उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र फल

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 12 वें स्थान पर आता है. राशिचक्र में 146.40 डिग्री से 160:00 डिग्री तक का विस्तार क्षेत्र उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आता है. उत्तरा फाल्गुनी में चार तारे होते हैं. यह तारे इस प्रकार से विद्यमान होते हैं जो दिखने में सिरहाने व पायताने से युक्त पलंग का स्वरुप दर्शाते हैं. इन्हें शय्या के समान कहा जाता है. तारों की संख्या को लेकर इस में भी संदेह रहता है जिसके अनुसार इसमें दो तारे हैं, जो पूर्वा फाल्गुनी के साथ मिलकर पलंग की आकृती बनाते हैं अत: इसका स्वरुप सभी के अनुरूप एक जैसा ही है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता आर्यमान है. इस नक्षत्र पर सूर्य का प्रभुत्व होता है. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का अर्थ - बाद वाला या पिछे वाला है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन व उसके पश्चात रंगोत्सव होता है जो सभी प्रकार के अनिष्ट की समाप्ति करके शुभता को आरंभ करने वाला होता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मा जातक प्राय: लम्बा और मोटा होता है. लम्बी मुखाकृति व लम्बी नाक और गर्दन वाला होता है. शरीर के दायें भाग में किसी प्रकार का काल तिल या निशान उसका पहचान चिन्ह हो सकता है.

इस नक्षत्र में उत्पन्न जातक ऊर्जावान होता है, वे जो कुछ भी करते हैं उत्सुकता और सक्रियता से करते हैं.

जातक बुद्धिमान और सतर्क होते हैं. इस नक्षत्र में जन्में जातक बेहतर रणनीतियों को बनाने वाले और भविष्य की योजना बनाने में अच्छे होते हैं. इनका यही गुण इन्हें राजनीति में सफल बनाता है. उत्तरफलगुनी के मूल निवासी प्रशासनिक और सरकारी क्षेत्रों में बहुत अच्छा करते हैं.

इस नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत महत्वाकांक्षी हैं होते हैं. अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं. मजबूत इच्छा शक्ति वाले होते हैं. अपने इन्हीं जन्मजात गुणों के कारण यह लोग छोटी चीजों से संतुष्ट नहीं होते हैं अपितु कुछ बेहतर पाने के लिए क्रियाशील रहते हैं. इनका व्यक्तित्व बहुत मजबूत होता है. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के जातक अपनी उच्च महत्वाकांक्षाओं को पूरा करते हैं. यह लोग स्थिरता में विश्वास करते हैं. इनके पास पारंपरिक दृष्टिकोण होता है और स्थिर मानसिकता वाले होते हैं. अत: जो कार्य करते हैं उसे लम्बे समय तक करते हैं ओर मित्रता और रिश्ते भी लम्बी दूरी तक निभाते हैं.

इस नक्षत्र में जन्मे जातक किसी भी कार्य को करने में सक्षम होते हैं लेकिन दूसरों से यदि कुछ सीखने को मिल रहा हो तो कभी भी संकोच नहीं करते हैं. इनके चरित्र की यही विशेषता इन्हें जीवन में समृद्धशाली बनाने में मदद करती है. बहुत कम उम्र से ही यह अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों के प्रति सजग होते हैं साथ ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में ईमानदार होते हैं इसका कारण बेहतर आर्थिक जीवन जीते भी हैं. ये लोग उदार, धर्मार्थ और धार्मिक भी होते हैं.

पारिवारिक जीवन

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्मा जातक परिवार के प्रति जिम्मेदार होता है. घर परिवार में होने वाली सभी परिस्थितियों के प्रति सचेत रहते हैं. अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं. इस नक्षत्र में जन्मे जातक कुछ क्रोधी और जिद्दी भी होते हैं. इनका दूसरों पर हावी होना और थोड़ा आक्रामक स्वभाव परिवार में तनाव और कठिनाइयों का कारण बन सकता है.

जातक में किसी भी रिश्ते को लम्बा निभाने की प्रवृत्ति होती है इसी कारण इनके संबंध अच्छे रहते हैं. यह लोग सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित व्यक्तित्व के होते हैं. इन्हें समाज में सम्मानित किया जाता है. पारिवारिक जीवन से संतुष्ट होते हैं. जीवन साथी ओर संतान का सुख प्राप्त होता है. पर इन्हें किसी भी प्रकार के दिखावे से भी बचना चाहिए, अन्यथा शान शौकत व दिखावे की मनोवृति के कारण तनाव बढ़ सकता है.

