अश्विनी नक्षत्र फल

अश्विनी नक्षत्र

ज्योतिष शास्त्र में अश्विनी नक्षत्र पहला नक्षत्र है. भचक्र में शून्य से 13 अंश 20 कला तक का विस्तार अश्विनी नक्षत्र के अधिकार में आता है. इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है. इस नक्षत्र को गण्डमूल नक्षत्रों की श्रेणी में रखा गया है. केतु एक रहस्यमयी ग्रह है. नक्षत्र के देव अश्विनी हैं. अश्विनी नक्षत्र, सूर्य पुत्र अश्विनी कुमार है.

अश्विनी नक्षत्र दो सितारों का समूह है, लेकिन कुछ अन्य मतानुसार अश्विनी नक्षत्र तीन सितारों का समूह है जिनकी आकृति दो अश्व के मुख समान है. इस नक्षत्र के अधिष्ठाता स्वामी दो अश्विन कुमार हैं. अश्विन कुमारों को देवताओं का चिकित्सक माना गया है.

अश्विनी नक्षत्र - शारीरिक गठन और व्यक्तित्व विशेषताएँ

इस नक्षत्र में जन्म होने पर आप सुंदर मुखाकृति और आकर्षक व्यक्तित्व के होते हैं. बड़ी व चमकदार आंखें हो सकती हैं. नाक सामान्य से कुछ बड़ी हो सकती हैं और माथा चौड़ा हो सकता है. इन्हें सजने संवरने का शौक भी होता है. पुरूष हो तो वह स्त्रियों के आकर्षण का केन्द्र बनता है. सुंदर और रूचिपूर्ण आभूषण पहनना इन्हें पसंद होता है.

इस नक्षत्र में जन्म लेने पर शांत प्रवृति के व्यक्ति होते हैं. कुछ जिद्दी स्वभाव के भी हो सकते हैं. अपना काम भी चुपचाप करते रहते हैं, किसी से कोई जिक्र नहीं करते हैं. जो प्यार करता है उस पर आप अपना सब कुछ कुर्बान करने वाले होते हैं. विपत्तियों तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपना संयम बनाए रखते हैं. मुसीबत में फंसे लोगों की सहायता को सदा तत्पर रहते हैं.

इस नक्षत्र में पैदा हुए जातक बुद्धिमान होते हैं. किसी बात को ध्यान से सुनना, सुनकर समझना तथा समझकर तभी उस पर अमल करते हैं. सुनी हुई बातों पर आँख मूँदकर विश्वास ना करके स्वयं विचार कर तथ्यों का अन्वेषण करते हैं. सभी कार्यों को कुशलता तथा शीघ्रता से निपटाने वाले होते हैं. अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने वाले होते हैं. सत्यवादी होते हैं. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति स्वभाव से रहस्यमयी होते हैं. व्यक्ति स्वतंत्र स्वभाव के होते हैं. वह स्वतंत्र रूप से चिन्तन करना अधिक पसंद करते हैं.

इस नक्षत्र के व्यक्तियों की चाल भी तेज होती है. अपने मान-सम्मान का विशेष रूप से ध्यान रखते हैं. यह अन्याय को सहन नहीं करते हैं. इसके खिलाफ बुलंद आवाज़ उठाते हैं. आपको जो करना होता है वही आप करते हैं. आप किसी के प्रभाव में आकर कभी कोई निर्णय नहीं लेते हैं. आपकी अपनी सोच व अपना ही ढ़ंग होता है. आप एक बार जिस काम को करने का ठान लेते हैं, तब उसे करके ही मानते हैं चाहें उसका परिणाम कुछ भी निकले. आपकी आस्था भगवान के प्रति भी होती है, लेकिन आप अंधविश्वास नहीं करते हैं. आप रुढ़िवादी नहीं होते हैं, आप आधुनिक विचारों के समर्थक होते हैं. समझदार होते हुए भी आप बहुत बार कई बातों को तूल दे देते हैं. अपने वातावरण को अपने ही अनुकूल बनाने की फिराक में रहते हैं.

पारिवारिक जीवन

इस नक्षत्र में जन्मा जातक अपने परिवार के सदस्यों को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन अपने कटु व्यवहार के कारण वह आपको ज्यादा पसंद नहीं करते हैं. आपको अपने पिता से ज्यादा प्यार व दुलार नहीं मिलता है और ना ही किसी तरह की देखभाल ही मिलती है. आपको अपने मामा से ही सहारा मिलता है और जीवन में आगे बढ़ते हैं. परिवार से अलग बाहर के लोग भी आपकी सहायता करते हैं. 26 से 30 वर्ष की आयु के मध्य में विवाह होने की संभावना बनती है.

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य आपका ठीक-ठाक ही रहेगा, लेकिन सिर दर्द, हृदय रोग आदि की शिकायत हो सकती हैं. आपको अच्छे स्वास्थ्य के लिए अश्विनी नक्षत्र की पूजा करनी चाहिए. इससे आपको स्वास्थ्य लाभ होगा. कई विद्वानों का मत हैं कि यदि अश्विनी नक्षत्र, जन्म नक्षत्र होकर पीड़ित अवस्था में है तब व्यक्ति को आँवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए. अश्विनी नक्षत्र के अवयव घुटना है. वात प्रतिनिधित्व होने के कारण इसका प्रभाव भी शरीर पर पड़ता है.

