते है. तथा अन्य ग्रह प्रवेश व अन्य शुभ कार्यो के लिये भी इस समय को प्रयोग नहीं किया जाता है.


मोक्षदा एकादशी व्रत 2022, 4/5 दिसंबर (Mokshda Ekadashi 2022, 4th/5th December)

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकाद्शी को आने वाले व्रत को मोक्षदा एकाद्शी कहा जाता है. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को एकाद्शी के नाम के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के योग बनते है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु जी के लिये किया जाता है. एकादशी का व्रत करने से श्री विष्णु उपवासक के मोक्ष मार्ग में आने वाली बाधाओं में कमी करते है. व्रत करने वाले व्यक्ति को विष्णु स्तोत्र का पाठ करते हुए जागरण करना चाहिए.


इस व्रत के फलों के विषय में कहा गया है कि यह व्रत कई यज्ञों को करने के बाद मिलने वाले फलों से भी अधिक फल देता है. मोक्षदा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत रखने तथा भगवान विष्णु की पूजा कर यथा शक्ति दानादि करने से पापों से मुक्ति मिलती है. तथा पुन्य की प्राप्ति होती है.


इसी दिन गीता जयन्ती भी होने से श्रीमदभगवद गीता की सुगन्धित फूलों द्वारा पूजा, कर गीता का पाठ करना चाहिए.


त्रयोदशी व्रत 2022, 5 दिसंबर (Fast of Anang Troudashi 2022, 5th December)

त्रयोदशी का व्रत करने से भगवान भोले नाथ प्रसन्न हो, उपवासक पर अपनी कृ्पा बनाये रखते है. अनगं त्रयोदशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को अन्नतं फलों की प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत भी दिन होने से इस दिन का महत्व और भी बढ जाता है.


श्री गणेश चतुर्थी व्रत 2022, 12/26 सितंबर (Sri Ganesha Chatirthi 2022, 12th/26th September)

चतुर्थी तिथि की शुभता प्राप्त करने के लिये श्री गणेश का पूजन किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चतुर्थी तिथि के देव सिद्धि विनायक श्री गणेश है. यूं तो सभी देवों से पहले श्री गणेश का पूजन किया जाता है. परन्तु चतुर्थी तिथि को श्री गणेश का व्रत करना विशेष पुन्य फल देता है.


इस व्रत से मिलने वाले फलों के अनुसार यह व्रत सभी मनोरथ पूरे करता है. इस व्रत को करने से हर व्यक्ति की कामनाएं पूरी होती और जीवन में आ रही बाधाएं दुर होती है. इस तिथि के दिन भगवान श्री गणेश का स्त्रोत पाठ कर विधि- विधान से पूजा- आराधना करना शुभ रहता है.