स्वास्थ्य

यह बारहवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी सूर्य है. इस नक्षत्र के पहले चरण में मेरुदंड आता है. दूसरे, तीसरे व चौथे चरण में अॉंते आती है, अंतड़ियाँ आती हैं और इसका निचला भाग आता है. ओष्ठ , प्रजनन अंग, व बाएं हाथ को इस नक्षत्र से प्रभावित माना जाता है. जन्म कुंडली में इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इस नक्षत्र को वात प्रधान भी माना जाता है अत: वात संबंधी रोग भी इस नक्षत्र के जातक पर अपना प्रभाव डालते हैं.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र जातक का व्यवसाय

उत्तरफाल्गुनी नक्षत्र के जातक किसी भी काम को स्थायित्व भाव से करते हैं. ऐसे में इनके लिए सरकारी और प्रशासनिक नौकरियाँ सबसे अच्छी होती हैं. सृजनात्मक कलाकार, संगीतज्ञ, मनोरंजन के काम में योग्य होते हैं. नेता, मंत्रालय, लोकप्रिय खिलाडी़, वरिष्ठ अधिकारी, सांसद या मंत्री के कामों में आप बेहतर करते हैं. व्यापार, वाणिज्य और स्व-रोजगार के क्षेत्र में आपको बेहतर विकल्प भी मिलते हैं. समाज सेवक, धर्म गुरु, विवाह सलाहकार, जीवन के विभिन्न क्षेत्र से संबंधित परामर्श विशेषज्ञ इत्यादि से जुड़े काम उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में आते हैं. जातक में परिस्थितियों के मध्य स्वयं को ढालने की योग्यता होती है ऐसे में जातक किसी भी क्षेत्र में बेहतर कर पाता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा जातक सौम्य मुख वाला, काली पुतलियों और लम्बी भुजाओं वाला होता है. सुंदर पिन्डलियां और सुघड़ एडी़ होती है. जातक को श्वास से संबंधित परेशानी या रोग प्रभावित कर सकते हैं.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक सांवले रंग का, बोलने में बहुत अच्छा होता है, हिरण के समान नेत्रों वाला होता है. दान पुण्य करने वाला होता है. समस्त भोगों को भोगने वाला. कन्या संतती की अधिकता, मिश्रित स्वभाव व धार्मिक स्वभाव का होता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक चमकदार त्वचा और शरीर वाला, सुंदर नेत्रों से युक्त व भरे हुए चहरे वाला होता है. कोमल भाषा और अच्छे चरित्र का होता है. भारी जंघा का स्वामी, लम्बे पेट वाला और चंचल स्वभाव का होता है. अपने कार्य में कुशल और वेद शास्त्रों का ज्ञाता होता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक साफ सुंदर पैरों वाला, भारी शरीर का स्वामी और मोटे हाथों वाला. आवाज़ में अस्पष्टता होती है. गौर वर्ण का होता है. नेक स्वभाव का धनी होता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के नामाक्षर

उत्तरा फाल्गुनी के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 26:40 से 30:00 तक होता है. इसका अक्षर “टे” होता है.

उत्तरा फाल्गुनी के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “टो” होता है.

उत्तरा फाल्गुनी के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 03:20 से 06:40 तक होता है. इसका अक्षर “पा” होता है.

उत्तरा फाल्गुनी के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 06:40 से 10:00 तक होता है. इसका अक्षर “पी” होता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत गवं रथेन सूर्य्यतव्चा ।

मध्वायज्ञ गवं समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम ।

ॐ अर्यमणे नम: ।

उपाय

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए. सूर्य का स्तवन एवं जल चढा़ना उत्तम उपाय होता है. गायत्री मंत्र का जाप भी शुभ परिणाम देने वाला होता है. सिंहवाहिनी माँ दुर्गा और काली मां की पूजा उपासना इस नक्षत्र के लिए उपयोगी मानी जाती है. लाल, सुनहरी आभा, हरे, सफेद इत्यादि रंगों का उपयोग भी अच्छा माना जाता है. बहुत भड़कीले वस्त्रों से बचना चाहिए. इस नक्षत्र के जातक सात रत्ती के सोने की अंगूठी में पहनना अच्छा होता है.

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - उत्तरा फाल्गुनी

राशि - सिंह-1, कन्या-3

वश्य - चतुष्पद-1,नर-3

योनी - गौ

महावैर - व्याघ्र

राशि स्वामी - सूर्य-1, बुध-3

गण - मनुष्य

नाडी़ - आदि

तत्व - अग्नि-1, पृथ्वी-3

स्वभाव(संज्ञा) - ध्रुव

नक्षत्र देवता - अर्यमा

पंचशला वेध - रेवती


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