पूर्वाषाढा़ नक्षत्र फल

पूर्वाषाढा़ नक्षत्र

27 नक्षत्रों की श्रृंखला में पूर्वा आषाढा नक्षत्र 20वां नक्षत्र है. इस नक्षत्र की पहचान करने के लिए आकाश में 2-2 तारे मिलकर एक समकोण बनाते है. पूर्वाषाढा का आकार गज दंत अर्थात हाथी दांत के समान प्रतीत होता है. पूर्वाषाढा नक्षत्र को जल नक्षत्र कहा जाता है. पूर्वाषाढा़ का अर्थ है पहले वाला अपराजेय, जिसे जीत पाना असंभव हो. कुछ विद्वान इसे हाथ का पंखा मानते हैं. पूर्वाषाढा़ नक्षत्र के अधिष्ठाता देवता जल हैं. इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है. इसलिए इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति के स्वभाव और आचार-विचार पर शुक्र का प्रभाव देखने में आता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

जातक भाग्यवान होता है इसमें सहयोग भावना भी बहुत होती है जिसके चलते वह लोगों में प्रसिद्ध भी पाता है. दूसरों के दुख: दर्द की अनुभूति इस नक्षत्र के व्यक्ति को होती है. जातक अपने शत्रुओं को जल्दी से क्षमा नहीं कर पाता है और उसके मन में यह स्थिति लम्बे समय तक बनी रहती है. दूसरों की मदद करने के कारण यह कई बार लोगों के मामलों में फंस भी सकते हैं. दूसरों की लड़ाई- झगडों में शामिल होना इनके सम्मान और धन दोनों में कमी का कारण बनता है.

जातक में स्वाभिमान का भाव अधिक होता है. वह स्वाभिमान को अधिक महत्व देते है. जीवन को ये अपने तरीके से ही व्यतीत करना पसन्द करता है. इन्हें जीवन साथी भी प्राय: मिलनसार ही मिलता है. ये अच्छे मित्र साबित होते है. जातक को सफाई- पसन्द होती है और साफ -सुथरा रहना इन्हें अच्छा लगता है. अपने लक्ष्य प्राप्ति में ये सामर्थवान होते है और अपने कार्य में भी कुशल होते है.

इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक को चाहिए की आर्थिक अपव्यय को नियंत्रित रखें तभी उसकी आर्थिक स्थिति सुदृ्ढ हो सकती है. जातक का मन अस्थिर भी रहता है, मन में विचार आते- जाते रहते है. जीवन में भाग-दौड की अधिकता रहती है. जातक की जीवन शैली में अनुशासन और नियमों का पालन कम ही देखने को मिलता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति को दूसरों पर उपकार करने की प्रवृत्ति होती है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र - पारिवारिक जीवन

जातक का पारिवारिक जीवन सामान्य रहता है. भाई बंधुओं की मदद भी प्राप्त होती है. जातक का जन्म स्थान से दूर अधिक व्यतीत होता है. वह अपने कार्य में सफलता भी बाहर अधिक पाता है. दांपत्य जीवन सुख पूर्वक होता है. विवाह में देरी भी हो सकती है. जातक का झुकाव ससुराल पक्ष की ओर अधिक रहेगा. संतान का सुख होता बच्चे उसकी बातों को मानने वाले हो सकते हैं. इस नक्षत्र में जन्मी स्त्रियां गृह कार्यों में अच्छी दक्ष होती हैं. जीवन साथी के प्रति इन्हें लगाव भी रहता है व संतान का सुख भोगती है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र - स्वास्थ्य

यह भचक्र का बीसवाँ नक्षत्र है और इसका स्वामी ग्रह शुक्र है. इसके अन्तर्गत कूल्हे, जांघे, नसें, पीठ, श्रोणीय रक्त ग्रंथियाँ, मेरुदंड का क्षेत्र आदि अंग आते हैं. इस नक्षत्र के पीड़ित होने पर इन अंगो से संबंधित रोग होने की संभावना बनती है. इस नक्षत्र को पित्त प्रधान नक्षत्र माना जाता है. काम काज की अधिकता और जीवन शैली में अनियमितता के कारण पूर्वाषाढा़ नक्षत्र के जातक का स्वास्थ्य भी जल्द ही प्रभावित होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र जातक का व्यवसाय

