अंक शास्त्र में को गूढ़ विद्याओ में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. हर अंक के पीछे एक रहस्य छिपा है जिसका सीधा संबंध अलौकिकता से है. हरेक अंक की अपनी स्वतंत्र और विशेष ऊर्जा होती है. सभी नौ अंको की ऊर्जा एक - दूसरे से टकराती है. अंको के समूह

सदियो पहले से मनुष्य अंको के महत्व को समझता आ रहा है. जब बच्चे का नामकरण किया जाता है तब उसके नाम का प्रभाव उसके व्यक्तित्व तथा चरित्र पर और जीवन में होने वाली घटनाओ पर स्पष्ट झलकता है. अंक 3 की विशेषताएँ | Characteristics of Life Number 3

जब माता-पिता अपने बच्चे का नामकरण करते हैं तब उम्र भर के लिए वही नाम उसकी सबसे बड़ी विशेषता बन जाता है. नाम होगा या बदनाम होगा, दोनो ही सूरतो में नाम का महत्व होगा. व्यक्ति का नाम उसके जीवन के भूत, वर्तमान तथा भविष्य की कहानी सुनाता है.

अंक शास्त्र में सभी अंकों का अपना - अपना महत्व माना गया है. आपके नाम की स्पैलिंग के सभी हिज्जो के जोड़ से अंत में जो अंक मिलता है वह आपका नामांक कहा जाता है. अंक दो के सकारात्मक पहलू | Positive Traits of Life Number 2 आपके नाम के हिज्जो के

सभी अंको का अपना विशिष्ट महत्व माना गया है. हर एक अंक का संबंध शरीर के एक विशेष भाग और बीमारी से बनता है. आइए जाने कि किस अंक का संबंध किस विकार से है और उससे कैसे बचा जा सकता है. अंक छ : और आपका स्वास्थ्य | Life number 6 and Health अंक

एक बहुत ही पुरानी कहावत है कि "शरीर स्वस्थ है तो सब स्वस्थ है". अगर शरीर स्वस्थ नहीं रहता तो कुछ भी ठीक नहीं लगता है. कई बार व्यक्ति शारीरिक रुप से तो स्वस्थ रहता है पर मानसिक परेशानियाँ बहुत रहती है जिसका प्रभाव शरीर पर पड़ता है और सेहत

हर्ट नंबर का अंक शास्त्र में अपना महत्व माना गया है. यह नंबर व्यक्ति के अंग्रेजी नाम में आने वाले वोवेल्स के आधार पर निकाला जाता है. इस हर्ट नंबर से व्यक्ति के चरित्र चित्रण का तो पता चलता ही है लेकिन साथ ही उसके रोमांस तथा प्रेम संबंधो के

अंक शास्त्र का अगर सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए तब व्यक्ति विशेष के बारे में बहुत सी बाते उजागर होती हैं. हर अंक का अपना महत्व माना गया है. आज हम दिल के नंबर के बारे में बात करेगें. हर व्यक्ति का अपना हर्ट नंबर होता है. हर्ट नंबर की गणना |

सदियों से मनुष्य प्रकृति के आगे सिर झुकाता आया है. जैसे-जैसे मनुष्य सभ्य होता गया बहुत सी गूढ़ विद्याओं की जानकारी भी प्राप्त करने लगा. सूर्य तथा चंद्रमा के साथ अन्य ग्रहों के विषय में भी जानना आरंभ कर दिया. इस प्रकार जो विद्या ग्रह,

मास्टर नंबर को अंक ज्योतिष में महत्वपूर्ण नंबर माने गए हैं. आधुनिक अंक शास्त्री इन मास्टर नंबर के महत्व को बखूबी परिलक्षित कर पाए हैं. इन मास्टर नंबर को अंक शात्र में सर्वोत्तम अंक कहा गया है. अंकशास्त्र की पुरानी पद्धति में 11 और 22 जैसे

सूर्य को सभी बारह राशियों से गुजरने में एक वर्ष अर्थात लगभग 365 दिन का समय लगता है. अंक विद्या में सूर्य की स्थिति के आधार पर हर माह को एक अंक प्रदान किया गया है. इन महीनों की अवधि, सामान्य अवधि से भिन्न होती है. सूर्य की इस अवधि का

अंक शास्त्र में सूर्य तथा चन्द्रमा दो ऎसे ग्रह हैं जिन्हें दो अंक प्राप्त हैं. सूर्य तथा यूरेनस का आपस में परस्पर संबंध माना गया है, इसलिए सूर्य को 1 तथा 4 दो अंक प्राप्त है. वास्तविकता में अंक 1 सूर्य का है और अंक 4 यूरेनस का है. इसी

नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, आज भी अंकशास्त्री नामांक की गणना इन्हीं प्राचीन तरीकों से करते आ

नामांक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण विद्या है, जिसके माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है. नामांक ज्योतिष में अंकों के माध्यम द्वारा गणित के नियमों का व्यवहारिक उपयोग करके मनुष्य के विभिन्न पक्षों, उसकी

जीवन में नाम का बहुत महत्व होता है नाम से ही हमारी पहचान होती है. नाम का महत्व खुद ब खुद दृष्टिगत होता है, तथा नाम रखने की विधि को संस्कार कर्म में रखा जाता है और इसमें जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित नाम रखने का प्रयास किया जाता है. कुछ

नामांक जीवन में बदलाव ला सकता हैं और हमारे जीवन को आशावादी दिशा प्रदान कर सकता है. नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का

नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. आज भी अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी प्राचीन तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता

नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ अंक को स्थान दिया तो किसी ने स्थान नहीं

नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, नामांक जीवन

नामांक को सौभाग्य अंक भी कहते हैं. आज लगभग सभी अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी प्राचीन तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ अंक को स्थान दिया