बसंत पंचमी पतंग महोत्सव (Basant Panchami Kites Festival)

kite_flying बसंत ऋतु के आते ही सर्दी की ठिठुरन कम होने लगती है. कम्बलों एवं रजाई में दुबके हुए लोगों के शरीर में नई उर्जा का संचार होता है. पशु-पंक्षियों एवं पेड़-पौधों में भी नई जान आ जाती है. रंग-बिरंगे फूलों से धरती का आंचल सजने लगता है. सर्दी की कपकपाहट से मुक्ति दिलाने हेतु बसंत ऋतु को धरती पर भेजने के लिए ईश्वर का धन्यवाद करने हेतु लोग उनकी पूजा करते हैं. इसके बाद अपने-अपने तरीके से खुशियों को जाहिर करते हैं. इनमें से एक तरीका है पतंगबाजी.


गुजरात का अन्तर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव (Gujarat International Festival of Flying Kite)

भारत के गुजरात राज्य में मकर संक्रान्ति के मौके पर अन्तर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन प्रतिवर्ष होता है. इस महोत्सव में भारत के लोगों के अलावा विश्व के विभिन्न देशों से भी पतंग के शौकीन आकर भाग लेते हैं. इस महोत्सव की धूम मकर संक्रान्ति से कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है. इस महोत्सव में विभिन्न रंगों एवं आकार के पतंग आसमान की ऊँचाईयों में अठखेलियां करती हुए कलाबाजी दिखाती है. गुजरात के कुछ लोकगीतों में भी पतंग प्रतियोगिता का जिक्र मिलता है. गुजरात की भांति भारतवर्ष के दूसरे कई राज्यों में भी मकर संक्रान्ति के दिन पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता होती है. इस प्रतियोगिता में जो व्यक्ति जितनी पतंगे कटता है वह उतना ही सफल खिलाड़ी माना जाता है. जो व्यक्ति सबसे अधिक पतंग काटता है वह विजयी होता है.


पंजाब एवं हरियाणा में बसंत पंचमी के मौके पर पतंगोत्सव (Vasant Panchmi Patang Utsav of Punjab and Haryana)

गुजरात की तरह ही भारत का छबिला राज्य पंजाब एवं हरियाणा है. यहां भी हर मौसम एवं मौके पर लोग रंग जमाने में विश्वास रखते हैं. जिन्दगी जीने की कला यहां के लोग खूब जानते हैं. खुशी का कोई भी अवसर हो यह उसे मिलजुल कर मनाते हैं. अवसर कोई भी हो पंजाब एवं हरियाणा में उसके लिए गीत एवं संगीत का पूरा इंतजाम यहां रहता है. गुजरात की भांति यहां मकर संक्रान्ति में पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता नहीं होती है. पंजाव एवं हरियाणा के लोग बसंत पंचमी के दिन पतंग उत्सव मनाते हैं.


पंजाब में बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परम्परा कई वर्षों से चली आ रही है. पंजाब एवं पंजाब से सटे हरियाणा में बसंत पंचमी के दिन गुजरात के अन्तर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव की भांति ही सुन्दर एवं आकर्षक पतंगों से आसमन रंगीन हो जाता है. इस मौके पर चीन से भी पतंग का आयत किया जाता है. पतंगबाजी में मांझे का बड़ा ही महत्व होता है. मांझा जितना ही पक्का होता है खेल में जीत मिलने की संभावना भी उतनी अधिक होती है क्योंकि, मांझे से ही पतंग की डोर कटती है. मांझा कांच एवं चिपकने वाले पदार्थ से तैयार किया जाता है. कच्चे धागों पर इसका लेप करने पर इसकी डोर काटने की क्षमता बढ़ जाती है.


कूका सम्प्रदाय के जनक राम प्रसाद कूका का जन्म बसंत पंचमी (Basant Panchami and Birth of Ram Singh Kuka)

पंजाब में बसंत पंचमी के दिन पतंगोत्सव के द्वारा लोग शहीद संत राम प्रसाद कूका को भी याद करते हैं. इनका जन्म बसंत पंचमी के दिन हुआ था. राम प्रसाद कूका महाराजा रणजीत सिंह की सेना में सैनिक थे बाद में यह संत बन गये. इनके विचारों को सुनकर बहुत से लोग इनके अनुयायी बन गये. राम प्रसाद कूका ने समाज सुधार के कार्य किये. अंग्रेजों ने इनके अनुयायियों को मौत के घाट उतार दिया तथा इन्हें बर्मा के मांडले जेल में भेज दिया जहां कठोर यातनाएं सहते हुए इनकी मृत्यु हो गयी.


बसंत पंचमी के मौके पर पाकिस्तान में पतंगोत्सव (Basant Panchami and Kites Festival in Pakistan)

जश्ने बहारा यानी बसंत पंचमी के मौके पर पाकिस्तान में भी धूम-धाम से पतंगोत्सव मनाया जाता है. भारत के पंजाब प्रांत से सटे हुए पाकिस्तान के लाहौर प्रांत में बसंत पंचमी के दिन सुबह से लेकर अंधेरा होने तक लोगों के बीच पतंगबाजी की प्रतियोगिता चलती रहती है. लाहौर में पतंगोत्सव के पीछे लाहौर निवासी वीर हकीकत की कहानी बहुत ही मशहूर है. कहते हैं कि लाहौर में एक हकीकत नाम का व्यक्ति था जो स्कूल में पढ़ाता था. एक दिन स्कूल के प्रधानाचार्य मुल्ला जी कहीं बाहर गये हुए थे. हकीकत छात्रों को पढ़ा रहे थे. छात्र उनकी बात पर ध्यान देने की बजाय अन्य चीजों में मशगूल थे. इस पर हकीकत ने छात्रों को दुर्गा माता की कसम दी. छात्रों ने दुर्गा माता का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया. हकीकत को यह बात अच्छी नहीं लगी और उसने छात्रों से कहा कि यदि मैं बीबी फातिमा को बुरा कहूं तो तुम्हें कैसा लगेगा.


छात्रों ने मुल्ला जी के वापस आने पर उनसे शिकायत की कि हकीकत ने बीबी फातिमा को गाली दी है. यह बात काजी तक पहुंच गयी और हकीकत पर इस्लाम को स्वीकार करने के लिए दबाव डाला जाने लगा. हकीकत ने जब इस्लाम स्वीकार करना कुबूल नहीं किया तो उसे मृत्यु दंड की सजा दी गई. कहते हैं कि जैसे ही जल्लाद ने हकीकत के सिर पर तलवार चलाया हकीकत का सिर कटकर आसमान में चला गया. पाकिस्तान में लाहौर निवासी इस दिन पतंग उड़ाकर आसमान में हकीकत के सिर को सलामी देते हैं.