अमावस्या व्रत- उपवास (Amavasya Vrat - Fast)

amavasya1अमावस्या तिथि प्रत्येक धर्म कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली बतायी गयी है. पर पितरों की शान्ति के लिये अमावस्या व्रत पूजन का विशेष महत्व है. जो लोग अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति, सदगति के लिये कुछ करना चाहते है उन्हें प्रत्येक माह की अमावस्या को उपवास रख, पूजन कार्य करना चाहिए. अमावस्या के साथ साथ मन्वादि तिथी, संक्रान्तिकाल व्यतीपात, गजच्दाया, चन्द्रग्रहण तथा सूर्य ग्रहण इन समस्त तिथियों, वारों में पितरो की तृप्ति के कार्य किये जा सकते है.


अमावस्या के नाम (Name of Amavasya)

जो अमावस्या सोमवार के दिन आती है उसे सोमवती अमावस्या कहते है. प्रत्येक मास में एक अमावस्या होती है. इसी प्रकार जब मंगलवार के दिन अमावस्या आयें, तो उसे भौमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है. इसके अतिरिक्त शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या कहलाती है. अन्य वारों में आने वाली अमावस्या की तुलना में इन तीन वारों में पडने वाली अमावस्या व्रत-उपवास के लिये विशेष होती है.


अमावस्या का महत्व (Importance of Amavasya)

शास्त्रों के अनुसार देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए. इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है. विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृ्गण ही तृ्प्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वेदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते है.


वर्ष 2023 में निम्न तिथियों को यह उपवास किया जा सकता है: (This fast can be done on the following dates in 2023:)

दिनाँक वार चन्द्रमास
21 जनवरी शनिवार माघ माह
20 जनवरी सोमवार फाल्गुन माह
21 मार्च मंगलवार चैत्र माह
20 अप्रैल बृहस्पतिवार वैशाख माह
19 मई शुक्रवार ज्येष्ठ माह
18 जून रविवार आषाढ़ माह
17 जुलाई सोमवार प्रथम शुद्ध श्रावण माह
16 अगस्त बुधवार द्वितीय अधिक श्रावण माह
14 सितंबर बृहस्पतिवार भाद्रपद माह
14 अक्टूबर शनिवार आश्विन माह
13 नवंबर रविवार कार्तिक माह
12 दिसंबर बुधवार मार्गशीर्ष माह