मनोरंजन के काम, सलाहकार, अध्यापक, प्रवचनकर्ता होना, दार्शनिक व मनोचिकित्सक से जुडे काम किए जा सकते हैं. पूर्वाषाढा जन्म नक्षत्र का व्यक्ति अपने कैरियर का चुनाव कला विषयों में से कर सकता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति का जीवन शुक्र ग्रह के कारक तत्वों से प्रभावित होता है, ऐसे में जातक का व्यवसाय और कैरियर भी शुक्र के प्रभाव में आने वाले क्षेत्रों में हो सकता है. सौन्दर्य को बढाने सौन्दर्य प्रसाधनों वाले क्षेत्रों को अपनी आजीविका का क्षेत्र बनाकर आय प्राप्त कर सकता है. सेवा से जुडे सभी क्षेत्रों में इनका कार्य करना अनुकूल रहता है. होटल प्रबन्धन, नर्स और मेडिकल क्षेत्र में भी इनका कार्य करना उचित रहता है. गुरु भी अच्छी स्थिति में हों, तो व्यक्ति महत्वकांक्षी, सत्य बोलने वाला और अपने ज्ञान क्षेत्र में अनुभव और दक्षता रखता है. जल क्षेत्रों से जुडे कार्य जैसे जल सेना, अधिकारी, जलपोत कर्मी, समुद्री जीव विज्ञान के विशेषज्ञ , मछली पालन, बांध निर्माण इत्यादि कामों में इन्हें अच्छी आय प्राप्त होने की संभावनाएं बनती है

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा आत्मनिर्भर एवं स्वावलबी बनता है. आध्यात्म के प्रति विशेष लगाव होता है. जातक चतुर एवं बुद्धि से धनी होता है. भारी ऊंचे कंधों से युक्त होता है. बडी़ आंखे और भौंहें भी बडी़ होती हैं. शेर के समान तेजी ओर स्फूर्ति से भरा हो सकता है. विचारों में दृढता रखने वाला होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो जातक प्रतिभा संपन्न और विद्वान होता है. लौकिक और आध्यातमिक क्षेत्र में अच्छी उन्नती करने वाला होता है. आंखों में चमक होती है, बडा़ माथा और सुंदर व्यक्तित्व वाला होता है. विद्वानों के जैसा योग्य और बातें करने वाला होता है. धन धान्य से परिपूर्ण होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो जातक का रंग कुछ सांवला होता है. कोमल तन मन वाला, बोलने में कुशल और अच्छी वस्तुओं को इकट्ठा करने का शौक रखता है. लम्बे कद का उदार बौद्धिकता से युक्त होता है. रौबीला होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो जातक के नाक का अग्रभाग कुछ चपटा सा हो सकता है. गोरे रंग का, चंचल और एक स्थान पर टिक नहीं रह पाता है. बुजुर्गों का प्रिय होता है. बड़बडा़ने वाला और व्यर्थ का प्रलाप करने वाला हो सकता है. हठी और दुराग्रही तो कभी रहस्य पूर्ण होकर काम करने वाला होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के नामाक्षर

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 13:20 से 16:40 तक होता है. इसका अक्षर “भू” होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 16:40 से 20:00 तक होता है. इसका अक्षर “ध” होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 20:00 से 23:20 तक होता है. इसका अक्षर “फ” होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 23:20 से 26:40 तक होता है. इसका अक्षर “ढ” होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद

यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: ।

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र उपाय

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के बुरे प्रभावों से बचने के लिए जातक को लक्ष्मी, ललिता और त्रिपुर सुंदरी की पूजा उपासना करनी चाहिए. लक्ष्मी सहस्त्रनाम, ललिता सहस्त्रनाम का पाठ करना जातक के लिए कल्याणकारी होता है. पूर्वाषाढा़ बीज मंत्र "ऊँ बँ" का जाप करना भी उत्तम माना जाता है. इसके अतिरिक्त कनकधारा स्त्रोत, महालक्ष्मी अष्टक का भी पूजन श्रवण पठन अच्छा होता है. माँ काली और भगवान शिव की पूजा उपासना करने का फल भी शुभदायक बताया जाता है. चंद्रमा का पूर्वाषाढा़ नक्षत्र में गोचर होने पर यह उपाय विशेष लाभकारी होते हैं. जातक के लिए हल्के गुलाबी और हल्के नीले रंग के वस्त्र का उपयोग भी अनुकूल परिणाम देने वाला होता है.

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा

राशि - धनु

वश्य - नर-1, चतुष्पद-3

योनी - वानर

महावैर - मेढा़

राशि स्वामी - गुरु

गण - मनुष्य

नाडी़ - मध्य

तत्व - अग्नि

स्वभाव(संज्ञा) - उग्र

नक्षत्र देवता - जल

पंचशला वेध - आर्द्रा


bottom