Posts for Tag Hand Type
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अंगूठे का हथेली अध्ययन में महत्व | Significance of the thumb in studying a palm
अंगूठे केवल केरोमनोमी में नहीं बल्कि काइरमैन्सी के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हस्तरेखा शास्त्र में की गई भविष्यवाणियों केवल लाइनों द्वारा प्रतिनिधित्व तथ्यों पर ही आधारित नही होती. लेकिन, एक अच्छे
उंगुलियों के जोड़ | The Joints of the Fingers
हस्तरेखा शास्त्र मे उंगलियों के जोड़ों के अध्ययन का बहुत महत्व है। जोड़ों का स्थूल रूप कार्य के क्षेत्र में जहां व्यक्ति सक्रिय होता है, उसको निर्धारित करता हैं। यह व्यक्ति में उंगलियों से संबंधित गुणों के विस्तार का भी
वर्गाकार हाथ और उसके उप खण्ड | The Square Hand and its Subdivisons
जिस हाथ की हथेली और उंगलिया वर्गाकार होती है उसे वर्गाकार हाथ के रूप में जाना जाता है। इस तरह के हाथ बहुत आम हैं और जीवन के कई क्षेत्रों में यह देखे जा सकते हैं। सामान्यतः ऐसे हाथ के नाखून छोटे और वर्गाकार होते हैं। ऐसे
प्राथमिक या निम्नतम प्रकार का हाथ | The Elementary or Lowest type of Hand
इस तरह के हाथ निम्न मानसिकता से प्रभावित के लोगों में पाया जाता है। यह खुरदरे, स्थूल, साथ ही बड़े, और भारी हथेली वाले होते हैं। इनकी उँगलियां और नाखून छोटे और स्थूल होते हैं। हथेली इतनी छोटी होती है कि यह मुश्किल से
शंक्वाकर हाथ या शांकव हाथ | The Conic Hand in Hastrekha
शांकव हाथ में मध्यम आकार की हथेली, शंकुकार उंगलियों और शंक्वाकार नाखून होते हैं। नुकीले नाखून और हाथ पूर्ण रूप से एक शंकु की उपस्थिति देता है। इसका आकार, हाथ के दूसरे प्रकार अर्थात मानसिक हाथ जैसा ही होता है। जो इसी तरह
हाथों और उंगलियों की आकृतियाँ | Shapes of Hands and Fingers
हस्तरेखा शास्त्र में हाथ का संपूर्णता से अध्ययन किया जाना चाहिए। इसलिए, हस्तरेखा शास्त्र को दो वर्गों में अर्थात कीरोनोमी और कीरोमेन्सी मे विभाजित किया गया है। हस्तरेखा शास्त्र की पहली शाखा मे हाथों और उंगलियो के आकार
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