विजया एकादशी पर करें विजय की प्राप्ति | Attain Victory on the Festivals of Vijaya Ekadashi

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के रूप में मनाया जाता है. यह एकादशी विजय की प्राप्ति को सशक्त करने में सहायक बनती है। तभी तो प्रभु राम जी ने भी इस व्रत को धारण करके अपने विजय को पूर्ण रूप से प्राप्त किया था. एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के शुभ फलों में वृद्धि होती है तथा अशुभता का नाश होता है. विजया एकादशी व्रत 06 मार्च 2024 को किया जाएगा. विजया एकादशी व्रत करने से साधक को व्रत से संबन्धित मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है. सभी एकादशी अपने नाम के अनुरुप फल देती है.

विजया एकादशी पौराणिक महत्व | Historical Significance of Vijaya Ekadashi

विजया एकादशी का पौराणिक महत्व श्री राम जी से जुडा़ हुआ है जिसके अनुसार विजया एकादशी के दिन भगवान श्री राम लंका पर चढाई करने के लिये समुद्र तट पर पहुंचे. समुद्र तट पर पहुंच कर भगवान श्री राम ने देखा की सामने विशाल समुद्र है और उनकी पत्नी देवी सीता रावण कैद में है. इस पर भगवान श्री राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की. परन्तु समुद्र ने जब श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तो भगवान श्री राम ने ऋषि गणों से इसका उपाय पूछा.

ऋषियों में भगवान राम को बताया की प्रत्येक शुभ कार्य को शुरु करने से पहले व्रत और अनुष्ठान कार्य किये जाते है. व्रत और अनुष्ठान कार्य करने से कार्यसिद्धि की प्राप्ति होती है. और सभी कार्य सफल होते है. हे भगवान आप भी फाल्गुण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किजिए. भगवान श्री राम ने ऋषियों के कहे अनुसार व्रत किया, व्रत के प्रभाव से समुद्र ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया और यह व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में मददगार बना. तभी से इस व्रत की महिमा का गुणगान आज भी सर्वमान्य रहा है और विजय प्राप्ति के लिये जन साधारण द्वारा किया जाता है.

विजया एकादशी पूजा विधि | Rituals to Perform Vijaya Ekadashi Puja

विजया एकादशी व्रत के विषय में यह मान्यता है, कि एकादशी व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्नदान और गौदान से अधिक पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है. व्रत पूजन में धूप, दीप, नैवेध, नारियल का प्रयोग किया जाता है. विजया एकादशी व्रत में सात धान्य घट स्थापना की जाती है. सात धान्यों में गेंहूं, उड्द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है. इसके ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखी जाती है. इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन व्रत करने के बाद रात्रि में विष्णु पाठ करते हुए जागरण करना चाहिए.

व्रत से पहले की रात्रि में सात्विक भोजन करना चाहिए और रात्रि भोजन के बाद कुछ नहीं लेना चाहिए. एकादशी व्रत 24 घंटों के लिये किया जाता है. व्रत का समापन द्वादशी तिथि के प्रात:काल में अन्न से भरा घडा ब्राह्माण को दिया जाता है. यह व्रत करने से दु:ख दूरे होते है. और अपने नाम के अनुसार विजया एकादशी व्यक्ति को जीवन के कठिन परिस्थितियों में विजय दिलाती है. समग्र कार्यो में विजय दिलाने वाली विजया एकादशी की कथा इस प्रकार है.