अश्विनी नक्षत्र - व्यवसाय

इस नक्षत्र में जन्मे जातक मुख्यत: सभी काम करने में निपुण होते हैं. संगीत व साहित्य प्रेमी हो सकते हैं. छोटे से काम के लिए भी ज्यादा मानसिक परेशानी बनी रह सकती है. अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति आप निरन्तर प्रयासों द्वारा करके करते हैं. यह अधिकांशत: सरकारी नौकरी में होते हैं अथवा सरकार की ओर से आपको सहायता भी प्राप्त हो सकती है. अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार है इसलिए इस नक्षत्र के जातकों को जडी़-बूटियों, प्राकृतिक चिकित्सा तथा परंपरागत चिकित्सा पद्धति में रुचि होनी स्वभाविक है.

इस नक्षत्र के व्यक्ति यदि अपना व्यवसाय करते हैं तो बड़े लोगों से सम्पर्क बनाना, इनका शौक होता है. यह अपने ग्राहकों में से केवल सभ्य लोगों को ही अधिक पसंद करते हैं. यह घोड़ों के व्यापारी हो सकते हैं. घोड़ों के प्रशिक्षक हो सकते हैं. घुड़दौड़ कराने वाले व्यक्ति हो सकते हैं. वर्तमान समय में वाहनों से संबंधित कार्य करने वाले व्यक्ति हो सकते हैं. सौंदर्य साधनों का व्यवसाय करते हैं. विज्ञापन जगत से जुड़कर कार्य कर सकते हैं. चिकित्सक हो सकते हैं.

अश्विनी नक्षत्र का प्रथम चरण

लग्न या चंद्रमा, अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में आता हो तो ऐसा व्यक्ति लम्बे मुख का होता है. उसकी कनपटियां उभरी हुई होती हैं, नाक छोटी होगी, हाथ मझले या सामान्य से छोटे हो सकते हैं, आवाज में भारीपन हो सकता है, साधारण नैन नक्श, छोटी मुंदी हुई सी आंखें हो सकती हैं, शरीर में चर्बी कम हो, पतला हो सकता है.

अश्विनी नक्षत्र का दूसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में आता हो तो कंधे भारी और मांसल युक्त हो सकते हैं. भुजाएं भरी हुई होगी, लम्बोतर मुख, नाक पर हल्का सा सांवलापन हो सकता है, पैरों के टखने कम उभरे हुए होगे, माथा छोटा हो सकता है, आँखें बडी़ और साफ होंगी, आवाज़ में कोमलता हो सकती है.

अश्विनी नक्षत्र का तीसरा चरण

लग्न या चंद्रमा, अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में आता हो तो व्यक्ति के बाल कम हो सकते हैं, आंशिक गंजापन हो सकता है, गौर वर्ण होगा, शरीर से भुजाएं थोड़ा हटाकर चलने की आदत हो सकती है, आंखें सुंदर और नाक सुघड़ होती है, बोल-चाल में कुशल होता है, जांघे पतली होती है और घुटने अधिक उभरे हुए नही होते हैं.

अश्विनी नक्षत्र का चौथा चरण

लग्न या चंद्रमा, अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में आता हो तो नेत्रों में चंचलता, अस्थिर एवं भ्रमित सी दृष्टिवाला हो सकता है, आंखों से दबंग एवं रौब झलकता है, नाक आकार में छोटी हो सकती है, पैर कम आकर्षित होते हैं, एडी़ सख्त हो सकती है, बालों में खुरदरापन हो सकता है, शरीर में चर्बी अधिक नहीं रहती है.

अश्विनी नक्षत्र के नामाक्षर

अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण या प्रथम पाद में जो 00:00 से 03:20 तक होता है. इसका अक्षर “च” होता है.

अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण या द्वितीय पाद में जो 03:20 से 06:40 तक होता है. इसका अक्षर “चे” होता है.

अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण या तृतीय पाद में जो 06:40 से 10:00 तक होता है. इसका अक्षर “चो” होता है.

अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण या चतुर्थ पाद में जो 10:00 से 13:20 तक होता है. इसका अक्षर “ला” होता है.

अश्विनी नक्षत्र वेद मंत्र

ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो

बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: ।

उपाय

अश्विनी नक्षत्र के जातक के लिए भगवान गणेश की उपासना करना बेहद लाभकारी होता है. इसके साथ ही अश्विनी नक्षत्र की दिशाएं, अश्विनी मास, और अश्विनी नक्षत्र पर चंद्रमा का गोजर समय होने पर कार्य करना मनोकूल फल देने में सहायक होता है.

अश्विनी नक्षत्र अन्य तथ्य

नक्षत्र - अश्विनी

राशि - मेष

वश्य - चतुष्पद

योनी - अश्व

महावैर - महिष

राशि स्वामी - मंगल

गण - देव

नाडी़ - आदि

तत्व - अग्नि

स्वभाव(संज्ञा) - क्षिप्र

नक्षत्र देवता - अश्विनी कुमार

पंचशला वेध - पूर्वा फाल्गुनी


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