लक्ष्मी मंत्र | Lakshmi Mantra | Goddess Lakshmi | Lakshmi Puja

देवी लक्ष्मी जी को धन-सम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है. लक्ष्मी जी जिस पर भी अपनी कृपा दृष्टि डालतीं हैं वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, के रूपों से मुक्त हो जाता है, समस्त देवी शक्तियाँ  के मूल में लक्ष्मी ही हैं जो सर्वोत्कृष्ट पराशक्ति हैं. समस्त धन संपदा की अधिष्ठात्री देवी कोमलता की प्रतीक हैं, लक्ष्मी परमात्मा की एक शक्ति हैं वह सत, रज और तम रूपा तीन शक्तियों में से एक हैं. महालक्ष्मी प्रवर्तक शक्ति हैं जीवों में लोभ, आकर्षण, आसक्ति उत्पन्न करती हैं धन, सम्पत्ति लक्ष्मी का भौतिक रूप है. लक्ष्मी जी का नित्य पूजन, आरती कष्टों से मुक्ति प्रदान करती है.

लक्ष्मी पूजा प्रतिदिन की जानी चाहिए, देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए शुक्रवार के दिन माता वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से भी सुख समृद्धि प्राप्त करते हैं. इस दिन लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हुए श्वेत पुष्प, कमल , श्वेत चंदन को अर्पित करना चाहिए, चावल और खीर का प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाकर प्रसाद को सभी में तथा स्वयं ग्रहण करते हैं व्रत के दिन उपासक को एक समय भोजन करना होता है इस व्रत को नियमित रूप से 11 या 21 शुक्रवारों तक करना चाहिए. लक्ष्मी की उपासना से सुख-समृद्धि, सौभाग्य, ऐश्वर्य प्राप्त होता है.

लक्ष्मी पूजन में उनका आवाहन करते हैं मिश्री, लौंग, इलायची, कपूर आदि मिलाकर उसके पेड़े बनाकर लक्ष्मी को भोग लगाया जाता है इसके अतिरिक्त अपनी सुविधानुसार पदार्थ तथा फूलादि लक्ष्मी को अर्पण करके तब दीप-दान करते हैं. देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने के बाद भक्त को कभी धन की कमी नहीं होती देवी लक्ष्मी चल एवं अचल संपत्ति प्रदान करने वाली हैं दीपावली समय लक्ष्मीजी के विधिवत पूजन से हमारे सभी कष्ट दूर हो जाते हैं पूजन एवं मंत्रों उच्चारण द्वार पूजा करें “ऊँ महालक्ष्म्यै नम:” मंत्र जप के साथ पूजन करें.

हिन्दू शास्त्रों में देवी लक्ष्मी जी के स्वरुप को अत्यंत सुंदर और प्रभावि रुप से दर्शाया गया है. शुक्रवार को देवी लक्ष्मी की पूजा, दरिद्रता को दूर करने में सहायक होती है. माता लक्ष्मी की उपासना का विशेष महत्व है देवी लक्ष्मी को वैभव की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है. जीवन में धन की दिक्कत,  नौकरी या व्यवसाय में असफलता या खर्चों से आर्थिक तंगी से परेशान होने पर देवी लक्ष्मी की विशेष मंत्र से उपासना द्वारा माता लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त किया जा सकता है.

स्नान के बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर देवी लक्ष्मी की यथासंभव चांदी की प्रतिमा को स्थापित करके

प्रतिमा को कच्चे दूध व गंगाजल से स्नान कराना चाहिए. इसके पश्चात देवी जी को अक्षत, फूल, लाल चंदन, अर्पण करना चाहिए तथा लक्ष्मी मंत्र का स्मरण कर आर्थिक सुख समृद्धि की कामना करनी चाहिए.

लक्ष्मी पूजा मंत्र | Lakshmi Puja Mantra

“ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः।” अथवा “ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।”

साफ आसन ग्रहण कर माला द्वारा 108 बार मंत्र जाप पूर्ण कर अपने कार्य उद्देश्य कि पूर्ति हेतु मां लक्ष्मी से प्राथना करनी चाहिए. विधि विधान द्वारा मंत्र पूजन करने से मां लक्ष्मी कि कृपा से व्यक्ति को धन धान्य की की प्राप्ति होती है. वैभव लक्ष्मी की साधना शुक्रवार को बहुत ही शुभ मानी जाती है. देवी मंत्र के साथ ही श्रीसूक्त का पाठ भी करें.