एकादशी व्रत की महिमा, 2023 (Importance of Ekadashi Vrat, 2023)
सभी उपवासों में एकाद्शी व्रत श्रेष्ठतम कहा गया है. एकाद्शी व्रत की महिमा कुछ इस प्रकार की है, जैसे सितारों से झिलमिलाती रात में पूर्णिमा के चांद की होती है. इस व्रत को रखते वाले व्यक्ति को अपने चित, इंद्रियों, आहार और व्यवहार पर संयम रखना होता है. एकाद्शी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ-काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.
एकादशी - यथानाम-तथाफल (Ekadashi - Result, so as the Name)
प्रत्येक वर्ष में बारह माह होते है. और एक माह में दो एकादशी होती है. अमावस्या से ग्यारहवीं तिथि, एकाद्शी तिथि, शुक्ल पक्ष की एकाद्शी कहलाती है. इसी प्रकार पूर्णिमा से ग्यारहवीं तिथि कृ्ष्ण पक्ष की एकाद्शी कहलाती है. इस प्रकार हर माह में दो एकाद्शी होती है. जिस वर्ष में अधिक मास होता है. उस साल दो एकाद्शी बढने के कारण 26 एकाद्शी एक साल में आती है. यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है. इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है.
वर्ष 2023 में आने वाली सभी एकादशियों के नाम व तिथियां इस प्रकार है.
एकादशी का नाम | माह | दिनाँक | दिन |
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पुत्रदा एकादशी | पौष शुक्ल पक्ष | 02 जनवरी | सोमवार |
षटतिला एकादशी | माघ कृष्ण पक्ष | 18 जनवरी | बुधवार |
जया एकादशी | माघ शुक्ल पक्ष | 01 फरवरी | बुधवार |
विजया एकादशी | फाल्गुन कृष्ण पक्ष | 17 फरवरी | शुक्रवार |
आमलकी एकादशी | फाल्गुन शुक्ल पक्ष | 03 मार्च | शुक्रवार |
पापमोचनी एकादशी | चैत्र कृष्ण पक्ष | 18 मार्च | शनिवार |
कामदा एकादशी | चैत्र शुक्ल पक्ष | 02 अप्रैल | रविवार |
वरुथिनी एकादशी | वैशाख कृष्ण पक्ष | 16 अप्रैल | रविवार |
मोहिनी एकादशी | वैशाख शुक्ल पक्ष | 01 मई | सोमवार |
अपरा एकादशी | ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष | 15 मई | सोमवार |
निर्जला एकादशी | ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष | 31 मई | बुधवार |
योगिनी एकादशी | आषाढ़ कृष्ण पक्ष | 14 जून | बुधवार |
देवशयनी एकादशी (वैष्णव) | आषाढ़ शुक्ल पक्ष | 29 जून | बृहस्पतिवार |
कामिका एकादशी | श्रावण कृष्ण पक्ष | 13 जुलाई | बृहस्पतिवार |
पुरुषोत्तमा एकादशी | (अधिक)श्रावण शुक्ल पक्ष | 29 जुलाई | शनिवार |
पुरुषोत्तमा एकादशी | (अधिक)श्रावण शुक्ल पक्ष | 12 अगस्त | शनिवार |
पवित्रा एकादशी | श्रावण शुक्ल पक्ष | 27 अगस्त | रविवार |
अजा एकादशी | भाद्रपद कृष्ण पक्ष | 10 सितंबर | रविवार |
पदमा एकादशी | भाद्रपद शुक्ल पक्ष | 26 सितंबर | मंगलवार |
इन्दिरा एकादशी | आश्विन कृष्ण पक्ष | 10 अक्तूबर | मंगलवार |
पापांकुशा एकादशी (वैष्णव) | आश्विन शुक्ल पक्ष | 25 अक्तूबर | बुधवार |
रमा एकादशी | कार्तिक कृष्ण पक्ष | 09 नवंबर | बृहस्पतिवार |
देवप्रबोधिनी (हरिप्रबोधिनी) एकादशी(हरिप्रबोधिनी) | कार्तिक शुक्ल पक्ष | 23 नवम्बर | बृहस्पतिवार |
उत्पन्ना एकादशी | मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष | 08 दिसंबर | शुक्रवार |
मोक्षदा एकादशी | मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष | 23 दिसंबर | शनिवार |
एकादशी व्रत के फल (Result of Ekadashi Vrat)
एकादशी का व्रत जो जन पूर्ण नियम, श्रद्धा व विश्वास के साथ रखता है, उसे पुन्य, धर्म, मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस उपवास के विषय में यह मान्यता है कि इस उपवास के फलस्वरुप मिलने वाले फल अश्वमेघ यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते है. यह उपवास, उपवासक का मन निर्मल करता है, शरीर को स्वस्थ करता है, ह्रदय शुद्ध करता है, तथा सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है. तथा उपवास के पुन्यों से उसके पूर्वज मोक्ष प्राप्त करते है.
एकादशी व्रत के नियम (Law of Ekadashi Vrat)
व्रतों में एकादशी के व्रत को सबसे उच्च स्थान दिया गया है, इसलिये इस व्रत के नियम भी अन्य सभी व्रत- उपवास के नियमों से सबसे अधिक कठोर होते है. इस उपवास में तामसिक वस्तुओं का सेवन करना निषेध माना जाता है. वस्तुओं में मांस, मदिरा, प्याज व मसूर दाल है. दांम्पत्य जीवन में संयम से काम लेना चाहिए.
दातुन में नींबू, जामून या आम की टहनी को प्रयोग करना चाहिए. यहां तक की उपवास के दिन पेड का पत्ता भी नहीं तोडना चाहिए. सूक्ष्म से सूक्ष्म जीवों को भी हानि न हो, इस बात का ध्यान रखना चाहिए. झूठ बोलने और निंदा सुनना भी उपवास के पुन्यों में कमी करता है.