हाथों पर स्थित तारे की उपस्थिति महत्वपूर्ण प्रभाव को दर्शाती है, तथा हाथों की उंगलियों में या हथेली पर बना तारे का चिन्ह जहाँ भी स्थित होता है यह उस स्थान को महत्वपूर्ण बना देता है। यह एक अच्छा संकेत होता है बस कुछ एक या दो स्थितियों में

हथेली के अध्ययन में क्रॉस का चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्रॉस की विशेषताएँ तारे के विपरीत हैं और यह कभी कभार ही शुभ संकेत के रूप को दर्शाता है। यह मुसीबत, निराशा, खतरा और कभी-कभी जीवन में संकट का संकेत देता है। क्रॉस के लक्षण

वर्ग हाथ पर सबसे दिलचस्प चिन्ह है, यह बहुत कम पाए जाते हैं। प्राय: इसे संरक्षण के चिन्ह के रूप में व्यक्त किया जाता है क्योंकि जहां से यह शुरू से होता है वहाँ की गतिविधियों को सुरक्षा प्रदान करता है। सामान्य तौर पर यह रेखाओं पर पाए जाते

प्रसिद्ध हस्तरेखाविद पूरी दुनिया भर में हस्तरेखा को केवल आने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी के लिये विज्ञान के रुप मे प्रयोग करते हैं। यह चमत्कारी विज्ञान नहीं है। इसका उपयोग दुर्घटना से बचने के लिये भविष्यवाणी रुप में किया जा सकता है। अगर आपको

हथेली पर अंगूठे के आधार पर स्थित पर्वत, शुक्र पर्वत कहलाता है। यह अनुग्रह, आकर्षण, वासना और सौंदर्य की उपस्थिति या अनुपस्थिति को दर्शाता है। यह प्रेम और साहचर्य की इच्छा और सौंदर्य की हर रूप में पूजा करने को भी दर्शाता है। अति विकसित शुक्र

हस्तरेखा शास्त्र में हथेली की रेखाओं का विशेष महत्व है। इसमे सम्मलित लक्षण जैसे क्रास, सितारे, वर्गों और अर्धचन्द्राकार का अध्ययन हथेली द्वारा किया जाता है। यह रेखाएं व्यक्ति का भविष्य, शुभ संकेत और अशुभ संकेत दर्शाती हैं। इन संकेतो का

चंद्र पर्वत, अंगूठे के सामने हथेली के आधार पर स्थित होता है। यह पर्वत एक मजबूत कल्पना शक्ति को दर्शाता है। यह लोगों में भावनात्मक या कलात्मक और सौंदर्य, रोमांस, रचनात्मकता, आदर्शवाद आदि को प्रदर्शित करता है। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत

शनि पर्वत, मध्यमा उँगली के आधार पर स्थित होता है। यह एकांत प्रिय, विवेकी, मूक दृढ़ संकल्प, गूढ विध्या की ओर झुकाव, नियतिवाद और अंत में भाग्य मे परम विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। विकसित शनि पर्वत व्यक्ति को ज्ञान की खोज का विश्लेषक बनाता

विवाह रेखा की क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित होती हैं। इन रेखाओं से रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी और पति - पत्नी के बीच प्यार और स्नेह के अस्तित्व का संकेत मिलता है। परन्तु विवाह संबंधित खुशहाल जीवन

हथेली में मंगल पर्वत दो स्थानों पर स्थित है। पहला, यह जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे स्थित है,और दूसरा उसके विपरीत हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच मे स्थित है। पहला स्थान व्यक्ति मे शारीरिक विशेषताओं को और दूसरा मानसिक विशेषताओं को

हथेली पर गुरु का प्रभाव जातक को एक अच्छा बोलने वाला है. व्यक्ति दूसरों को लेकर बहुत समझाने वाला होता है. बृहस्पति की हथेली पर शुभ स्थिति उसे लोगों के मध्य प्रसिद्धि देने वाली होती है. व्यक्ति मुखिया बन सकता है. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी

जीवन रेखा बहुत हद तक भाग्य को प्रभावित करती है। जीवन रेखा, दूसरी रेखाओं पर भी अपना प्रभाव डालती है। यदि सभी रेखाओं का आरंभ जीवन रेखा से हो तो व्यक्ति के लाभ और उपलब्धि को बढाता है। लेकिन यह एक अपवाद है। जब जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय

मस्तष्कि रेखा की स्थिति व्यक्ति की बुद्धिमत्ता, सीखने की प्रवृत्ति, विशिष्ट विधा की दिशा को दर्शाती है तथा व्यक्ति की, बुद्धि और मन के निर्धारण मे महत्वपूर्ण भूमिका को व्यक्त करत है। इस रेखा का आरंभ तीन भिन्न स्थानों से हो सकता है। इसका

मस्तिष्क रेखा तर्जनी अंगुली नीचे से आरंभ होती है और यहां से निकलते हुए हथेली पर रुकती है. यह अकसर जीवन रेखा को आरंभ में छूती है. यह रेखा मुख्य रुप से व्यक्ति की मानसिक स्थिति को दर्शाती है। यह रेखा उन कारणों को भी बताती है कि मस्तिष्क में

हस्त रेखा शास्त्र व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं को बहुत बारीकी से समझने में मदद करता है. व्यक्ति के स्वास्थ्य की बात हो या उसके काम-काज की, या उसके जीवन में आनी वाली सफलताओं अथवा असफलताओं की इन सभी को समझने में हस्तरेखा शास्त्र बहुत

वह रेखाऐं जो विवाह रेखा के ऊपर बुध पर्वत पर तथा अंगूठे के नीचे पाई जाने वाली रेखाएं संतान से संबंधित रेखाएं होती हैं। परन्तु इस रेखा के साथ अन्य रेखाओं का एवं हाथ की विशेषताओं का अध्ययन करके ही संतान संबंधित भविष्यवाणी की जा सकती है। यदि

जीवन रेखा का उदगम शुक्र पर्वत से आरंभ हो कर हथेली के नीचे जाते हुये शुक्र पर्वत को घेरता है। यह रेखा हाथ की सबसे महत्वपूर्ण और विवादास्पद रेखा है। यह रेखा हथेली के अंत तक जाती हुई शुक्र पर्वत पर एक चाप की आकार लिये होती है। यह रेखा जीवन

भाग्य रेखा की स्थिति किस्मत संबंधित निर्णयों का निर्धारण करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाग्य रेखा की स्थिति से ज्ञात होता है कि व्यक्ति शिक्षा संबंधित क्या फैसला करेगा, कौन सा क्षेत्र चुनेगा, और किन बाधाओ का सामना करेगा, उसे

भाग्य रेखा को किस्मत की रेखा के रूप में भी जाना जाता है । यह हथेली के केंद्र मे स्थित होती है , इस रेखा का उदगम कलाई से, चंद्र पर्वत से, जीवन रेखा से, मस्तिष्क रेखा या ह्रदय रेखा से होता है । इस रेखा द्वारा उन सभी क्रियाओ को जाना जा सकता

सूर्य की रेखा को अपोलो रेखा, सफलता रेखा या प्रतिभा रेखा से भी जाना जा सकता है एवं यह हाथ के आकार पर निर्भर करता है । सूर्य रेखा द्वारा व्यक्ति के जीवन में ख्याति, सफलता और प्रतिभा की भविष्यवाणी की जा सकती है। सूर्य रेखा का उदय, जीवन रेखा,