शक्तिरूपा पार्वती की कृपा प्राप्त करने हेतु सौभाग्य वृद्धिदायक गौरी तृतीया व्रत करने का विचार शास्त्रों में बताया गया है. इस वर्ष यह व्रत 12 फरवरी, 2024 को किया जाना है. माघ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन इस व्रत को किया जाता है. शुक्ल

24 फरवरी 2024 के दिन माघ पूर्णिमा का उत्सव मनाया जाएगा. ब्रह्मवैवर्तपुराण में उल्लेख है कि माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं अत: इस पावन समय गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है। इसी प्रकार पुराणों में

माघ शुक्ल पंचमी 14 फरवरी 2024 के दिन बसंत पंचमी पूजन संपन्न होगा. इस शुभ दिन सभी शिक्षण संस्थानों में विद्या की देवी सरस्वती जी की पूजा कि जाती है. सरस्वती को कला की भी देवी माना जाता है अत: कला क्षेत्र से जुड़े लोग भी माता सरस्वती की

माघ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य सप्तमी, अचला सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी इत्यादि नामों से जानी जाती है. विशेषकर जब यह सप्तमी रविवार के दिन हो तो इसे अचला भानू सप्तमी के नाम से पुकारा जाता है और इस दिन पड़ने के कारण इसका महत्व और भी

तिल द्वादशी व्रत माघ माह की द्वादशी को किया जाता है. 21 फरवरी 2024 को तिल द्वादशी मनाई जाएगी. इस दिन तिल से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है. पवित्र नदियों में स्नान व दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. प्रात:काल नित्यकर्म से निवृत

षट्तिला एकादशी का व्रत 06 फरवरी, 2024 के दिन रखा जाएगा. प्रतिवर्ष माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाता है. अपने नाम के अनुरूप यह व्रत तिलों से जुडा हुआ है, तिल का महत्व तो सर्वव्यापक है और हिन्दु धर्म में यह

09 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्या का उत्सव मनाया जाएगा. मौनी अमावस्या के दिन सूर्य तथा चन्द्रमा गोचरवश मकर राशि में आते हैं इसलिए यह दिन एक संपूर्ण शक्ति से भरा हुआ और पावन अवसर बन जाता है इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है. इसलिए भी इस

कहा गया है कि त्रिदेव माघ मास में प्रयागराज के लिए यमुना के संगम पर गमन करते हैं तथा इलाहबाद के प्रयाग में माघ मास के दौरान स्नान करने दस हज़ार अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है. माघ मास में ब्रह्म मूहुर्त्त समय गंगाजी अथवा

श्री गणेश चतुर्थी के दिन श्री विध्नहर्ता की पूजा-अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते है. यह व्रत इस वर्ष 29 जनवरी, 2024 को रखा जाना है. माघ माह के कृष्ण पक्ष चतुर्थी के दिन को संकट चौथ के नाम से भी जाना जाता है. इस तिथि

पुत्रदा एकादशी व्रत वर्ष 2024 में पुत्रदा एकादशी व्रत 21 जनवरी को मनाया जाएगा. हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है. इस दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है. सुबह स्नान

सूर्य भगवान आदि देव हैं अत: इन्हें आदित्य कहते हैं, इसके अलावा अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लेने के कारण भी इन्हें इस नाम से जाना जाता है. सूर्य के कई नाम हैं जिनमें मार्तण्ड भी एक है जिनकी पूजा पौष मास में शुक्ल सप्तमी को होती है. 17

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति रुप में जाना जाता है. 14/15जनवरी 2024 के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते है. इस पर्व को दक्षिण भारत में तमिल वर्ष की शुरूआत इसी दिन से होती है. वहाँ यह पर्व 'थई पोंगल' के नाम से जाना जाता है.

सफला एकादशी व्रत पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है. 07 जनवरी, वर्ष 2024 में यह व्रत मनाया जायेगा. इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को व्रत के दिन प्राता: स्नान करके, भगवान कि आरती करनी चाहिए और भगवान को भोग लगाना चाहिए. इस

लोहड़ी का त्यौहार खुद में अनेक सौगातों को लिए होता है. फसल पकने पर किसान खुशी को जाहिर करता है जो लोहड़ी पर्व, जोश व उल्लास को दर्शाते हुए सांस्कृत्तिक जुड़ाव को दर्शाता है , पंजाब और हरियाणा में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है. लोहडी

मित्र सप्तमी का त्यौहार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन मनाया जाता है. सूर्य देव की पूजा का पर्व सूर्य सप्तमी एक प्रमुख हिन्दू पर्व है. सूर्योपासना का यह पर्व संपूर्ण भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है. सूर्य भगवान ने अनेक

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी अखण्ड द्वादशी के रुप में मनाई जाती है. इस दिन विष्णु पूजा एवं व्रत का संकल्प किया जाता है, जिसमें शुद्ध आचरण व सदाचार पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है. अखण्ड द्वादशी तिथि के दिन किया गया व्रत पूजन

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के पावन पर्व पर गंगा समेत अनेक पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है. हरिद्वार समेत अनेक स्थानों पर लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं और पापों से मुक्त होते हैं. पूर्णिमा के स्नान पर पुण्य की कामना से स्नान का बहुत महत्व होता

पिशाचमोचन श्राद्ध के दिन पिशाच (प्रेत) योनि में गये हुए पूर्वजों के निमित्त तर्पण आदि करने का विधान बताया गया है. 14 दिसंबर 2024 को पिशाचमोचन श्राद्ध किया जाना है. इस तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त पितरों का श्राद्ध करने का विशेष महत्व

गीता जयंती एक प्रमुख पर्व है हिंदु पौरांणिक ग्रथों में गीता का स्थान सर्वोपरि रहा है. 11 दिसंबर 2024 के दिन गीता जयंती का महोत्सव मनाया जाएगा. गीता ग्रंथ का प्रादुर्भाव मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को कुरुक्षेत्र में हुआ था.

प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है. यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है. सूर्यास्त के बाद के बाद का कुछ समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है. स्थान विशेष के अनुसार यह बदलता रहता है.