उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र फल

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 27 नक्षत्रों में 26वां नक्षत्र है. राशिचक्र में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र की स्थिति मीन राशि में 3 अंश 20 कला से 16 अंश 40 कला तक आती है. उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र को दो तारों के रुप में पहचाना जा सकता है. यह नक्षत्र एक पलंग या मंच की आकृति के समान दिखाई देता है. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार यह नक्षत्र शयन या मृत्यु शय्या का पांव माना जाता है.

एक अन्य मत से यह नक्षत्र शुभ पाँव वाला है. यह योग व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति के निकट लेकर जाता है. इस योग से युक्त व्यक्ति शनि की दशा में ज्ञान और वैराग्य की ओर उन्मुख होता है. इस नक्षत्र को संतुलित नक्षत्र माना जाता है. इसी कारण इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव में संतुलन बना रहता है. उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता अहिर्बुध्न्य या अहिबुद्धन्य हैं और इस नक्षत्र के स्वामी शनि है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जन्मा जातक परिस्थितियों के अनुसार सोच विचार के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचता है. वह समझदारी पूर्ण फैसले लेने में अच्छा होता है. जातक का स्वभाव भी कुछ रहस्य पूर्ण हो सकता है वह अपने विचारों को जल्द ही दूसरों के समक्ष नहीं रखता है. जातक समुद्र की तरह ही गंभीर, धैर्यशील, मर्यादाओं का पालन करने वाला होता है. इस नक्षत्र में जन्मे जातक अपने रुप, गुण, विद्या, धन और स्वभाव से उत्सवों में सबको प्रसन्न रखने में सफल होते है.

जातक स्वभाव से उदार होता है, जातक के मित्र अधिक होते हैं और शत्रुओं की संख्या कम होती है. जल से इन्हें भय हो सकता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को सन्तान पक्ष से सुख की प्राप्ति होती है. जातक कुशल वक्ता होते है और धार्मिक आस्था से युक्त होता है. जीवन में इन्हें सभी सुख प्राप्त होने की संभावना बनती है. उत्तरा भाद्रपद के व्यक्तियों को अपने प्रत्यत्नों के साथ साथ अपने सहयोगी से भी सहयोग का लाभ मिलता है.

जातक व्यवहारिक प्रकृति के होते है. कल्पनाओं में रहना इन्हें पसंद नहीं आता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का चरित्र भी उच्च होता है, अपनी कही हुई बात पर ये अडिग रहते है, और अपने वचन को पूरा करने के लिए पूर्ण प्रयास भी करते हैं यह लोग जरुरतमन्द व्यक्तियों की मदद करने में सुख का अनुभव होता है.

जीवन में उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों में भी हौसला बनाए रखने की योग्यता होती है. चुनौती से भागने के स्थान पर इनका हिम्मत के साथ सामना करना उचित समझते है. धर्म से अधिक कर्म से उन्नति प्राप्त करने में विश्वास करते है. मेहनत और लगन दोनों गुण इनके स्वभाव में पाये जाते है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक शास्त्रों और रहस्मयी विद्याओं में रुचि रख सकते हैं. इनकी पहचान अपने समूह में विद्वान व्यक्तियों में की जाती है. इन व्यक्तियों को एकान्त में रहना अधिक पसंद होता है. इसी कारण इनके मित्रों की संख्या कम ही होती है. अपने इस स्वभाव के कारण इन्हें दूसरों से जल्द से घुलने-मिलने में असुविधा होती है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र - पारिवारिक जीवन

पारिवारिक दृष्टि से यह लोग सामान्य जीवन जीते हैं. लेकिन जीवन में परिस्थितियों में आए बदलाव के कारण उतार-चढ़ावों से भी गुजरना पड़ता है. जहां एक ओर पिता अच्छा संपन्न और समाज में आदरणीय स्थान रखता है वहीं सामान्यत: अपने जन्म स्थल से दूर रह कर ही जीवनयापन करता है. बचपन में कुछ परेशानियां अधिक रह सकती हैं. इन्हें अपने पिता से कोई अधिक लाभ की प्राप्ति नहीं होती है. वैवाहिक जीवन सामान्य रहता है. वैवाहिक जीवन में साथी के प्रति निष्ठावान रहते हैं.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र - स्वास्थ्य

