महाशिवरात्रि व्रत विधान (Maha Shivaratri Fast Method)

shivratri_puja महाशिवरात्रि व्रत के दिन भक्तगण अपनी श्रद्धा तथा सामर्थ्य के अनुसार व्रत तथा पूजन करते हैं. भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों का ताँता सुबह से ही लग जाता है. शिवालयों में घण्टियों की आवाजों की गूँज सवेरे से ही कानों सुनाई देने लगती है. सभी लोग अपने-अपने तरीकों से भगवान शिव का पूजन करते हैं. इस दिन सामान्य पूजा करने वाले भक्त श्रद्धा तथा आस्था के साथ शिवलिंग पर बिल्व-पत्र चढा़ते हैं. कच्चे दूध से शिवलिंग को स्नान कराते हैं. धूप-दीप से आराधना करते हैं. पूरा दिन उपवास रखते हैं. रात्रि में पूजन करके भोजन ग्रहण करते हैं.


महाशिवरात्रि के दिन कुछ भक्तगण पूरे विधि-विधान से भगवान शिव के शिवलिंग पर मंत्रोच्चारण के साथ जलाभिषेक करते हैं. कुछ भक्तों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक कराया जाता है. शिवलिंग पर बेल-पत्र चढा़ने तथा रात्रि जागरण करके उपवास रखने से व्यक्ति अपने कर्मों को शुद्ध करता है. यदि व्यक्ति की सामर्थ्य हो तब इस दिन सांयकाल में स्नान आदि से निवृत होकर वैदिक मंत्रों द्वारा रुद्राभिषेक करना चाहिए. सामान्य जन इस दिन शिवलिंग की पूजा करने के पश्चात "उँ नम: शिवाय" मंत्र का जाप करें. यदि सारी रात जागकर पूजन सम्भव ना हो तब प्रथम प्रहर की पूजा अवश्य करनी चाहिए.


महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के सृष्टि पर अवतरित होने की पुनर्स्मृति कराता है. इस व्रत को सभी जाति के व्यक्ति कर सकते हैं. इस व्रत में रात भर जागकर शिव के पूजन का महत्व विशेष है. महाशिवरात्रि पर उपवास रखकर व्यक्ति भगवान शिव के समीप होता है. क्योंकि "उपवास" का अर्थ है - समीप रहना. रात्रि जागरण से व्यक्ति अपने काम, क्रोध, मद, लोभ तथा द्वेष आदि पाँच विकारों से दूर रहता है. इसलिए शिवरात्रि पर जागरण का महत्व है.


महाशिवरात्रि पूजन विधान (Maha Shivaratri Puja)

महशिवरात्रि के दिन कई प्रकार से भगवान शिव का पूजन किया जाता है. इस दिन मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर उसमें बिल्व-पत्र, आक तथा धतूरे के पत्ते डालकर, फूल व चावल डालकर शिवलिंग पर चढा़या जाता है. यदि किसी व्यक्ति के घर के समीप कोई शिवलिंग ना हो तब मिट्टी से शिवलिंग बनाकर उसका पूजन करना चाहिए. इस दिन रात भर जागकर "शिवपुराण" सुनना चाहिए अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति कई प्रकार से भगवान शिव का पूजन करता है. कोई व्यक्ति साधारण तरीके से तो कोई पंचाक्षर से, कोई बीज मंत्र जपता है, कई व्यक्ति पंचोपचार या कोई व्यक्ति षोडषोपचार से पूजन करते हैं. कई व्यक्ति अष्टादषोपचार से पूजन करते हैं.


शिवरात्रि से अगले दिन व्रत का पारण करना चाहिए. पारण करने से पहले यदि किसी भक्त की सामर्थ्य हो तब उसे जौ, तिल, खीर, बेलपत्र से हवन करना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार मंत्र का जाप तथा पूजन कर सकता है. इससे व्यक्ति विशेष को संबंधित क्षेत्र में तरक्की मिलेगी तथा उसकी समस्त बाधाएँ दूर होगीं.


बीमारी के लिए (Maha Shivaratri Puja - For Decies)

शिवालय में जाकर शिवलिंग का पूजन करके महामृत्युंजय मंत्र के दस हजार जाप रुद्राक्ष की माला पर करने से बीमार व्यक्ति शीघ्र ठीक होता है. महामृत्युंजय मंत्र है :- "उँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम, ऊर्वारुकमिवबन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात"


मोक्ष प्राप्ति (Maha Shivaratri Puja - For Salvation)

महाशिवरात्रि के दिन एक चौकी पर स्वच्छ कपडा़ बिछाएँ. एक मुखी रुद्राक्ष को गंगाजल से स्नान तथा धूप-दीप दिखाकर पूजन करें. पूजन के पश्चात रुद्राक्ष को चौकी पर स्थापित करें. तब रुद्राक्ष के समक्ष बैठकर महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख मंत्र करने का संकल्प करके जाप आरम्भ करें. आप जाप को महाशिवरात्रि के व्रत के बाद भी पूरा कर सकते हैं. केवल जाप का आरम्भ शिवरात्रि के दिन से करना है.


कारोबार में सफलता (Maha Shivaratri Puja - For Success in Business)

महाशिवरात्रि के दिन अच्छे मुहुर्त में पारद के शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करवाने से तथा उसकी विधिवत पूजा करने से व्यवसाय में वृद्धि होगी.


शत्रु पर जीत के लिए (Maha Shivaratri Puja - For Victory over Enemy)

महाशिवरात्रि के दिन रात्रि के समय रुद्राष्टक अथवा लिंगाष्टक का पाठ करने से शत्रुओं पर जीत हासिल होती है. कोर्ट कचहरी में चलने वाले मुकदमों पर भी व्यक्ति जीत हासिल करता है.


बाधा निवारण हेतु (Maha Shivaratri Puja - For Removing Obstacles in Life)

महाशिवरात्रि के दिन प्रदोष के समय स्फटिक के शिवलिंग को पंचामृत अर्थात गंगाजल, कच्चा दूध, दही, शुद्ध घी तथा शहद से स्नान कराकर शुद्ध घी के दीपक को प्रज्वलित करके, शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए. पुजा करते समय मंत्र का जाप करना चाहिए. मंत्र है :- "ऊँ तुत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात." इस मंत्र के 11,000 हजार जाप करने चाहिए.

महाशिवरात्रि पर प्रत्येक व्यक्ति अपनी श्रद्धा तथा सामर्थ्य के अनुसार पूजा करता है. इस दिन की पूजा से व्यक्ति के कर्मों का सुधार होता है. लेकिन पूजा करने से केवल यह तात्पर्य नहीं कि व्यक्ति अपने कर्मों से मुँह मोड़ लें. व्यक्ति को सभी प्रकार से अपने कर्मों को शुद्ध करना चाहिए. प्रतिदिन के कर्मों के कारण ही वास्तव में व्यक्ति को मोक्ष तथा बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है.