यह भचक्र का छब्बीसवाँ नक्षत्र है और शनि इसके स्वामी है. इस नक्षत्र के अन्तर्गत शरीर का दायां भाग स्वीकार किया जाता है. जिसमें टांग, मांस पेशियां, पद तल, पैर के पंजे आते हैं. इस नक्षत्र को पित्त कारक माना गया है. जन्म कुंडली में अथवा गोचर में इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर व्यक्ति को इसके अंतर्गत आने वाले शरीर से संबंधित अंगों की परेशानी से गुजरना पड़ सकता है. जातक को गठिया का दर्द, अपच, कब्ज या हार्निया की तकलीफ भी हो सकती है. वैसे तो इनका स्वास्थ्य सामान्यत: अच्छा ही रहता है लेकिन कई बार लापरवाही के चलते इन्हें बुरे प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र जातक का व्यवसाय

इस नक्षत्र में जातक में विभिन्न चीजों के प्रति रुचि और दक्षता होती है. वह अधिक पढ़े लिखे न भी हो पर उनमें ज्ञान पूर्ण रुप से व्याप्त होता है. ललित कलाओं की ओर उसे विशेष लगाव होता है. लेखन से जुड़े काम उन्हें बेहतर लगते हैं. अपनी असाधारण योग्यता और क्षमता के कारण वह अपने कार्य क्षेत्र में बेहतर करते हैं. जातक आरंभ में छोटे या मध्यम पदों पर नियुक्त होते हैं लेकिन बाद में वह उच्च पदों को पाते हैं. इनके लिए ध्यान और योग से संबंधी काम, मेडिटेशन, चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञ, सलाहकार, आध्यात्मिक योगी, तांत्रिक, तपस्वी, दान संस्था से जुड़ा होना, दार्शनिक, कवि लेखक, कलाकार, दुकान पर कर्मचारी, सुरक्षा कर्मी, द्वारपाल, इतिहास वेत्ता, वसीयत या दान से प्राप्त धन से जीविका चलाना, यह सभी उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र की आजीविका में आते हैं.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो जातक की नाक कुछ लम्बी और मोटी होती है. जातक काम कला में निपुण होता है. सुंदर शरीर और बड़े सिर का स्वामी होता है. जातक में सक्रियता अधिक होती है, जातक योग्य एवं गुणी होता है. वनों पर्वतों में भ्रमण करना इन्हें भाता है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक कार्य की योजना बनाने में बहुत सक्षम होता है. व्यर्थ के प्रदर्शन से बचता है. प्रपंच से दूर रहता है. जातक का रंग गोरा होता है. सुंदर नैन नक्श वाला, धार्मिक और अच्छा विद्वान होता है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक गुणवान होता है. विपतियों से घबरा जाता है, सदगुणों में अडीग रहता है. अपने से बड़ों का आदर और सत्कार करने वाला होता है, काम करने में बहुत चतुर होता है. विद्वान ओर धैर्यशील होता है. नाक कुछ उंची उठी हुई होती है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक कुछ लम्बा, सांवले रंग का हो सकता है, आंख और नाक कुछ छोटी हो सकती है. जातक प्रतापी होता है. स्वभाव में कुछ कठोर असहनशीलता से युक्त हो सकता है. बड़बडा़ने वाला हो सकता है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के नामाक्षर

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 03:20 से 06:40 तक होता है. इसका अक्षर “दू” होता है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 06:40 से 10:00 तक होता है. इसका अक्षर “थ” होता है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 10:00 से 13:20 तक होता है. इसका अक्षर “झ” होता है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 12:20 से 16:40 तक होता है. इसका अक्षर “ञ” होता है.

उत्तरभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि गवं सो

निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) ।

ॐ अहिर्बुधाय नम: ।

उत्तरभाद्रपद नक्षत्र उपाय

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक मां दुर्गा, और भगवान शिव की उपासना इस नक्षत्र के जातकों के लिए शुभदायक होती है. साथ ही भगवान विष्णु का पूजन एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करना हितकारी होता है. पीले और नीले रंग के वस्त्र धारण करना आपके लिए लाभदायक होता है.

उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - उत्तरा भाद्रपद

राशि - मीन

वश्य - जलचर

योनी - गौ

महावैर - व्याघ्र

राशि स्वामी - गुरू

गण - मनुष्य

नाडी़ - मध्य

तत्व - जल

स्वभाव(संज्ञा) - ध्रुव

नक्षत्र देवता - अहिर्बुध्न्य

पंचशला वेध - हस्त


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